दिल्ली के बाद अब मुंबई के रिहायशी इलाके में पटाखा बिक्री पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

By: Dilip Kumar
10/10/2017 8:57:49 PM
नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक बरकरार रखने के बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम आदेश दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने पर रोक लगा दी है. अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया है कि वो रिहायशी इलाके में पटाखे बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे. बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश पटाखा जलाने के खिलाफ नहीं है, बल्कि सिर्फ रिहायशी इलाकों में बिक्री पर रोक के लिए है. बॉम्बे हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर ने न्यायाधीश वीएम कनडेश के पिछले साल के आदेश को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया है.

अब दिल्ली-एनसीआर के साथ ही मुंबई के रिहायशी इलाकों में पटाखों की बिक्री नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के ये आदेश दिवाली से पहले आए हैं. मालूम हो कि इस बार दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटाखों की बिक्री पर 31 अक्टूबर तक रोक रहेगी. इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है.

सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगाने वाले नवंबर 2016 के आदेश को बरकार रखते हुए यह फैसला सुनाया. न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, 'हमें कम से कम एक दिवाली पर पटाखे मुक्त त्योहार मनाकर देखना चाहिए.' अदालत ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध हटाने का 12 सितंबर 2017 का आदेश एक नवंबर से दोबारा लागू होगा यानी एक नवंबर से दोबारा पटाखे बिक सकेंगे.

मालूम हो कि पिछले साल भी कुछ बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में पटाखा बैन को लेकर अर्जी डाली थी. सुप्रीम कोर्ट में तीन बच्चों की ओर से दाखिल एक याचिका में दशहरे और दीवाली पर पटाखे जलाने पर पाबंदी लगाने की मांग की गई थी. इस अनूठी याचिका को दाखिल करने वाले इन बच्चों की उम्र महज छह से 14 महीने के बीच थी. यह पहला मामला है, जब ऐसा हुआ है कि बच्चे पटाखा बिक्री पर बैन लगाने के लिए कोर्ट के दरवाजे पर जा पहुंचे.

चेतन भगत! आपने नहीं समझा दम घुटने का दर्द

हर बार दिवाली के बाद जब दिल्ली का आसमान धुंध से पट जाता है तो यह बहस शुरू होती है कि पटाखों पर पाबंदी लगा देनी चाहिए. इतना ही नहीं हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में पराली जलाने पर भी रोक लगाने की बात होती है. खैर! फिलहाल एक अहम फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 30 अक्टूबर तक पटाखों की बिक्री पर पाबंदी लगा दी है.

इस फैसले का क्या असर होगा, यह तो दिवाली के बाद पता चलेगा. लेकिन चेतन भगत ने ट्विटर पर अपना फैसला सुना दिया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सांप्रदायिक करार दिया है. उन्होंने ट्वीट किया है, 'क्या मैं पटाखों की पाबंदी पर एक सवाल पूछ सकता हूं. सिर्फ हिंदू त्योहारों में ही ऐसा करने की हिम्मत क्यों आती है? मुहर्रम पर बकरों की बलि पर भी रोक लगे.'
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की हित में लिया है. वैसे भी घर-परिवार और प्रदूषण को लेकर जागरुक लोग या संस्थाएं दिवाली पर पटाखों का इस्तेमाल कम से कम या बंद करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. स्कूलों में बच्चों से यह वादा लिया जाता है कि वे पटाखों के बगैर दिवाली मनाएं.

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पाबंदी से कारोबारियों को निराशा होनी चाहिए, जिन्होंने माल मंगा लिया है. या फिर बच्चों को जिन्हें पटाखा जलाने का उत्साह होता है और प्रदूषण के बारे में उनकी कोई समझ नहीं होती है. चेतन भगत ने ट्वीट किया है, 'मैं देखना चाहता हूं जो लोग दिवाली से पटाखों को हटा रहे हैं वो दूसरे त्योहारों में खून बहने से रोकते हैं या नहीं.'

यंगिस्तान के लिए लिखने वाले चेतन भगत देश में एक जाने-माने नाम हैं. ऐसे में पटाखों पर पाबंदी को किसी समुदाय विशेष से जोड़कर चेतन भगत क्या साबित करना चाहते हैं... यह समझना मुश्किल नहीं है. चेतन भगत का कहना है कि दिवाली पर पटाखों को बंद करना बिल्कुल ऐसा है मानों क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री और बकरीद पर बकरियों की बलि पर पाबंदी लगा दी जाए.

पटाखों पर बैन को लेकर गरमाई राजनीति, ठाकरे बोले- तो क्या व्हाट्सएप पर फोड़ेंगे

दिल्ली-एनसीआर की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध की चर्चा शुरू हो गई है। इस चर्चा ने राजनीतिक रंग ले लिया है। सूबे के पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने पटाखों की बिक्री पर बैन लगाने का इरादा जताया है। लेकिन, शिवसेना और मनसे ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। रामदास कदम ने कहा कि पटाखा बिक्री पर प्रतिबंध के संबंध में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात करेंगे कि क्या महाराष्ट्र में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक पटाखों को बैन किया जा सकता है।

पटाखों से बड़े पैमाने पर वायु और ध्वनि प्रदूषण फैलता है। इस संबंध में छात्रों को जागरूक करने के लिए मंगलवार को पर्यावरण विभाग की ओर से ‘प्रदूषणमुक्त दिवाली संकल्प अभियान 2017’ नामक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उपस्थित थे और उनकी उपस्थिति में छात्रों ने प्रदूषणमुक्त दिवाली मनाने का संकल्प लिया। इस दौरान रामदास कदम ने कहा कि प्रदूषणमुक्त दिवाली मनाने से वातावरण सुधरेगा और इसका लाभ किसानों को मिलेगा।

लेकिन, सबसे पहले कदम की ही पार्टी के प्रवक्ता संजय राउत ने इसका विरोध किया है। राउत ने कहा कि पटाखों से अनेकों लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे विश्व में पटाखे फोड़े जाते हैं। इसलिए पटाखों पर बैन नहीं होना चाहिए।
पटाखों पर प्रतिबंध की मुखालफत करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि क्या व्हाट्सएप पर पटाखे फोड़े जाएंगे। राज ने सवाल किया कि हिंदू त्योहारों पर ही इस तरह की पाबंदी क्यों लगाई जाती है। उन्होंने पटाखों पर बैन का विरोध करते हुए कहा कि लोग पहले जैसे दिवाली मनाते थे उसी तरह मनाएं।

बीजेपी के मंत्री ने कहा- हिंदू धर्म में नहीं लिखा है पटाखे फोड़ना

दिल्ली में पटाखे की बिक्री पर रोक लगाने के फैसले को लेकर लोगों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. कुछ लोग कोर्ट के इस फैसले को हिंदू धर्म के त्योहार दिवाली से जोड़कर देख रहे हैं. लेखक चेतन भगत के हिंदू धर्म में दखल वाले ट्वीट को लेकर तो जबरदस्त बवाल मचा हुआ है. इन्हीं विवादों के बीच महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार खुलकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के समर्थन में उतर आयी है.
शिवसेना नेता रामदास कदम का कहना है कि धर्म और पटाखों को जोड़ना गलत है. लोग अपना धर्म मनाएं लेकिन इंसानी जीवन के लिये पर्यावरण का ख्याल रखें. पर्यावरण बचेगा तो इंसानियत बचेगी.

महाराष्ट्र के वित्तमंत्री और फडणवीस सरकार के प्रवक्ता सुधीर मुनगंटीवार से पटाखों की बिक्री पर लगी रोक को धर्म से जोड़े जाने पर सवाल पूछा गया तो बिना वक्त गंवाए मुनगंटीवार बोल पड़े कि हिंदू धर्म में कहीं नहीं लिखा है कि पटाखा फोड़ो. दिवाली प्रदूषण मुक्त होनी चाहिये और पर्यावरण को बचाने के लिये लोगों को पहल करनी चाहिये.


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