पैराडाइस पेपर लीक से दुनियाभर में खलबली, अमिताभ, जयंत सिन्हा, माल्या समेत भारत से 714 नाम

By: Dilip Kumar
11/7/2017 1:14:08 AM
नई दिल्ली

पनामा पेपर्स की तरह अब 'पैराडाइज पेपर्स' का बम फटा है। इसमें विश्व के 180 देशों के नागरिकों द्वारा अपना काला धन टैक्स हैवन देशों में जमा रखने को लेकर रैंकिंग दी गई है। भारत की रैंक 19वीं है। देश के 714 लोगों के नाम पैराडाइज पेपर्स में हैं। इनमें कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेताओं से लेकर बॉलीवुड हस्तियों, कंपनी समूहों और कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया आदि के नाम हैं। पनामा पेपर्स मामला सामने आने के 18 महीने बाद एक बार फिर जर्मनी के ही 'जीटॉयचे साइटुंग' नामक अखबार ने इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आइसीआइजे) की खोजी रिपोर्ट छापी है।

आइसीआइजे ने विश्व की 96 समाचार संस्थाओं के साथ मिलकर यह भंडाफोड़ किया है। इसके जरिये कुल 1.34 करोड़ दस्तावेज लीक हुए हैं। आइसीआइजे ने अंदेशा जताया है कि दुनियाभर के लोग अब भी कर छिपाने वाले देशों में अपनी काली कमाई जमा करा रहे हैं। हालांकि, यह भी स्पष्ट किया गया है कि इसमें नाम आने का मतलब यह नहीं है इन लोगों ने काला धन ही छिपाया है।

पैराडाइज पेपर्स में आए नामों की जांच करेंगे सीबीडीटी चेयरमैन

पैराडाइज पेपर्स में 714 कंपनियों और भारतीय लोगों के नाम का खुलासा होने के बाद केन्द्र सरकार हरकत में आ गई है। सीबीडीटी (सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस) इस मामले की पड़ताल करेगी। सीबीडीटी चेयरमैन की निगरानी में केन्द्र सरकार ने एक मल्टी एजेंसी का गठन किया है। इसमें सीबीआई, ईडी, आरबीआई, एफआईयू शामिल होगी। इसके अलावा सेक्योरिटी एंड एक्चेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने भी पैराडाइज पेपर्स लीक की जांच का मन बनाया है।

सेबी द्वारा की जा रही जांच पैराडाइज पेपर्स लीक मामले में आने वाली कंपनियों की मुसीबत बढ़ा सकती है। दरअसल, पैराडाइज पेपर्स के दस्तावेज इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट(आईसीआईजे) ने जारी किए हैं। आईसीआईजे ने 1.34 करोड़ दस्तावेजों की पड़ताल की है और इनमें से उन अमीर लोगों और कंपनियों के नाम को सार्वजनिक किया है, जिन्होंने गुप्त धन (काला धन) का निवेश किया है। इसमें कई भारतीय कंपनियां हैं और कई नामचीन भारतीय लोगों का नाम शामिल है।

केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा, राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, फिल्म अभिनेता अभिताभ बच्चन आदि के नाम प्रमुख हैं। हालांकि इस बारे में जयंत सिन्हा ने अपनी सफाई दे दी है। आरके सिन्हा ने अपना नाम आने के बाद मौनव्रत धारण कर लिया है। जबकि अमिताभ बच्चन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

ये हैं भारत के बड़े नाम

-भाजपा नेता : केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और सांसद आरके सिन्हा

-कांग्रेस नेता : अशोक गहलोत, सचिन पायलट, पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, वीरप्पा मोइली के बेटे हर्ष मोइली

-कारोबार : विजय माल्या और नीरा राडिया

-बॉलीवुड : अमिताभ बच्चन, संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त

-स्वास्थ्य : फोर्टिस-एस्कॉ‌र्ट्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ

इन कार्पोरेट समूहों के भी नाम

-जीएमआर समूह

-अपोलो टायर्स

-हैवेल्ज

-हिंदूजा समूह

-एम्मार एमजीएफ

-वीडियोकॉन

-हीरानंदानी समूह

-डीएस कंस्ट्रक्शन

-यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड इंडिया

मंत्री बनने से पहले छोड़ दी थी कंपनी : जयंत

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मंत्री जयंत सिन्हा ने दावा किया है कि सितंबर 2009 में वह ओमिदयार नेटवर्क से बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर जुड़े थे। दिसंबर 2013 तक इसमें रहे। जनवरी 2014 से नवंबर 2014 तक वह डिलाइट के स्वतंत्र निदेशक रहे। केंद्रीय मंत्री बनने से पहले उन्होंने यह कंपनी छोड़ दी थी और इससे मिली फीस व डिलाइट के शेयर पहले ही सार्वजनिक कर रखे हैं।

मौन व्रत पर हूं : सिन्हा

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पैराडाइज पेपर्स में नाम आने पर भाजपा के राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा से पत्रकारों ने प्रतिक्रिया जानी। उन्होंने कोई जवाब देने के बदले एक पर्ची दिखाई। इस पर लिखा था, 'सात दिन के भागवत यज्ञ में मौनव्रत है।'

ब्रिटेन की महारानी.. पाक के, पूर्व पीएम अजीज के भी नाम

पैराडाइज पेपर्स लीक्स में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मंत्री, पाक के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूड्यू के सहयोगी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दामाद का भी नाम है।

संजय दत्त की पत्नी ने आरोपों को गलत बताया

'पैराडाइज पेपर्स' में नाम आने के बाद बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त की पत्नी मान्यता ने कहा है कि उनके द्वारा किए गए सभी वित्तीय लेन-देन कानूनी रूप से वैध हैं। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजी) द्वारा की गई वैश्विक स्तर की जांच के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 'पैराडाइज पेपर्स' में जिन 714 लोगों के नाम सामने आए हैं, उनमें दिलनशीं (संजय दत्त की पत्नी का पूर्व नाम) भी शामिल हैं।

sanjay dutt's wife says, i am wrongly accused

उनके प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, 'आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी कंपनी की सभी संपत्तियां, कंपनी या बॉडी कार्पोरेट या शेयर की जानकारी बैलेंस शीट में दी जाती है।' इस खुलासे में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का नाम भी सामने आया है, जिनके 2004 के उदारीकृत धन प्रेषण योजना लागू होने के पहले बरमूडा की कंपनी में शेयर थे। इस खुलासे के सामने आने के एक दिन पहले अमिताभ ने बाफोर्स स्कैंडल और पनामा पेपर लीक मामले में नाम आने के बाद अपने विचार लिखे थे।

कांग्रेस ने सिन्हा से इस्तीफा मांगा

कांग्रेस ने पैराडाइज पेपर्स में नाम आने के बाद केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा के इस्तीफे की मांग की है। पार्टी ने मोदी सरकार को चुनौती दी कि उसमें साहस हो तो वह पैराडाइज पेपर्स के सारे तथ्य काले धन की जांच कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष रखे।

वो खुलासे जिनसे दुनिया हिल गई

विकीलीक्स मामला

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विकीलीक्स 2006 से विवादों में है लेकिन इसने दुनिया में सनसनी तब फैला दी थी जब 2007 में अमेरिकी सेना के ग्वांतानामो जेल में यातना शिविर होने का संकेत देने वाले दस्तावेज़ जारी किए थे। इससे पहले अमेरिका की सेना इस बात को नकारती रही थी लेकिन विकीलीक्स ने जब इससे जुड़े दस्तावेज ज़ारी कर दिए तो अमेरिकी सेना के पास जवाब देने लिए कुछ नहीं था। विकीलीक्स एक ऐसी वेबसाइट है जहां उन सूचनाओं का ज़िक्र होता है जो आम लोगों की जानकारी में नहीं होतीं। इसके बाद जुलाई 2010 में विकीलीक्‍स ने 'अफगान वॉर डायरी' शीर्षक के साथ 76,900 दस्तावेज जारी किए। इन दस्तावेजों में ऐसी जानकारी दी गई थीं जो अफगान युद्ध से जुड़ी थीं और जिनके बारे में कभी भी नहीं सुना गया था।

साल 2011 में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे ने भारत में काला धन रखने वाले लोगों की लिस्‍ट को जारी कर दी थी। जिसके बाद भारत में विकीलीक्स को लेकर काफी चर्चा हुई और पूरे देश में हड़कंप मच गया। सितंबर 2011 में विकीलीक्‍स ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती प्राइवेट जेट भेजकर अपने लिए मुंबई से सैंडल मंगावाती हैं। यही नहीं, मायावती ने खाना चखने के लिए भी लोगों का रखा है। वह जब तक वे यह चेक नहीं कर लेते हैं कि खाने में जहर तो नहीं तब तब मायावती खाना नहीं खाती हैं। मायावती ने इन आरोपों को झूठा और असांजे को पागल करार दिया था। 27 फरवरी, 2012 को एक बार फिर असांजे ने एक न्‍यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि स्विटजरलैंड में सबसे ज्‍यादा काला धन भारत से आता है।

एडवर्ड स्नोडन ने खुलासे से मचाया था बवाल

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए में तकनीकी सहायक के रूप में काम कर चुके एडवर्ड स्नोडेन साल 2013 में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जानकारी सामने लाए थे। उन्होंने कहा था कि ओसामा की मौत की ख़बर झूठी है और ओसावा व उसके परिवार गुप्त तरीके से बहामास पहुंचा दिया गया है। इसके बाद उन्होंने दावा किया कि अमेरिका और ब्रिटेन के जासूसों ने एक हैकिंग ऑपरेशन में 1988 में इजरायली वायुसेना के संचार और गुप्त उड़ानों की निगरानी की थी। ऑपरेशन का कोड भी गुप्त रखा गया था। उनके इस खुलासे के बाद अमेरिका इज़रायल संबंधों में दरार आ गई थी।

उन्होंने एक और खुलासा किया था कि किस तरह आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर अमेरिका लोगों की निजी जिंदगी में तांक-झांक कर रहा है और लोगों की निजता के अधिकार का हनन कर रहा है। अमेरिका से जुड़ी ये ख़बरें उस वक्त पूरी दुनिया में सुर्खियां बनी थीं।

पनामा पेपर्स लीक

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इंटरनेशनल कन्सॉर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) नाम के एनजीओ ने पनामा पेपर्स के नाम से यह बड़ा खुलासा किया था। पनामा उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका को ज़मीन के रास्ते से जोड़ने वाला एक देश है। यहां की एक क़ानूनी फर्म मोसेक फोंसेका के सर्वर को 2013 में हैक करने के बाद यह खुलासा किया गया था। मोसेक फोंसेका एक लॉ कंपनी है। यह पैसे का मैनेजमेंट करने का काम करती है व सुरक्षित रूप से पैसा ठिकाने लगाने में मदद करती है। साथ ही यह फर्जी कंपनी खोलकर उनके कागज़ों का हिसाब रखती है। 70 देशों के 370 रिपोर्टरों ने इनकी जांच की है और यह जांच करीब 8 महीने तक की गई। दुनियाभर के 190 खोजी पत्रकार इस समूह से जुड़े हैं। इसमें 76 देशों के 109 मीडिया संस्थान शामिल रहे। 1 करोड़ 10 लाख दस्तावेज़ों का इस मामले में खुलासा किया गया था। 100 मीडिया ग्रुप्स के पत्रकारों को दस्तावेज दिखाए गए।

इन दस्तावेजों में बातया गया था कि कैसे पैसे वाले लोग ऐसी जगह अपना पैसा लगाते हैं जहां टैक्स का कोई चक्कर ही नहीं होता। इन देशों को टैक्स चोरी का स्वर्ग कहा जाता है। इन दस्तावेजों में इन दस्तावेजों में नवाज शरीफ, रूस के प्रधानमंत्री ब्लामिदीर पुतिन, पाकिस्तान की दिवगंत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो सहित भारत के 500 लोगों के नाम भी शामिल थे, जिनमें अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी जैसे दिग्गजों का भी नाम था। यही नहीं 143 राजनेताओं का नाम था जिनमें से 12 अपने - अपने देश के राष्ट्राध्यक्ष थे। उनके परिवार व नजदीकी लोग इससे जुड़े हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स में नाम होने के कारण पद से हटा दिया गया था।

पैराडाइज पेपर्स लीक

'पैराडाइज पेपर्स' में 1.34 करोड़ दस्तावेज शामिल हैं। इनमें से ज़्यादातर ‘एप्पलबी’ नाम की एक लॉ-फर्म से हैं। इस खुलासे के जरिये उन फर्मों और फर्जी कंपनियों के बारे में बताया गया है जो दुनिया भर में अमीर और ताकतवर लोगों का पैसा विदेशों में भेजने में उनकी मदद करते हैं। पैराडाइज पेपर्स लीक में पनामा की तरह ही कई भारतीय राजनेताओं, अभिनेताओं और कारोबारियों के नाम सामने आए हैं। आईसीआईजे के भारतीय सहयोगी मीडिया संस्थान इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस लिस्ट में कुल अमिताभ बच्चन, नीरा राडिया, नागरिक उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा, भाजपा से राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, विजय माल्या सहित 714 भारतीयों के नाम शामिल हैं साथ ही लिस्ट के मुताबिक भारत 19वें स्थान पर है।

हर बार क्यों आता है अमिताभ बच्चन का नाम

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पनामा पेपर्स के बाद अब पैराडाइज पेपर्स ने बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को विदेशों में काला धन छिपाने वालो की लिस्ट में शामिल किया है। इन पेपर्स में खुलासा किया गया है कि अमिताभ बच्चन भारत के उन 714 लोगों में शामिल हां जिन्होंने टैक्स हैवेन (वो देश जहां टेक्स कम लगता है) में फर्जी कंपनियों में पैसा लगाया। हालांकि इस लिस्ट में कई रसूखदारों के नाम है लेकिन सवाल उठ रहा है कि खुद को हर बार पाक साफ कहने वाले अमिताभ बच्चन का नाम ही बार बार ऐसी लिस्ट में क्यों आता है।

पैराडाइज पेपर में कहा गया है कि अमिताभ बच्चन 2000 - 2002 के बीच काला धन सैट कराने वाली फर्मों की मदद से बरमूडा नामक देश में एक फर्जी मीडिया कंपनी में शेयरधारक बने थे। ये वो ही समय था जब अमिताभ ने केबीसी का पहला शो होस्ट किया था और वो आर्थिक तंगी से उबर चुके थे। अमिताभ ने जलवा नामक इस मीडिया कंपनी में पैसा लगाया औऱ उसमें उनके साथ साझीदार थे सिलिकॉन वैली के वैंचर इन्वेस्टर नवीन चड्ढा। 2000 में खुली ये कंपनी 2005 में बंद हो गई।

अमिताभ का नाम आने से स्पष्ट हो रहा है कि अमिताभ ने अपनी कमाई पर टैक्स देने से बचने के लिए अपना पैसा बरमूडा की उस जाली कंपनी में लगाया जो शायद कभी आस्तित्तव में नहीं रही। ये वो दौर था जब अमिताभ अपनी आर्थिक तंगी से उबर चुके थे और उनके पास केबीसीएल की तरफ से अच्छा खासा पैसा आ गया था और वो फिर लाइमलाइट में आ गए थे।

अमिताभ बच्चन ने हमेशा ही ऐसे आरोपों का खंडन किया है। पेपर्स खुलासे से एक दिन पहले ही ब्लॉग लिखकर अमिताभ ने कहा कि पनामा पेपर्स में भी मेरा नाम आया था और मुझसे स्पष्टीकरण मांगा गया था। बदले में हमने आरोपों का खंडन करते हुए मेरा नाम इस्तेमाल करने का जवाब मांगा था जो कभी नहीं मिला। अमिताभ ने लिखा कि वो सदैव ही एक जिम्मेदार नागरिक रहे हैं औऱ इस नाते उन्होंने हमेशा हर जांच में सहयोग दिया है और अगर आगे भी जांच होती है तो वो सहयोग करते रहेंगे।

पैराडाइज पेपर्स में इस देश की महारानी का नाम भी शामिल

महारानी एलिज़ाबेथ

ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ II ने भी विदेशों (टैक्स हेवंस कंट्रीज) में काफी इन्वेस्टमेंट किया है। ये खुलासा अमेरिका के इंटरनेशनल कंशोर्शियम ऑफ इन्वेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) पैराडाइज पेपर्स में किया गया है। आपको बता दै कि ICJI वहीं है जिसने पनामा पेपर्स के जरिए कई अहम खुलासे किए थे। दुनिया भर के करीब सौ मीडिया संस्थान इन दस्तावेजों की जांच में लगे हुए है। पनामा पेपर्स की ही तरह ये दस्तावेज भी जर्मन अख़बार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने हासिल किए थे। दस्तावेज़ों की जांच इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने की है।

इस मामले से खुलासा हुआ है कि ब्रिटेन की महारानी के निजी धन में से लगभग 1 करोड़ पाउंड विदेश में निवेश किए गए है। इन्हें डची ऑफ़ लेंकास्टर ने कैयमन आइलैंड्स और बरमुडा के फंड में निवेश किया था। ये महारानी को आय प्रदान करते है और महारानी के करीब 50 करोड़ पाउंड की निजी संपत्ति के निवेश को संभालते है। हालांकि इन निवोशों में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है, इससे ये भई साबित नहीं होता है कि महारानी कर नहीं चुका रही है। लेकिन ये सवाल जरुर पूछा जा सकता है कि महारानी को विदेश में निवेश करना चाहिए या नहीं। इनके अलावा गरीबों का शोषण करने के आरोपी माने जाने वाले रीटेलर समूह ब्राइटहाउस में भी छोटे निवेश किए। साथ ही ऑफ़-लाइसेंस फर्म थ्रेशर्स में भी निवेश किया गया।

क्वीन ही नहीं इस देश के सलाहकार भी है शामिल

न्यूज एजेंसी के मुताबिक पैराडाइज पेपर्स में कनाडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो के लिए पैसा जुटाने वाले और सीनियर एडवाइजर स्टीफन ब्रोनफमैन ने भी करीब 60 मिलियन डॉलर टैक्स हेवंस देशों में जमा किया है। इस रिपोर्ट में इस बात की कोई जानकारी नहीं दी है कि रॉस, ब्रोनफमैन या एलिजाबेथ की प्राइवेट प्रॉपर्टी अवैध तरीके से जुटाई गई। माना जा रहा है कि ब्रोनफमैन का नाम सामने आने से ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सत्ता में आने से पहले टूड़ो ने वादा किया था कि आर्थिक असमानता और टैक्स खत्म करेंगे।


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