By: Devendra Gautam
9/11/2017 9:26:44 AM
new delhi

सीरियन सेना के महान कमांडर जनरल इस्साम ज़हहरादिन

अभिमन्यु कोहाड़

 2014 में सीरिया के देर इज़्ज़ोर शहर को पूर्ण रूप से इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने घेर लिया था। इस तरह का अंदेशा जताया जा रहा था कि कभी भी आतंकी शहर के अंदर घुसकर वहां रह रहे लाखों लोगों की हत्या कर देंगे। आतंकियों और आम सीरियन लोगों के बीच में खड़े थे जनरल इस्साम ज़हहरादिन के नेतृत्व में सिर्फ सैंकड़ों सीरियन सैनिक। सैनिकों के पास खाने की कमी भी थी और हथियारों की कमी भी। उनके पास केवल 2 टैंक थे। खाना व गोला बारूद पहुंचने का कोई रास्ता नहीं था। निकट के शहर क़ामिश्ली में सीरियन सेना, रूसी वायुसेना और यूनाइटेड नेशन के जहाज उतरते थे और वहां से 2 हेलीकॉप्टरों के द्वारा रसद और खाना देर इज़्ज़ोर शहर में पहुंचाया जाता था। देर इज़्ज़ोर शहर के एयरपोर्ट पर भी आतंकियों का कब्ज़ा हो चुका था। 

हालात बहुत नाजुक थे। लेकिन जनरल इस्साम ज़हहरादिन के नेतृत्व में सीरियन सैनिक ठान चुके थे कि वो किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे और खुद के जिंदा रहते वो आतंकियों को देर इज़्ज़ोर शहर में नहीं घुसने देंगे। हज़ारों आतंकियों ने लगातार कई बार शहर पर हमले कर के अंदर घुसने का प्रयास किया लेकिन हर बार वो सीरियन सैनिकों की बहादुरी के सामने नाकाम होते रहे। सैंकड़ों सीरियन सैनिक शहीद हुए लेकिन उस से पहले वो हज़ारों आतंकियों को नरक का रास्ता दिखा चुके थे। 

जनरल इस्साम ज़हहरादिन के बेटे यरूब इस्साम ज़हहरादिन भी उनके साथ आतंकियों से लोहा लेते रहे। आखिरकार 3 साल के लंबे संघर्ष के बाद और रूसी सेना की मदद से सीरियन आर्मी की टाइगर फोर्सेज ने इस्लामिक स्टेट के आतंकियों द्वारा की गई शहर की घेराबंदी तोड़ी और देर इज़्ज़ोर शहर के निवासियों में दोबारा से खुशी की लहर दौड़ गयी। 

हम सलाम करते है जनरल इस्साम ज़हहरादिन के साहस और करिश्माई नेतृत्व को और सीरियन सैनिकों के जज्बे को। 

इस युद्ध के बारे में आप विस्तार से अभिमन्यु कोहाड़ की आने वाली किताब "सीरियन युद्ध की सच्चाई" में पढ़ सकते हैं।


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