सुप्रीम कोर्ट ने सहारा को मोहलत देने से किया इनकार, लगाई फटकार

By: Dilip Kumar
9/12/2017 2:23:51 AM
नई दिल्ली

उच्चतम न्यायालय ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 966 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए और दो महीने का समय देने की अपील की गई थी। सहारा प्रमुख ने न्यायालय से 1,500 करोड़ रुपये की राशि में से शेष बची 966 करोड़ रुपये की राशि को जमा कराने के लिए 11 नवंबर तक का समय देने की अपील की थी।

न्यायालय ने उनकी इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह शीर्ष अदालत का कानून से खेलने के लिए एक प्रयोगशाला की तरह उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। न्यायालय ने आधिकारिक परिसमापक को समूह की ऐंबी वैली परियोजना की नीलामी पर तय समय के अनुसार ही बढ़ने का निर्देश दिया। समूह की महाराष्ट्र की ऐंबी वैली संपत्ति का मूल्य 37,392 करोड़ रुपये है। इसके साथ ही न्यायालय ने रॉय की 11 नवंबर तक का समय देने की याचिका को खारिज कर दिया।

न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया जब रॉय ने बताया कि उन्होंने सेबी-सहारा खाते में 533.20 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं और वह शेष 966.80 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान 11 नवंबर की तारीख वाले चेकों के जरिए करना चाहते हैं। न्यायालय ने कहा कि सहारा प्रमुख ने सिर्फ अतिशयोक्तिपूर्ण और वाकपटुता वाले बयान दिए हैं, लेकिन यह पूरी राशि अब तक जमा नहीं कराई गई है।

न्यायालय ने 25 जुलाई को सहारा प्रमुख को 1,500 करोड़ रुपये की राशि 7 सितंबर तक सेबी-सहारा खाते में जमा करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि उसके बाद ही रॉय निवेशकों को बकाया राशि के पूर्ण भुगतान के लिए 18 माह का और समय मांगने की याचिका पर बहस कर सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आगे की 11 नवंबर की तारीख के चेकों के लिए मंजूरी देना न्याय का उपहास बनाने जैसा होगा। यह एक प्रकार से ऐसे व्यक्ति से सहानुभूति दिखाने जैसा होगा जो निश्चित रूप से कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा, वह अगर यह समझते हैं कि वह कानून के साथ खेल सकते हैं, तो यह उनकी गलत धारणा है।

पीठ में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि सहारा प्रमुख शीर्ष अदालत को एक प्रयोगशाला की तरह मान रहे हैं। हम यह कहने को विवश हैं कि सहारा प्रमुख ने अपने तरीके से अदालत को प्रयोगशाला की तरह माना और बेढ़ब तरीके से खेलने का प्रयास किया। संभवत: वह मान रहे थे कि वे जब तक चाहे वेंटिलेटर के भरोसे चल सकते हैं। पीठ ने कहा, उन्हें यह सलाह दी जानी चाहिए कि कोई व्यक्ति जब वेंटिलेटर पर चला जाता है तो वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहता। ऐसा समय आता है जब वह निष्क्रिय हो जाता है।

पीठ ने निर्देश दिया कि ऐंबी वैली की नीलामी पहले से तय निर्देशानुसार 10-11 अक्टूबर को मुंबई में की जाए। उच्चतम न्यायालय ने आधिकारिक परिसमापक को निर्धारित प्रक्रिया के तहत नीलामी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को कहा।


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