एप्पल की शुरुआत में इस मंदिर की है अहम भूमिका

By: Dilip Kumar
9/13/2017 5:45:45 PM
नई दिल्ली

आईफोन X के लांच होते ही एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. सोशल मीडिया से लेकर सर्च ईंजन तक पर लोग स्टीव जॉब्स के बारे में पढ़-लिख रहे हैं. हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि स्टीव जॉब्स का भारत से खास नाता है. स्टीव जॉब्स खुद स्वीकार चुके हैं कि उत्तराखंड के मंदिरों आने के बाद उनके जीवन बड़ा बदलाव हुआ. भारत से लौटने के बाद ही उन्हें एप्पल कंपनी बनाने की प्रेरणा मिली. स्टीव जॉब्स के साथ 'एप्पल' कंपनी का नामकरण का नाता भी भारत से जुड़ा है.

नीम करोली बाबा के आश्रम में स्टीव जॉब्स को मिला ज्ञान: साल 1974 में स्टीव जॉब्स लीक से हटकर कुछ करना चाह रहे थे, तभी उनके किसी दोस्त ने सलाह दी कि वे भारत जाएं. इसी साल स्टीव जॉब्स अपने दोस्त के साथ उत्तराखंड पहुंचे. यहां वे कई मंदिरों और आश्रम में रहे. इसी दौरान वे नैनीताल स्थित नीम करौली बाबा के कैंची आश्रम पहुंचे. उस समय तक नीम करौली बाबा की मौत हो चुकी थी, लेकिन उन्होंने यहां 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगी' नामक किताब पढ़ी. स्टीव जॉब्स खुद कह चुके हैं कि इस किताब को पढ़ने के बाद उनके विचार बदल गए और जीवन को देखने का उनका नजरिया बदल गया.

भारत में जमीन में सोते थे स्टीव जॉब्स: स्टीव जॉब्स कहते थे उस क्षण को वह कभी नहीं भूल पाएंगे जब उन्होंने कॉलेज छोड़ने का फैसला किया. वह दोस्तों के साथ जमीन पर सोते थे और रविवार को दोस्तों के साथ 11 किमी पैदल चल कर खाने के लिए हरे कृष्णा मंदिर आया करते थे. भारतीय अध्यात्म में स्टीव की गहरी रुचि थी.

भारत से लौटने के बाद स्टीव जॉब्स अमेरिका में बौद्ध बन गए. उन्होंने सिर मुंडवा लिया था और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए थे. पूर्ण रूप से शाकाहारी बन चुके थे.एप्पल कंपनी नाम भी भारत से जुड़ा: स्टीव जॉब्स की नंबर-1 कंपनी एप्पल को ये नाम भारत की वजह से ही मिला. भारत आकर स्टीव और उनके दोस्त ने 15 दिनों तक सबसे ज्यादा एप्पल ही खाए थे. बस वहीं से इन्हें अपनी कंपनी का नाम सूझा.


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