सूर्य के उत्तरायण होने का त्यौहार है मकर संक्रांति

By: Dilip Kumar
1/13/2018 5:20:48 PM
नई दिल्ली

भारत वर्ष में कई त्यौहार मनाए जाते हैं। उन प्रमुख त्यौहारों में एक है मकर सक्रांति। इसे कई नाम से जाना जाता है। आसाम में इसे माघ बिहू के नाम से मनाते हैं तो तमिल में पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य
नारायण मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसलिय इसे मकर सक्रांति कहा जाता है।

मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य भगवान की उत्तरायण गति आरम्भ हो जाती है। भागवत गीता में कहा गया है कि 6 महीने दक्षिणायन के व 6 महीने उत्तरायण के होते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन माना गया है व दक्षिणायन को रात। इसलिये उत्तरायण में देह त्याग कर गया मनुष्य भगवान श्री कृष्ण के धाम को जाता है। महाभारत में भीष्म पितामह ने भी इसी दिन देह त्याग किया था। माता यशोदा ने श्री कृष्ण को पुत्र रूप में पाने के लिए इस दिन व्रत किया था।

गंगा नदी का सागर में संगम भी इसी दिन हुआ था। इसलिए मकर सक्रांति को गंगा सागर पर बहुत बड़ा मेला लगता है। मकर सक्रांति को स्नान दान व तप का विशेष महत्व है। इस दिन शुभ मुहूर्त में किए गए दान का कई हजार गुणा फल मिलता है। मकर सक्रांति पर तिल के दान का विशेष महत्व है। पूरेदेश में तिल से बने व्यंजनों का भगवान को भोग चढ़ाया जाता है व तिल का दान दिया जाता है।

पवित्र माघ मास में जो व्यक्ति नित्य भगवान विष्णु की तिल से पूजा करता है उसके सारे कष्ट कट जाते हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करें व तिल की मिठाई का भोग लगाएँ। इस दिन प्रातः स्नान कर सुर्य उदय के दर्शन करने चाहिए व सूर्य भगवान की पूजा अचना करनी चाहिए। तिल व खिचड़ी का दान करें। सुहागनों को अपने अखंड सौभाष्य के लिए सुहाग की चीजों का दान अवष्य करना चाहिए। क्योंकि इस दिन किया दान अखंड रहता है।

भगवान विष्णु ने भी असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा इसी दिन की थी। तो यह त्यौहार बुराईयों पर अच्छाइयों की जीत व नकारात्मकता को खत्म करने का त्यौहार भी है। मकर सक्रांति का त्यौहार ज्यादातर 14 जनवरी को मनाया जाता है। पर इस साल 2018 में ये त्यौहार 14 जनवरी व 15 जनवरी को दो दिन लगातार मनाया जाएगा। धन्य है मरेा भारत महान व धन्य है यहाँ के सारे त्यौहार। एक नए दिन की शुरुआत एक नए दिन का आगाज़ मकर सक्रांति की सभी को ढेरों शुभकामनाएं।
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सूर्य के उत्तरायण में प्रवेश को भारत में एक पर्व के रूप में मनाने की परंपरा सदियों से रही हैl सूर्य के मकर राशि में आने के बाद से रबी की फसलों की कटाई का समय शुरू हो जाता है। हिन्दू ज्योतिष में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय बनने वाली कुंडली से आगामी तीन महीनों के संभावित सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रमों के सम्बन्ध में भविष्याणियां की जाती रहीं हैं। क्योंकि सूर्य के चर राशियों मकर, मेष, कर्क और तुला में प्रवेश के समय की कुंडलियों का मेदिनी ज्योतिष में अधिक महत्व होता है।
सूर्य आगामी 14 जनवरी को भारतीय मानक समय के अनुसार दोपहर 1 बज कर 47 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश आएंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय वृषभ लग्न उदय हो रहा होगा जो कि आज़ाद भारत की कुंडली का जन्म लग्न है। संक्रांति या पूर्णिमा-अमावस्या के स्थानीय समय अनुसार उदय होने वाला लग्न यदि देश के जन्म लग्न की राशि से मेल खाए तो वह समय विशेष देश के लिए काफी संवेदनशील होता है।

अत आगामी तीन महीनों, विशेषरूप से 31 जनवरी के चंद्र ग्रहण के बाद देश में बड़े सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। वृषभ लग्न की मकर संक्रांति कुंडली में बुध, शनि, चंद्र और गुरु की धन भाव पर दृष्टि अर्थव्यस्था में बड़े सुधारों का संकेत दे रही है। केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने का प्रयास करके आम जनता को महंगाई से बड़ी राहत देने की सोच सकती है। किन्तु लाभेश गुरु का बाहरवें भाव के स्वामी मंगल के साथ छठे भाव में जाना शेयर बाजार में गिरावट का संकेत है।

अष्टम भाव में धनेश बुध का शनि और चन्द्रमा के साथ होना किसी बड़े आर्थिक घोटाले के उजागर होने का ज्योतिषीय संकेत दे रहा है। संक्रांति कुंडली में लग्न और छठे भाव के स्वामी शुक्र का सूर्य से अस्त होकर मंगल की दृष्टि से पीड़ित होना आगामी एक महीने में आतंकी गतिविधियों में तेजी का योग दिखा रहा है। 31 जनवरी के चंद्र ग्रहण के आसपास देश में आतंकी घटनाएं होने की आशंका है। इससे भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ेगा। संक्रांति कुंडली में तीसरे घर के स्वामी चंद्र और चौथे घर के स्वामी सूर्य का पाप ग्रहों से पीड़ित होना आगामी एक महीने के भीतर किसी बड़ी रेल या हवाई दुर्घटना का ज्योतिषीय योग बना रहा है।


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