WORLD RADIO DAY SPECIAL

By: Dilip Kumar
2/14/2018 11:09:02 AM
नई दिल्ली

शहर में 6 रेडियो स्‍टेशन 11 लाख श्रोता रोज डेढ़ घंटे औसतन लिसनिंग। रेडियो हमारे अकेलेपन का साथी है, जो हमेशा गीत-संगीत और रोचक कार्यक्रमों से हमें मनोरंजन देता है। यही वजह है कि निजी एफएम रेडियो चैनल्स की डिमांड बढ़ी है और उनके सुनने वालों की संख्या भी। यही कारण है कि वर्ष 2008 में रेडियो इंडस्ट्री का कमाई 800 करोड़ थी, जो 2015 में बढ़कर 2 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। रेडियो दिन-ब-दिन अपने लिसनर्स बढ़ा रहा है। आज देश के 99 फीसदी हिस्से में रेडियो की पहुंच है और इसकी ताकत को पहचानकर ही प्रधानमंत्री ने 'मन की बात' के लिए रेडियो को ही चुना।

रेडियो सिलोन से निजी एफएम चैनल तक का मनोरंजक सफर वक्त के साथ और दिलचस्प हो गया है। एक वक्त रेडियो को चालू होने में ही कई मिनट लग जाते थे, जबकि डिजिटल युग में आज मोबाइल फोन में हेडफोन को कनेक्ट करते ही एफएम का मजा लिया जा रहा है। 'अमीन सयानी' की आवाज और फौजी भाइयों का कार्यक्रम 'जयमाला', 'हवामहल' के सुनहरे दौर को आज 'मन की बात' ने फिर से लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया है।ऑल इंडिया रेडियो इंदौर की अनाउंसर रहीं देवेंदर कौर मधु बताती हैं कि 1976 में जब उन्होंने रेडियो ज्वाइन किया था तब नामी कलाकार, साहित्यकार या नेता-अभिनेता रेडियो पर प्रोग्राम देने आया करते थे। सेटेलाइट टीवी चैनलों के आने से रेडियो की लिसनिंग कम हो गई थी, लेकिन अब फिर रेडियो का दौर लौट आया है। एफएम रेडियो और आकाशवाणी की डीटीएच सेवाओं पर 24 घंटे प्रसारण ने श्रोताओं को फिर अपनी ओर आकर्षित किया है। यही कारण है कि यंगस्टर्स को आरजे बनने के मौके भी मिल रहे हैं।

नए सॉफ्टवेयर्स पर हो रहीं रिकॉर्डिंग्स

उद्घोषक प्रवीण शर्मा कहते हैं कि रेडियो में तकनीकी रूप से बहुत बदलाव आ गया है। पहले रिकॉर्डिंग टेक्निक एनॉलॉग थी लेकिन अब यह कंप्यूटर बेस्ड हो गई है। 'नेतिया', साउंडफोर्ज के नए वर्जन आ जाने से रिकॉर्डिंग क्वालिटी में पिछले 10 साल के दौरान क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। पुरानी फिल्मों और कार्यक्रमों के एलपी और सीडीज को कन्वर्ट कर अब सॉफ्टवेयर में फीड कर दिया गया है। यह काम ईएमआरसी और साउंड इंजीनियरिंग के कई स्टूडेंट्स इंटर्नशिप के रूप में पूरा कर रहे है। लाखों गाने सॉफ्टवेयर में फीड हैं और इससे हम अपने श्रोताओं की फरमाइश के गाने उसी समय सुनाने की क्षमता रखते हैं।

देखी हमारे साथ रेडियो की मैच्युरिटी

आरजे ऋतभंरा बताती हैं कि जब उन्होंने एफएम से अपने करियर की शुरुआत की तब अधिकांश आरजे यंग थे। पर हमने अपनी मैच्युरिटी के साथ रेडियो की मैच्युरिटी को भी अनुभव किया है। अब प्रायवेट एफएम पर केवल हंसी-मजाक नहीं बल्कि मीनिंगफुल बातें हो रही हैं।

अब है जॉब श्योरिटी-

मैंने 15 साल पहले जब रेडियो ज्वाइन किया तब यह प्रश्न रहता था कि इसमें जॉब श्योरिटी कितनी होगी, पर अब यह प्रश्न कोई नहीं करता। यह कहना है आरजे अभिजीत का। वे बताते हैं कि अब इस क्षेत्र में काफी यंगस्टर्स अपना करियर बना रहे हैं, रेडियो ने अपना वजूद वापस कायम कर लिया है। इसकी वजह है इसका शुद्ध मनोरंजन देना।

आदिवासी इलाकों में खोले रेडियो स्टेशन

रेडियो की लोकप्रियता को समझते हुए प्रदेश सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में रेडियो स्टेशन खोल दिए हैं। आदिवासी लोक संस्कृति को बचाए रखने के लिए रेडियो एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है।

अब फोकस गांवों की ओर

सरकार ने तीसरे चरण में 839 नए निजी एफएम रेडियो स्टेशन की मंजूरी दी है। पहले फेज में मेट्रो सिटी में एफएम आए थे वहीं दूसरे चरण में 'ए' प्लस सिटी, क्लास ए, बी, सी सिटी में एफएम शुरू हुआ। अब तीसरे चरण में क्लास डी, डी से नीचे और गांवों को कवर किया जाएगा।

डेढ़ करोड़ की पॉपुलेशन कवर कर रहा एआईआर इंदौर

आकाशवाणी इंदौर का ट्रांसमीटर मीडियम वेव 200 किलोवॉट का है। यह 38 हजार 960 स्क्वेयर किलोमीटर के एरिया में करीब 1 करोड़ 51 लाख 72 हजार 427 जनसंख्या कवर करता है। विविध भारती एफएम का 70 स्क्वेयर किमी का एरिया करीब 56 लाख 20 हजार की जनसंख्या को कवर करता है।

-उमेश कुलकर्णी, कार्यक्रम अधिकारी, आकाशवाणी इंदौर

कुछ दिलचस्प तथ्यः

  • वर्ष 2008 में रेडियो इंडस्ट्री का कमाई 800 करोड़ थी, जो 2015 में बढ़कर 2 हजार करोड़ तक पहुंच गई।
  •  घरों में 70 और कार में 22 प्रतिशत लोग रेडियो सुनते हैं।
  •  रेडियो सुबह 9 से 11 बजे के बीच सबसे ज्यादा सुना जाता है।
  • शनिवार की बजाए रविवार को रेडियो सुनने वालों की संख्या ज्यादा होती है।

 


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