सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर, इन देशों में बन चुका है कानून

By: Dilip Kumar
3/9/2018 3:46:45 PM
नई दिल्ली

कोमा में जा चुके या मृत्यु शैय्या पर पहुंच चुके लोगों को निष्क्रिय इच्छामृत्यु का हक होगा। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने आदेश दिया है कि असाध्य रोग से ग्रस्त व्यक्ति ने उपकरणों के सहारे उसे जीवित नहीं रखने के संबंध में यदि लिखित वसीयत दिया है, तो यह वैध होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वसीयत का पालन कौन करेगा और इस प्रकार की इच्छा मृत्यु के लिए मेडिकल बोर्ड किस प्रकार हामी भरेगा, इस संबंध में वह पहले ही दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में कानून बनने तक उसकी ओर से जारी दिशा-निर्देश और हिदायत प्रभावी रहेंगे।

शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में 12 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखा था। फैसला देने वाली बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं। आपको बता दें कि इच्छा मृत्यु के मामले दो तरह के होते हैं- एक निष्क्रिय इच्छा मृत्यु और दूसरी सक्रिय इच्छा मृत्यु। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ऐसे व्यक्ति को उसके परिजनों की इजाजत से मरने की छूट दी जाती है जो जीवन रक्षक प्रणाली पर अचेत अवस्था में रहता है लेकिन तकनीकी तौर पर वो जीवित होता है। परिजनों के न होने पर डॉक्टर भी ये फ़ैसला कर सकते हैं।क्रिय इच्छा मृत्यु के मामले में ठीक न हो सकने वाले बीमारी की हालत में किसी मरीज को उसकी इच्छा से मृत्यु दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने सक्रिय इच्छा मुत्यु पर कोई सुनवाई नहीं है। आपको बता दें कि ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है।

अमेरीका- यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु गैर-क़ानूनी है लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उसकी मदद से मरने की इजाजत है।

स्विट्जरलैंड- यहां ख़ुद से ज़हरीली सुई लेकर आत्महत्या करने की इजाजत है, हालांकि इच्छा मृत्यु ग़ैर-क़ानूनी है।

नीदरलैंड्स- यहां डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छा मृत्यु और मरीज की मर्ज़ी से दी जाने वाली मृत्यु पर दंडनीय अपराध नहीं है।

बेल्जियम- यहां सितंबर 2002 से इच्छा मृत्यु वैधानिक हो चुकी है।

क्या है निष्क्रिय इच्छा मृत्यु

सुप्रीम कोर्ट ने मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छा मृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत (लिविंग विल) को मान्यता दी है। लिविंग विल एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। निष्क्रिय इच्छा मृत्यु (पैसिव यूथेनेशिया) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है।

 


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