By: Devendra Gautam
3/14/2018 10:25:09 PM
Ranchi

अघोर पंथ की सामाजिक भूमिका के वाहक थे भगवान राम

समरेन्द्र कुमार

रांची। भगवान राम महाविभूति स्थल के 19 वें स्थापना दिवस के अवसर पर सर्वेश्वरी समूह के जसपुर आश्रम में दो दिवसीय निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया है। यह समारोह हर वर्ष आयोजित किया जाता है जिसमें देश-विदेश से हजारों की संख्या में भक्तगण आते हैं। देश के जाने-माने चिकित्सक मानव सेवा के लिए  जुटते हैं। भगवान राम कीनाराम परंपरा के सिद्ध अघोर संत थे। उन्होंने अघोर परंपरा की सामाजिक भूमिका तय की थी। उसे श्मसान से हटाकर समाज के बीच स्थापित किया था। लोगों के मन में इस परंपरा के संबंध में बनी भ्रांतियों को तोड़ा था। उन्होंने साधना के वीभत्स तौर तरीकों की जगह सुगम मार्ग बताया जिसे गृहस्थ जीवन में भी संपन्न किया जा सकता है। अधोर साधना में पंच और सप्त मकार आवश्यक माना जाता है लेकिन सर्वेश्वरी आश्रम में मदिरापान की अनुमति नहीं है। सुगम होने के कारण देश-विदेश में लाखों लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं और इसके सैकड़ों केंद्र संचालित हो रहे हैं।

कहते हैं कि 1979 में भगवान राम जसपुर के सोगणा आश्रम में आए हुए थे तो उनके एक शिष्य चंद्रशेखर ने उनसे उनकी चरण पादुका मांग ली। उसे अभेद आश्रम में स्थापित कर दिया। उसकी श्रद्धा के साथ पूजा की जाती है। महानिभूति स्थल के स्थापना दिवस पर इसकी विशेष पूजा की जाती है।

भगवान राम अदभुत संत थे। उनका जन्म 12 सितंबर 1937 को भोजपुर जिले के गुंडीग्राम में हुआ था। मात्र सात वर्ष की आयु में उन्होंने गृह त्याग कर सन्यास धारण कर लिया था। उसी आयु में उन्होंने पूरे देश का भ्रमण किया था। 14 वर्ष की आयु में वे वाराणसी पहुंचे। कीनाराम द्वारा स्थापित क्रीं कुंड के तत्कालीन प्रमुख राजेश्वर राम ने उन्हें अधोर पंथ की दीक्षा दी। कठोर साधना के जरिए कई सिद्धियां प्राप्त करने के बाद वे गिरनार पर्वत गए जहां भगवान दत्तात्रेय ने उन्हें दर्शन दिया। उनके गुरु राजेश्वर राम उन्हें क्रीं कुंड का महंथ बनाना चाहते थे। लेकिन भगवान राम को एक मठ में बैठना गंवारा नहीं था। वे समाज के बीच जाना चाहते थे। उन्होंने अपनी जगह अपने शिष्य सिद्धार्थ गौतम राम को क्रीं कुंड का महंथ बनाया। 29 सितंबर 1961 को उन्होंने सर्वेश्वरी समूह की स्थापना की। उन्के शिष्य तीन तरह के हैं। सामान्य जन, गृहस्थ और मुड़िया साधु। मुड़िया साधु अघोर साधना करते हैं लेकिन समाज और राष्ट्र की सेवा के प्रति समर्पित रहते हैं। भगवान राम का महानिर्वाण 29 नवंबर 1992 को अमेरिका में हुआ था।


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