छत्तीस से तिरसठ में तब्दील हुआ आंकड़ा
By: Devendra Gautam
3/26/2018 2:25:30 AM
सत्ता की राजनीति में न कोई स्थाई दोस्त न दुश्म
समरेन्द्र कुमार
रांची। नगर निगम के निवर्तमान मेयर आशा लकड़ा और डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय कल तक कटु संबंधों को लेकर अखबारों में सुर्खियां बनते थे। पिछले चार साल तक विकास के हर महत्वपूर्ण अवसर पर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते रहे। विपरीत मत का प्रदर्शन करते रहे। ठेका-पट्टा हो या अन्य किसी भी तरह का काम इनके बीच मतभेद रहा। लेकिन चुनाव मैदान में उतरने के बाद वर्तमान में नजारा बदल चुका है। भाजपा ने आशा लकड़ा को दूबारा मेयर का प्रत्याशी बनाया तो संजीव विजयवर्गीय डिप्टी मेयर के लिए फिर पार्टी की पंसद बने।
पार्टी के वरीय नेताओं ने टिकट देने के पहले दोनों को सख्त हिदायत दी कि चुनाव में आपस में सामंजस्य बनाए रखेंगे। इन दिनों दोनों की भाषा बदल चुकी है। सारे मतभेद खत्म हो गए हैं। नगर निगम चुनाव में वोट को लेकर दोनों के बीच एका कायम हो चुका है। मानसिक सोच एक हो गया है।
अब यह देखना काफी दिलचस्प हो गया है कि दोनों अपने मतदाताओं को कैसे विश्वास दिला पाएगें कि उनके बीच कोई खटास शेष नहीं रही। विकास के प्रति उनका सोच, विचार हो गया है। अब वे जीतने के बाद मिलकर विकास का काम करेगें। इधर मतदाता भी इस अवसरवादी दोस्ताना रिश्ते और गलबहियां को भलि-भांति समझ रही है। चुनावी नतीजे बताएंगे कि रांची के लोग इसे किस रूप में ले रहे हैं।