सिर्फ दलितों के नहीं, हर शोषित-वंचित वर्ग की आवाज थे आंबेडकर

By: Dilip Kumar
4/14/2018 1:45:55 PM
नई दिल्ली

भीमराव आंबेडकर की आज (14 अप्रैल) जयंती है। समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ व संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को बाबा साहेब के नाम से भी जाना जाता है। भीमराव आंबेडकर आज की राजनीति के ऐसे नायक है, जिसे हर पार्टी 'अपना' बनाना चाहती है। लेकिन बाबा साहेब समाज के वो नायक थे, जो ताउम्र गरीब और वंचित वर्गों की आवाज बने। उन्हें भले ही दलितों का मसीहा माना जाता हो, लेकिन यह भी सच्चाई है कि उन्होंने सिर्फ दलितों की ही नहीं बल्कि समाज के सभी शोषित-वंचित वर्गों के अधिकारों की आवाज उठाई।

आंबेडकर सिर्फ दलितों के थे। उन्होंने समाज के हर उस वंचित वर्ग के अधिकारों की बात की, जिसे समाज में दबाया गया। उन्होंने श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया। डॉ. आंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन चलाया। अछूतों को भी हिंदू मंदिरों में प्रवेश करने का अधिकार दिलाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया।आंबेडकरकी गिनती दुनिया के सबसे मेधावी व्यक्तियों में होती थी। वे 9 भाषाओं के जानकार थे।

उन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानद उपाधियां मिली थीं। इनके पास कुल 32 डिग्रियां थीं। यही वजह है कि आंबेडकर को प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भारत का पहला कानून मंत्री बनाया था। एनडीए सरकार के अस्तिव के आने के बाद समान नागरिक संहित की आवाज कई बार उठी। लेकिन वास्तव में बाबा साहेब भी समान नागरिक संहिता के पक्षधर थे और कश्मीर के मामले में धारा 370 का विरोध करते थे।


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