आदिवासी और सदान आमने-सामने

By: Devendra Gautam
4/27/2018 11:42:24 PM
Ranchi

 

रांची। झारखंड में कुरमी और तेली को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर दोनों जमातों के लोग आमने-सामने आ गए हैं। जहां एक ओर कुरमी समाज के लोगों ने इसको लेकर आर-पार की लड़ाई की तैयारी कर ली है वहीं आदिवासी समाज भी कानून में किसी प्रकार के संशोधन के खिलाफ सड़क पर उतर कर विरोध कर रहा है।

इसके विरोध में आदिवासी संगठनों ने हाल में मोरहाबादी में रैली की। 32 आदिवासी जाति बचाव महारैली में शामिल लोगों ने सरकार से आदिवासी धर्म कोड लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और हिंदू धर्म में अंतर है। कुरमी और तेली आदिवासी नहीं हैं। महारैली में अलग-अलग जिलों से करीब 25 हजार लोग शामिल हुए। इसमें रांची, रामगढ़, बोकारो, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, पूर्वी पश्चिमी सिंहभूम, संथाल परगना जैसे इलाकों के लोग शामिल थे। महारैली में पुस्तकों का भी वितरण किया गया। इन पुस्तकों में ‘भूमि अधिग्रहण’ एवं ‘सीएनटी एक्ट’ के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है।

इस मौके पर आदिवासियों से अपील की गयी कि सरना धर्म के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए सभी आदिवासी संगठन मिलकर आंदोलन करें। देश के नीति नियंता सरना धर्म और हिंदू धर्म के फर्क को समझें। मंच से सरना और हिंदू धर्म के बीच के अंतर के बारे में समझाने की कोशिश की गयी। इसके साथ ही आदिवासियों की अनदेखी करने का आरोप भी लगाया गया। कहा गया कि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो और बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे। इस मौके पर देव कुमार धान, देवेंद्र नाथ चांपिया, चित्रसेन सिंकू, सघनू भगत, प्रो विनोद भगत व अन्य आदिवासी नेताओं ने संबोधित किया।

      इधर कुर्मी तेली जाति के लोगों ने भी आदिवासी समुदाय में सूचीबद्ध होकर सुविधाओं का लाभ ठाने के लिए लगातार आंदोलनात्मक कार्यक्रम कर शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। इस मुद्दे को लेकर कभी भी टकराव की स्थिति बन सकती है। वोटों का गणित हल करने के क्रम में विवाद को हवा दी जा रही है।


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