चमगादड़ से निकला `मौत का वायरस निपाह`,चपेट में आए तो नहीं हो पाएगा इलाज

By: Dilip Kumar
5/22/2018 4:39:57 PM
नई दिल्ली

अब तक निपाह वाइरस से 6 लोगों की मौत हो गई है. और एक व्यक्ति का इलाज चल रहा है जबकि आठ अन्य लोगों को निगरानी में रखा गया है. इसके बाद मामले की जांच के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गठित चिकित्सकों का उच्च स्तरीय दल वहां पहुंच गया है. राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने आज बताया कि केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलाजा ने बताया कि 'स्वास्थ्य विभाग ने सभी सावधानी बरतने के निर्देश जारी कर दिए हैं. यह वायरस शरीर के सीधे स्पर्श या संपर्क के माध्यम से फैल रहा है.' राज्य की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने आज बताया कि पिछले एक पखवाड़े में जिन तीन लोगों की मौत हुई है, वे एक ही परिवार के हैं. इनमें से दो भाई थे और उनकी आयु 20 साल से अधिक थी. जिस व्यक्ति का इलाज चल रहा है वह वाइरस से मरने वाले दोनों भाइयों के पिता हैं.

निपाह वाइरस पशुओं से मनुष्य में फैलता है. इससे पशु और मनुष्य दोनों गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं. इस विषाणु के स्वाभाविक वाहक फ्रूट बैट (चमगादड़) हैं. मंत्री ने बताया कि एक चमगादड़ मृतकों के घर के कुएं में पाया गया था. उसे अब बंद कर दिया गया है. इन लोगों का उपचार करने वाली एक नर्सिंग सहायक लिनी की आज सुबह मौत हो गई. हालांकि, इस बात की पुष्टि होनी अभी बाकी है कि क्या वह विषाणु से संक्रमित थी. पांच और लोगों की यहां और पड़ोसी मलप्पुरम जिले में उच्च ज्वर और विषाणु के अन्य समान लक्षणों से मौत हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने हालांकि बताया कि अभी इस बात की पुष्टि होनी बाकी है कि क्या ये मौतें विषाणु की वजह से हुईं.

स्वास्थ्य मंत्री शैलजा और श्रम मंत्री टी पी रामकृष्णन ने अधिकारियों के साथ चर्चा की और आश्वासन दिया कि सरकार ने विषाणु के प्रसार को रोकने के लिये सभी जरूरी कदम उठाए हैं. राज्य पहली बार इस विषाणु से प्रभावित हुआ है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का एक उच्चस्तरीय दल पहले ही हालात का जायजा लेने के लिये कोझीकोड जिले में पहुंच गया है. राज्य को हाई अलर्ट पर रखा गया है और यहां दो नियंत्रण कक्ष खोले गए हैं.

मंत्री ने कहा कि डरने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है. उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन लोगों की सूची बनाई है जो उन मरीजों के संपर्क में आए थे. एहतियाती उपाय के तौर पर उन्हें अलग कर दिया गया है’’ मंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के आस-पास के अस्पतालों से विशेष वार्ड स्थापित करने को कहा गया है और अगर मरीजों में विषाणु के लक्षण हों तो उन्हें मेडिकल कॉलेज भेजने का निर्देश दिया गया है. उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के निदेशक के नेतृत्व में एक मल्टी डिसिप्लीनरी टीम का गठन किया है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘स्वास्थ्य मंत्रालय ने चिकित्सकों के एक उच्च स्तरीय दल के गठन का निर्देश दिया है और चुनी हुई टीम केरल पहुंच गई है. इस बात का संदेह है कि चमगादड़ से विषाणु का प्रसार हो रहा है’’ अधिकारी ने कहा, ‘‘टीम में पशुपालन, राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद समेत अन्य संस्थानों के अधिकारी शामिल हैं. मंत्रालय हालात की निगरानी के लिये केरल के स्वास्थ्य विभाग के साथ करीबी संपर्क में है.’’ विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वाइरस से मनुष्य में कई बिना लक्षण वाले संक्रमण से लेकर एक्यूट रेस्पीरेटरी सिंड्रोम और प्राणघातक इन्सैफेलाइटिस तक हो सकता है.

डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार एनआईवी (निपाह वाइरस) से सुअरों और अन्य घरेलू जानवरों में भी बीमारी हो सकती है. अभी न तो मनुष्य और न ही पशुओं के उपचार के लिये इसका टीका विकसित हुआ है. मनुष्य के मामलों में इसका प्राथमिक उपचार इंटेंसिव सपोर्टिव केयर (सघन सहायक देखभाल) के जरिये किया जा सकता है. निपाह वाइरस (एनआईवी) की पहचान पहली बार 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगई निपाह में बीमारी के फैलने के दौरान हुई थी. उस समय सूअर इसके वाहक थे. हालांकि, बाद में एनआईवी के प्रसार में बीच का कोई वाहक नहीं था. बांग्लादेश में 2004 में इस विषाणु का मनुष्य में संक्रमण हुआ था. यह विषाणु संक्रमित चमगादड़ से दूषित, खजूर का रस पीने से फैला था.

शनिवार (19 मई) को जिले में एक निजी अस्पताल में 50 वर्षीय महिला की मौत हो गयी थी, जबकि उसके 25 और 23 साल के दो रिश्तेदारों की क्रमश: 18 और 5 मई को मृत्यु हो गयी थी. इससे पहले लोकसभा सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने केरल के कोझिकोड जिले में एक विषाणु के प्रकोप को रोकने के लिए केंद्र की मदद मांगी थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखे पत्र में रामचंद्रन ने कहा कि उनके लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र वताकरा में कुट्टियाडी तथा पेरम्ब्रा सहित कुछ पंचायत क्षेत्र ‘घातक विषाणु’ की चपेट में हैं. सांसद ने पत्र की एक प्रति यहां प्रेस को भी उपलब्ध कराई. उन्होंने कहा कि कुछ चिकित्सकों ने इसे निपाह नामक विषाणु बताया है, जबकि अन्य ने इसे जूनोटकि विषाणु बताया है जो तेजी से फैलता है.

इस बीच, दिल्ली से प्राप्त खबर के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने रविवार (20 मई) को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के निदेशक को राज्य सरकार की सहायता करने के लिए केरल के कोझिकोड़ की यात्रा करने का निर्देश दिया. मंत्री के निर्देश पर एक केंद्रीय टीम केरल जाएगी. नड्डा ने ट्वीट कर कहा कि उन्होंने स्थिति की समीक्षा की.

कोझिकोड जिले के चंगारोठ में वायरस संक्रमण से मौत के बाद कम से कम 30 परिवार घर छोड़कर चले गए हैं। दो गांव भी खाली हो चुका है। यहां करीब 150 लोग खुद गांव से बाहर चले गए हैं। स्वास्थ कर्मचारी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चमगादड़ों को पकड़कर मारने में जुटे हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे कम से दो सप्ताह तक उन इलाकों में अपने रिश्तेदारों के पास नहीं जाएं जहां संक्रमण फैला है। गांववालों ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने मरे हुए चमगादड़ देखे थे मगर इसपर ध्यान नहीं दिया था। फ्रूट बैट प्रजाति के चमगादड़ इस संक्रमण को तेजी फैलाते हैं। इसकी वजह यह है कि यह एक मात्र स्तनधारी है जो उड़ सकता है। पेड़ पर लगे फलों को खाकर संक्रमित कर देता है। जब पेड़ से गिरे इन संक्रमित फलों को इनसान खा लेता है तो वह बीमारी की चपेट में आ जाता है।
फिलहाल निपाह वायरस से संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। एक बार संक्रमण फैल जाने पर मरीज 24 से 48 घंटे तक में कोमा जा सकता है और मौत तक संभव है। 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव के लोग पहली बार इस संक्रमण से पीड़ित हुए थे। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा। संक्रमित होने वाले ग्रामीण सुअर पालते थे। मलेशिया में शोध कर रहे डॉ़ बिंग चुआ ने पहली बार 1998 में इस बीमारी का पता लगाया। बांग्लादेश में भी निपाह वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है। फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिये निपाह वायरस तेजी से फैलता है। इसका संक्रमण जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है।

लक्ष्ण

धुंधला दिखना

चक्कर आना

सिर में लगातार दर्द रहना

सांस में तकलीफ

तेज बुखार

ऐसे बचें


पेड़ से गिरे हुए फल न खाएं।

जानवरों के खाए जाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें

जहां चमगादड़ अधिक रहते हों वहां खजूर खाने से परहेज करें

संक्रमित रोगी, जानवरों के पास न जाएं

वायरस से बचाव के लक्षणों पर डॉ. नमन शर्मा  ने कहा, “सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित नहीं हुआ हो। चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाए। पाम के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी टोडी शराब पीने से बचें। बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।” डॉ. नमन शर्मा ने बताया, “लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी संभावना रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।”

डॉ. नमन शर्मा  ने कहा, “आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें। निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है। मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।” उन्होंने कहा कि जब इंसानों में इसका संक्रमण होता है, तो इसमें एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन से लेकर तीव्र रेस्पिरेटरी सिंड्रोम और घातक एन्सेफलाइटिस तक का क्लिनिकल प्रजेंटेशन सामने आता है।


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