पत्नी ने सुहागरात की सेज पर पति से मांगा ये पहला जरूरी वचन

By: Dilip Kumar
2/18/2018 4:13:04 PM
नई दिल्ली

शादी की पहली रात जब पति अपनी पत्नी को कोई उपहार देना चाहता है तो आमतौर पर पत्नियां गहने, कपड़े या कोई वस्तु मांगती हैं। लेकिन, औरैया की सुमन देवी ने पति से वो वचन मांगा जो उसके लिए सबसे जरूरी था। दरअसल, सुमन की कहानी 'टॉयलेट एक प्रेमकथा' की अभिनेत्री से किसी भी मायने में कम नहीं है।इटावा की रहने वाली सुमन जब शादी कर औरैया पहुंची तो यहां सबसे बड़ी कमी शौचालय की लगी। उन्होंने पति से पहला वचन शौचालय बनवाने का लिया। उनकी जिद पर पति ने शौचालय बनवा दिया, जिससे सुमन का हौंसला बढ़ा।यही नहीं अब वह गांव के लोगों के साथ शौचालय के प्रति लोगों को जागरूक कर रही हैं। अब तक वह 60 गांवों में स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय बनवा चुकी हैं। इसके लिए उन्हें दिल्ली और लखनऊ में सम्मानित भी किया गया है।


समाज शास्त्र से एमए हैं सुमन

इटावा शहर के निवासी इनकम टैक्स अधिकारी आर.बी. तिवारी की बेटी सुमन चतुर्वेदी समाज शास्त्र से एम.ए. हैं। इनका विवाह साल 2000 में औरैया जिले के अछल्दा ब्लॉक के गांव औतों निवासी अशोक कुमार के साथ हुआ था। वह ससुराल आईं तो यहां शौचालय नहीं था। सुहागरात में पति ने उनकी फरमाइश पूछी। इस पर सुमन ने शौचालय बनवाने का वचन लिया। पति ने अगले दिन ही शौचालय बनवाना शुरू कर दिया।

इससे सुमन का हौंसला बढ़ा। उन्होंने पूरे गांव में शौचालय बनवाने के लिए लोगों को प्रेरित करना शुरू किया। पास-पड़ोस की महिलाओं से बात की। महिलाओं ने उनकी बात मान ली और अपने पतियों से शौचालय बनवाने का वचन लेने लगीं। बस, यहीं से यह कारवां आगे बढ़ा।

जब यह बात प्रशासन को पता चली तो अधिकारियों ने सुमन की नजीर दूसरे गांवों में देनी शुरू की। इससे उनका हौंसला और बढ़ा। अब वह कुछ महिलाओं तथा बच्चों की टोली लेकर गांव-गांव जाकर लोगों को शौचालय के प्रति जागरूक कर रही हैं।

दुल्हन के लिए खुले में शौच जाना शर्मिंदगी भरा

सुमन बताती हैं कि ससुराल में शौच के लिए खेत में जाना दुल्हन के लिए सबसे शर्मिंदगी भरा होता है। मायके में शुरू से ही शौचालय प्रयोग करती रहीं। ससुराल आईं तो यह कष्ट भोगा। इसी वजह से ससुराल में पहला काम शौचालय बनवाया। वह बताती हैं कि तीन अगस्त 2016 में पहली बार ओडीएफ मिशन से जुड़ीं। उनके परिवार में सास, ससुर, पति, देवर, देवरानी व उनकी दो बेटियां हैं। पहले सबने मना किया, लेकिन बाद में सब उनके साथ हो लिए।

शुरू में सुमन पर हंसते थे लोग

सुमन जब इस अभियान से जुड़ीं तो लोग उन पर हंसते थे। उनका साथ देने वाला कोई नहीं था। इस पर वह सुबह उठती और देखती कौन खुले में शौच जा रहा है। इसके बाद वह उनके नाम दीवार पर लिख देतीं। शुरू में झगड़े भी हुए और फिर लोग शर्म के कारण शौचालय बनवाने को तैयार होने लगे। इसके बाद युवाओं की टोली सुमन के साथ हो चली। सुमन जिले की 60 पंचायतों में जागरूकता अभियान चला चुकी है।दिल्ली में आयोजित सम्मेलन में उत्तर प्रदेश की 12 महिलाओं को सम्मानित किया गया गया था, जिसमें औरैया जिले से सुमन का नाम भी था। इसी तरह लखनऊ में स्वच्छता मिशन में महत्वपूरर्ण भूमिका निभाने के लिए भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

सास-ससुर को बहू पर गर्व

स्वच्छताग्रही सुमन चतुर्वेदी का कहना है कि ग्रामीण स्वच्छता मिशन से जुड़ने के बाद उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ। परिवार के साथ-साथ डीपीआरओ कार्यालय के लोगों का भरपूर सहयोग है। मार्च 2018 तक जिले को खुले में शौच मुक्त बनाना उनका लक्ष्य है। सुमन के इस अभियान में उनके पति, देवर तथा देवरानी भी जुड़ गए हैं। वहीं ससुर कमलेश चतुर्वेदी तथा सास उमा का कहना है कि उन्हें अपनी बहू पर गर्व पर है।


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