कछुए की चाल चलती है 'कुछ भीगे अल्फाज

By: Dilip Kumar
2/19/2018 11:32:43 PM
नई दिल्ली

माय ब्रदर निखिल' जैसी यादगार फिल्म बना चुके डायरेक्टर ओनीर ने इस बार कोलकाता के बैकड्रॉप पर रेडियो स्टेशन के शो पर आधारित फिल्म का निर्माण किया है।कहानी की शुरुआत कोलकाता के रेडियो स्टेशन से होती है, जहां रेडियो जॉकी अल्फाज (जेन खान दुर्रानी) अपने रात के शो ‘कुछ भीगे अल्फाज’ को होस्ट करता है , जिसे पूरा शहर सुनता है। अल्फाज को अर्चना ( गीतांजली थापा) भी बड़े प्यार से सुनती है और दिल दे बठती है। कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है। कई उतार-चढ़ाव आते हैं , अर्चना अपने पर्सनल और प्रोफ़ेशनल रिश्तों के बीच अल्फाज की तलाश में रहती है और अल्फाज की ख़ुद की कहानी में भी कई लेयर्स हैं। आखिरकार इस कहने का अंजाम क्या होता है? ये जानने के लिये आपको थिएटर तक जाना होगा।

फिल्म का डायरेक्शन बढ़िया है , कोलकाता शहर की कहानी दिखाने के लिए लोकेशंस भी काफी अच्छी हैं। बैकड्रॉप के साथ-साथ कैमरा वर्क बढ़िया है और रेडियो के सेटअप को भी अच्छे से दर्शाने की कोशिश की गई है। शेर-ओ-शायरी से लबरेज़ डायलाग्स भी फिल्म में हैं। फिल्म की कहानी ठीक है, लेकिन स्क्रीनप्ले काफी कमजोर और बिखरा-बिखरा सा है। ख़ासतौर पर इसकी रफ्तार काफ़ी धीमी है, जिसे दुरूस्त ज़रूर किया जाना चाहिए था। क्लाइमैक्स भी काफ़ी प्रेडिक्टेबल है, जिसको और भी रोचक बनाया जा सकता था।

गीतांजलि थापा और जेन खान दुर्रानी का काम सहज है, जिन्हे फिल्म दर फिल्म और बेहतर परफॉर्म करते हुए जाना होगा।पहला नशा पहला ख़ुमार वाला गीत फिल्म मैं है, जो समय समय पर आता है। बैकग्राउंड स्कोर ठीक-ठाक ही है, जो कि और बेहतर हो सकता था।रेडियो शो पसंद करते हैं तो एक बार ट्राई कर सकते हैं। नहीं तो बेहतर है वीकेंड पर कोई और प्लान बना लें।


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