झारखंड में क्षेत्रीयतावाद का खुमार

By: Devendra Gautam
6/17/2018 8:05:49 PM
Ranchi

 

देवेंद्र गौतम

रांची। राष्ट्रपति ने झारखंड सरकार की भूमि अधिग्रहण संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी क्या दी विपक्षी दलों को मूलवासियों के बीच अपनी पैठ बढ़ाने का सुनहरा अवसर मिल गया। विधानसभा में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने सभी विपक्षी दलों की बैठक 18 जून को अपने आवास पर बुलाई। इस बीच बंधु तिर्की ने 18 को ही झारखंड बंद का आह्वान कर दिया। दरअसल स्थानीयता के सवाल पर झारखंड नामधारी दलों के बीच रस्साकशी शुरू हो चुकी है। हर दल स्वयं को इसके प्रति दूसरों से ज्यादा प्रतिबद्ध होने का दावा कर रहा है। एक तरफ हेमंत सोरेन इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को एकत्र कर आंदोलन खड़ा करने की तैयारी में हैं दूसरी तरफ आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उनकी नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं। आजसू झारखंड में एनडीए के सहयोगी दलों में प्रमुख हैं। सिल्ली और गोमिया विधानसभाओं के उपचुनावों में थोड़े अंतर से दूसरे स्थान पर रहने के बाद आजसू आलाकमान सुदेश महतो एनडीए से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने एनडीए में रहते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास की स्थानीय नीति का लगातार विरोध किया है। अभी भूमि अधिग्रहण संशोधन प्रस्ताव को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के बाद ताल ठोकते हेमंत सोरेन को आजसू के महासचिव राजेंद्र मेहता ने आड़े हाथों लिया है। श्री मेहता के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड आंदोलन की सौदागीरी करता रहा है। कई बार आंदोलन को बेचा है। उसे स्थानीय नीति पर बोलने का कोई हक नहीं है। उनका कहना है कि हेमंत ने 2010 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की थी। 14 महीने तक मुख्यमंत्री रहे लेकिन स्थानीय नीति बनाने की जरूरत नहीं समझी। जेपीएससी से क्षेत्रीय भाषाओं को हटाने पर सहमति दी। अगस्त 2017 में जब भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक सदन में आया तो उसका विरोध नहीं किया। सरकार की जनविरोदी नीतियों पर कभी आपत्ति नहीं की। अब सीएनटी-सीपीटी एक्ट में संशोधन के मामले में रघुवर सरकार के बैकफुट पर आने का श्रेय ले रहे हैं। झारखंड की जनता जानती है कि संशोधन का विरोध आजसू ने किया था और सी के विरोध के कारण सरकार को पीछे हटना पड़ा। विपक्ष के नेता ने तो अपनी सहमति दे ही दी थी। उन्होंने कहा कि आजसू एनडीए में जरूर है लेकिन झारखंडी अस्मिता के सवाल पर कभी समझौता नहीं करता। झामुमो अराजक कार्रवाइयां कर सकता है कोई निर्णायक आंदोलन नहीं। स्थानीयता की लड़ाई आजसू के अलावा कोई ईमानदारी से नहीं लड़ सकता।

 

-देवेंद्र गौतम


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