पार्षद आरएस राठी ने कई गंभीर मुद्दों पर अपनी आवाज प्रखर की

By: Dilip Kumar
7/25/2018 9:11:27 PM
नई दिल्ली

बुधवार को नगर निगम की सदन की बैठक में वार्ड 34 के पार्षद आरएस राठी ने कई गंभीर मुद्दों पर अपनी आवाज प्रखर की। पार्षद द्वारा लाइसेंस कालोनियों से मिलने वाले एफएआर की राशि, नगर निगम की सीमा से खेडक़ीदौला टोल प्लाजा हटाने, इकोग्रीन कंपनी के कार्य से असंतुष्टि, कमर्शियल में किराए पर दी जाने वाली पार्किंग से टैक्स वसूली, आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों की जांच समेत कई मुद्दों पर अपने सुझाव रखें। राठी ने बताया कि लाइसेंस कालोनियों में मकानों के निर्माण में अतिरिक्त एरिया बनाने के लिए एफएआर (फ्लोर एरिया रेशो) शुल्क की अदायगी की जाती है। यह पैसा टाउन कंट्री प्लानिंग के माध्यम से नगर निगम को मिलता है।

हरियाणा बिल्डिंग कोड 2017 में संशोधन के बाद यह प्रावधान कर दिया गया था और बीते एक साल में नगर निगम के खातें में लगभग 88.5 करोड़ रुपये जमा भी हो गए है। राठी ने निगम अधिकारियों से मांग की है कि इस पैसे को अलग से रिजर्व कर भविष्य में लाइसेंस कालोनियों के इन्टरनल विकास कार्यों एव बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में किया जाए। इस पैसे को किसी अन्य विभाग में भी ट्रांस्फर नहीं किया जाना चाहिए। वहीं इकोग्रीन कंपनी द्वारा कूड़े उठाने का काम अब भी ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है। वार्ड के कई हिस्सों में अभी भी कूड़ा उठाने के लिए अपेक्षा के हिसाब से गाडिय़ा नहीं लगाई हुई है।

वहीं करार के अनुसार पीएमयू (प्रोजेक्ट निगरानी कमेटी) का गठन होना था। इस कमेटी में 15 साल का अनुभव रखने वाला इंजीनियर, कार्यकारी अभियंता और वेस्ट एक्सपर्ट शामिल होंगे, लेकिन करार को एक साल बीतने को है और अभी तक इस कमेटी का गठन नहीं किया गया है। इसके अलावा मासिक स्टेटस रिपोर्ट एवं प्रतिदिन रिपोर्ट का भी करार में प्रावधान है। इन सभी रिपोर्ट के संतोषजनक होने के बाद ही कंपनी को अदायगी और आगे कार्य कर सकती है। वहीं करार का एक वर्ष पूरा होने के बाद 15 दिन के भीतर कंपनी को टर्निमेट करने का भी प्रावधान है।

वहीं नगर निगम के दायरे में टोल प्लाजा हटाने के मुद्दे पर राठी ने बताया कि भले ही नगर निगम का गठन 2008 में हुआ है और टोल 2002 में लग गया हो लेकिन 2014 में टोल कंपनी ने टोल टैक्स का शुल्क दोगुना कर दिया था। टोल के नगर निगम सीमा में होने के बावजूद उस दौरान निगम अधिकारियों की तरफ से कोई दखल नहीं दिया गया। उन्होंने मांग की है कि 2014 से लेकर अब तक टोल कंपनी द्वारा वसूली बढ़ी हुई राशि की रिकवरी होनी चाहिए।

निगम द्वारा आउटसोर्स पर रखे गए 1800 कर्मचारियों में से अभी तक केवल 1200 कर्मचारियों ने अपनी जानकारी मुहैया कराई है हालांकि निगम अधिकारियों ने सदन की बैठक में बाकी कर्मचारियों की जानकारी एक सप्ताह के भीतर मुहैया कराने का आश्वासन दिया है। राठी द्वारा कुछ वार्डो में जमीनों को बेचने पर भी आपत्ति जताई और अन्य पार्षदों ने भी जमीन न बेचने के हक में वोटिंग की।


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