नक्सल पीड़ित महिलाएँ राइस मिल चलाकर आत्मनिर्भर बनीं

By: Dilip Kumar
5/29/2018 4:39:04 AM
नई दिल्ली

 राहत कैंपों में बसे परिवारों की महिलाएं खुद सशक्त बनने कदम बढ़ा लिया है। कासोली राहत शिविर में रहने वाली महिलाओं ने नया कासोली स्वसहायता समूह तैयार किया है। यह सिर्फ इसलिए कि खुद भी घर बैठे रोजगार कर चंद पैसे कमा सकें। इस समूह को प्रशासन ने हालर मशीन उपलब्ध कराई है। इसके चलते राहत कैंप के 175 परिवारों को धान से चावल निकलवाने के लिए 15 किमी दूर गीदम नहीं जाना पड़ रहा। साथ ही महिला समूह मिनी राइस मिल चलाकर दिनभर में 100 से 150 रुपए कमा रही है। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. नारायण साहू ने बताया कि सलवा जुड़ूम कैंप की नक्सल पीड़ित महिलाओं ने खुद का समूह तैयार किया है। इन्हें मिनी राइस मील प्रदान की गई है। इसका महिलाओं को अच्छा फायदा मिल रहा है। कैंप प्रभारी व जिपं सदस्य चैतराम अटामी ने बताया कि हालर मशीन का लाभ लेकर नक्सल पीड़ित परिवार की महिलाएं आर्थिक उन्नति की ओर बढ़ रही हैं।

महिला समूह की अध्यक्ष सरपंच मल्लिका अटामी है। समूह में 6 महिलाएं फूलेश्वरी, चमरी, पालो, राधा, गीता नक्सल पीड़ित हैं, जबकि 4 अन्य महिलाएं हैं। समूह की महिला सुखमती ने बताया कि हालर मशीन मिलने के बाद कैंप के सभी परिवार यहीं आते हैं। नक्सल पीड़ित महिला फूलेश्वरी ने बताया कि समय बचने से खेती-किसानी, मशरूम उत्पादन सहित दूसरे काम के लिए आसानी होती है।
राहत कैंप में रहने वाले नक्सल पीड़ित फगनूराम, मोहन, राधा, सुंदरी, बोटी, जग्गूराम, मोती सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि कैंप में हालर मशीन लगने का फायदा पूरे 175 परिवारों को मिल रहा है। धान से चावल निकालना हो, चावल, गेहूं, दाल, हल्दी, मिर्च पिसाना हो तो गीदम नहीं जाना पड़ रहा है। इससे धन और समय दोनों की बचत हो रही है।


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