बर्थडे स्पेशल : कार्तिक ने मैच की आखिरी गेंद पर छक्का लगाया और इंडिया चैंपियन
By: Dilip Kumar
6/1/2018 6:22:03 AM
निदाहस टी20 ट्राई सीरीज के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक ने कमाल कर दिया. कार्तिक ने मैच की आखिरी गेंद पर छक्का लगाया और टीम इंडिया को चैंपियन बनवा दिया. सिर्फ 8 गेंदों की इस पारी को दिनेश कार्तिक के अंतरराष्ट्रीय करियर की सबसे स्पेशल पारी तो कह ही सकते हैं लेकिन अगर इस पारी को इकलौती अच्छी पारी कहा जाए तो वो गलत होगा. इसमें कोई शक नहीं कि कार्तिक एक बहुत ही टैलेंटिड बल्लेबाज/विकेटकीपर रहे हैं लेकिन एक शब्द जिसने उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जीवन पर बहुत गहरा असर किया है वो है - इंतजार! जी हां, साल 2004 में एमएस धोनी से भी पहले भारत के लिए अपना डेब्यू करने वाले कार्तिक का करियर इंतजार से भरा रहा है. टीवी पर एक कोल्डड्रिंक का एड आता था जिसमें एक बच्चा कहता था कि मेरा नंबर कब आएगा, ऐसा लगता है कि उस एड से दिनेश कार्तिक का करियर काफी प्रभावित नजर आता है.
धोनी की एंट्री के बाद से कार्तिक सिर्फ इंतजार कर रहे हैं कि कब उन्हें मौका मिले. हमेशा से वो धोनी के एक बैकअप के तौर पर ही नजर आए. इस बीच कई बार उन्हें मौके मिले भी तो तब, जब दूसरे खिलाड़ी चोटिल थे. इस बीच वो आते, कुछ दो-चार पारियां खेलते और फिर गायब हो जाते. कार्तिक 2004-05 में भारत के रैगुलर विकेटकीपर रहे लेकिन बल्ले से उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं था. दूसरी तरफ धोनी लगातार छोटे फॉर्मेट में धूम-धड़ाका कर रहे थे. ऐसे में सेलेक्टर्स ने धोनी को सफेद वर्दी दी और कार्तिक को बैंच पर बिठा दिया. उसके बाद अगले एक साल तक कार्तिक टीम से बाहर ही रहे. साल 2007 में द. अफ्रीका के दौरे पर धोनी अपनी उंगली में चोट लगवा बैठे तो कार्तिक को मौका मिला. ओपनर वीरेंद्र सहवाग खराब फॉर्म में थे तो कप्तान राहुल द्रविड़ ने प्रयोग करते हुए कार्तिक से केपटाउन टेस्ट में ओपनिंग करवा दी. उन्होंने मौके का फायदा उठाते हुए पहली पारी में 63 रन बनाए.
उसके बाद भारत की 2007 वर्ल्ड कप में बुरी हार हुई और टीम इंडिया में कई बड़े बदलाव हुए. बांग्लादेश दौरे पर कार्तिक को स्पेशलिस्ट ओपनर के तौर पर ले जाया गया और उन्होंने वहां शानदार शतक ठोका. उसके बाद 2007 इंग्लैंड दौरे पर भारत की ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज के हीरो रहे. उस सीरीज में वो टीम इंडिया के सबसे सफल बल्लेबाज थे. लेकिन, उसके बाद पाकिस्तान के भारत दौरे पर उनका प्रदर्शन फीका रहा और सेलेक्टर्स ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया. उसके बाद कई बार वो टीम में आते-जाते रहे लेकिन अपनी जगह पक्की नहीं कर पाए.कार्तिक जब फाइनल में क्रीज पर आए थे तो टीम इंडिया को 2 ओवर में 34 रनों की जरूरत थी. कार्तिक ने अपना गार्ड लिया और क्रीज के साइड में जाकर आंखें बंद करके बैठ गए. 2, 3 सेकेंड ऐसे ही बैठे रहे जैसे मैडिटेशन कर रहे हों. हो सकता है कि वो उन चंद पलों में अपने आप से कह रहे हों कि अभी नहीं तो कभी नहीं. मौका भी था और दस्तूर भी. शायद उन्होंने अपने पूरे करियर को उस छोटे से लम्हे में जी लिया हो और खुद को तैयार किया हो कि अगले 10 मिनट में मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ करना है.
8 गेंद की पारी के दौरान कभी भी उनके चेहरे पर तनाव, गुस्सा या फिर यूं कहिए कि कोई भी एक्सप्रेशन आया ही नहीं. आखिरी गेंद पर छक्का मारने के बाद भी उन्होंने सिर्फ हाथ ऊपर किया और बड़े ही आराम से जीत का जश्न मनाया.दिनेश कार्तिक आज भी टीम इंडिया में पक्की जगह नहीं रखते. पहले वो धोनी के बैकअप बने रहे तो अब कई युवाओं को उनकी जगह पर तरहीज दी जाती रही है. ऐसे में 2019 वर्ल्ड कप करीब है और 32 साल के कार्तिक के पास वक्त ज्यादा नहीं है. एक विकेटकीपर के तौर पर तो खैर नहीं लेकिन मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के तौर पर कार्तिक इस टीम इंडिया में जगह बना सकते हैं. उनके इस आखिरी गेंद पर लगाए छक्के ने सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट को मैसेज मिल गया है. उम्मीद है अब कार्तिक को ‘इंतजार’ नहीं करना पड़ेगा.