अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण कामयाब, 5000 किमी तक सटीक निशाना

By: Dilip Kumar
6/3/2018 5:53:51 PM
नई दिल्ली

ओडिशा के एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से रविवार को स्वदेशी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। यह 1.5 टन एटमी हथियार के साथ सतह से सतह पर 5000 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकती है। इसके पहले भी पांच परीक्षण किए थे, जो सभी कामयाब रहे। इस बार इसमें लेजर गायरो बेस्ड इनरशियल नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया। यह स्वदेशी तकनीक है, जो सटीक निशाना साधने में मददगार है।

अधिकारियों ने बताया कि इस अग्नि मिसाइल की खासियत इसका अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम है। ये बेहद सटीक जानकारी देने वाली रिंग लेजर गायरो बेस्ड इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (रिंस) तकनीक और अत्याधुनिक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (मिंस) तकनीक से लैस है। इस तकनीक की मदद से यह मिसाइल लक्ष्य के कुछ मीटर पास तक वार करती है। इस नई तकनीकी का परीक्षण भी कामयाब रहा है।

लॉन्चिंग सिस्टम में कैनस्टर टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से मिसाइल को आसानी से कहीं भी ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। मिसाइल जब धरती के वायुमंडल में आती है, तो हवा के घर्षण से इसकी सतह का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो जाता है। लेकिन भारत में विकसित कार्बन-कार्बन कम्पोसिट हीट शील्ड इस तापमान से खुद जल जाती है, लेकिन मिसाइल के अंदर का तापमान 50 डिग्री सेल्सियस बनाए रखती है।

17 मीटर लंबी अग्नि-5 का वजन 50 टन है। 1500 किलो तक वॉरहेड ले जा सकती है। यह दुश्मन को चकमा दे सकती है। यह ठोस ईंधन से चलती है। इससे कई एटमी हथियार एक साथ छोड़े जा सकते हैं। एक बार छोड़ने पर इसे रोका नहीं जा सकेगा। अमेरिका को छोड़कर पूरा एशिया, अफ्रीका और यूरोप इस मिसाइल के दायरे में हैं। भारत की इस सबसे ताकतवर मिसाइल की जद में पूरा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक, ईरान, करीब आधा यूरोप, चीन, रूस, मलेशिया, इंडोनशिया और फिलीपींस आते हैं।

अग्नि-5 का यह छठवां परीक्षण था। इससे पहले 19 अप्रैल 2012 को पहला, 15 सितंबर 2013 को दूसरा और 31 जनवरी 2015 को तीसरा टेस्ट किया गया था। चौथा परीक्षण दिसंबर 2016 में और पांचवा 18 जनवरी 2018 को किया गया था। रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारत ने रविवार सुबह 9 बजकर 48 मिनट पर मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस दौरान मिसाइल ने अपनी पूरी तय दूरी हासिल की।


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