कलश स्थापना में जरूर रखें इन बातों का ध्यान

By: Dilip Kumar
10/9/2018 8:25:16 PM
नई दिल्ली

शारदीय नवरात्रि बुधवार 10 अक्टूबर से शुरू हो रही है. ऐसी मान्यता है कि आदिशक्ति मां नवदुर्गा की सबसे पहले श्रीरामचंद्रजी ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए पूजा की थी. श्रीरामचंद्र ने शारदीय नवरात्रि पूजा समुद्र तट पर किया था. ऐसा कहा जाता है कि नवदुर्गा के पूजन के 10वें दिन ही भगवान राम ने रावण का संहार किया था और लंका पर विजय प्राप्त किया था. इसके बाद से ही शारदीय नवरात्रि की परंपरा शुरू हो गई और नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है. इस त्योहार को असत्य पर सत्य की और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व माना जाता है.

कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी 

1. मां दुर्गा को अर्पित की जाने वाली चीजें लाल होनी चाहिए. जैसे कि वस्त्र, चंदन, सिंदूर, साड़ी, चुनरी, आभूषण तथा खाने-पीने की वस्तुएं भी लाल ही हो.
2. इस मंत्र का रोजाना जाप करना जरूरी है.
या देवी सर्वभूतेषु श्रद्धा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
3. भूलकर भी कांच के पात्र में कलश स्थापना ना करें. तांबे या मिट्टी के पात्र या कलश का प्रयोग कर सकते हैं.
4. घटस्थापन हेतु गंगाजल, नारियल, लाल कपड़ा, मौली, रोली, चंदन, पान, सुपारी, धूपबत्ती, घी का दीपक, ताजे फल, फल माला, बेलपत्रों की माला, एक थाली में साफ चावल रखें.
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5. घटस्थापन के दिन ही जौ, तिल और नवान्न बीजों को बीजनी यानी एक मिट्टी की परात में हरेला भी बोया जाता है, जो कि मां पार्वती यानी शैलपुत्री को अन्नपूर्णास्वरूप पूजने के विधान से जुड़ा है. अष्टमी अथवा नवमी को इसको काटा जाता है. केसर के लेप के बाद सबके सिर पर रखा जाता है.
6. घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए. नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें.
7. कलश स्थापना के लिए अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाकर उस पर अक्षत से अष्टदल बनाएं.
8. इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें. कलश का मुंह खुला ना छोड़ें ओर उस पर चावल से भरा ढक्कन रखें और बीच में नारियल भी रख दें.
9. इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें और दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें.
10. अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें. इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें. अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें.


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