विघ्न-बाधाओं से मुक्ति दिलाती 'मॉं चंद्रघण्टा'

By: Dilip Kumar
10/11/2018 12:13:06 PM
नई दिल्ली

या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:पापात्मनां कृताधियाम हृदयेषु बुद्धि:।श्रद्धा सतां कुलजनप्रभावस्य लज्जातं त्वां नता: स्म परिपालय देवी विश्वं।। शन्तिदायक और कल्याणकारी माँ चंद्रघण्टा। नवरात्र के तीसरे दिन भगवती मां दुर्गा की तीसरी शक्ति भगवती चन्द्र घंटा की उपासना की जाती है। मां का यह रूप पाप-ताप एवं समस्त विघ्न बाधाओं से मुक्ति प्रदान करता है और परम शांति दायक एवं कल्याणकारी है। मां के मस्तक में घंटे की भांति अर्घचन्द्र सुशोभित है। इसीलिए मां को चन्द्र घंटा कहते हैं। कंचन की तरह कांति वाली भगवती की दश विशाल भुजाएं है।

दशों भुजाओं में खड्ग, वाण, तलवार, चक्र, गदा, त्रिशूल आदि अस्त्र-शस्त्र शोभायमान हैं। मां सिंह पर सवार होकर मानो युद्ध के लिए उद्यत दिखती हैं। मां की घंटे की तरह प्रचण्ड ध्वनि से असुर सदैव भयभीत रहते हैं। तीसरे दिन की पूजा अर्चना में मां चन्द्र घंटा का स्मरण करते हुए साधकजन अपना मन मणिपुर चक्र में स्थित करते हैं। उस समय मां की कृपा से साधक को आलौकिक दिव्य दर्शन एवं दृष्टि प्राप्त होती है। साधक के समस्त पाप-बंधन छूट जाते हैं। प्रेत बाधा आदि समस्याओं से भी मां साधक की रक्षा करती हैं। नवरात्र का तीसरा दिन भगवती चंद्रघंटा की आराधना का दिन है।

श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन मणिपूरक चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। वे गुरु कृपा से प्राप्त ज्ञान विधि का प्रयोग कर कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत कर शास्त्रोक्त फल प्राप्त कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हैं। जगदम्बा भगवती के उपासक श्रद्धा भाव से उनके चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा कर उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को कृतार्थ करते हैं। नवरात्र के तीसरे दिन हम आपको मणिपूरक चक्र के बारे में इतना बता देना आवश्यक समझते हैं कि इस चक्र पर मंगल ग्रह का आधिपत्य होता है।


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