50 लाख जागरूक किसान कर रहे हैं छोटी शीशी से बड़ा कमाल

By: Dilip Kumar
10/11/2018 1:28:56 PM
नई दिल्ली

राष्ट्रीय जैविक कृषि केंद्र, गाजियाबाद में विकसित वेस्ट डीकंपोजर पराली की समस्या का पूर्ण समाधान करने में सक्षम है। देश के 50 लाख जागरूक किसान इसका इस्तेमाल कर पराली से खाद बना रहे हैं। पराली की समस्या का समाधान करने के लिए यह अब तक का सबसे सस्ता उपाय है। कीमत है मात्र 20 रुपये। मात्र 20 रुपये की एक शीशी से किसान चाहे तो ताउम्र लाखों लीटर घोल तैयार कर सकता है। जिस तरह थोड़े से जामन से भगोना भर दही जमाया जाता है। उसी तरह शीशी में भरे कल्चर से एक बार में 200 लीटर घोल तैयार किया जा सकता है।

इस घोल में अति सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। तैयार घोल को फिर से शीशी में भर कर रख लिया जाए तो उससे अगली बार फिर उतना ही घोल बनाया जा सकता है। ये प्रक्रिया बार-बार अपनाई जा सकती है। वेस्ट डीकंपोजर एक कल्चर (जैविक तरल) है, जो जैल की तरह दिखाई देता है। इस कल्चर में बहुत सारे जीवाणु होते हैं। 200 लीटर पानी भरे ड्रम में दो किलो गुड़ घोलने के बाद इस कल्चर को उसमें मिला दिया जाता है।

जीवाणु घोल के गुड़ से मिली खुराक से हरकत में आ जाते हैं। गर्मी के मौसम में छह दिन रखने पर घोल छिड़कने को तैयार हो जाता है। पराली पर छिड़काव से वह खाद में तब्दील होने लगती है। छोटी शीशी के बड़ा कमाल हो रहा है। वेस्ट डीकंपोजर में जीवाणु ही पूरी क्रिया करते हैं। पराली में जीवाश्म कार्बन और सेल्यूलोस भरपूर होता है। इन जीवाणुओं के लिए पराली से बेहतर कुछ नहीं।


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