गुजरात दंगों पर दावाः मोदी ने सेना को प्रभावित इलाकों में जाने से रोके रखा था

By: Dilip Kumar
10/14/2018 9:01:41 PM
नई दिल्ली

गुजरात दंगों को लेकर एक बार फिर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमला हुआ है। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा कि मोदी से अनुरोध किए जाने के बावजूद सेना के वाहनों को प्रभावित इलाकों में जाने से एक दिन के लिए रोक दिया गया था। जो एसआइटी जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी, वह सफेद झूठ थी। लेफ्टिनेंट जनरल शाह शनिवार को अपनी किताब 'द सरकारी मुसलमान' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। किताब का विमोचन पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया। शाह दंगों को शांत कराने पहुंची सेना का नेतृत्व किया था।

शाह ने कहा कि उन्होंने इस किताब में 'खरा सच' लिखा है और पूरा घटनाक्रम सेना की युद्ध डायरी से संकलित है। उन्होंने बताया, 'समय आने पर वह डायरी भी उपलब्ध करा दी जाएगी। मैंने जो लिखा है वह खरा सच है। 1 मार्च 2002 को सुबह सात बजे तीन हजार सैनिक दंगा प्रभावित इलाकों में जाने के लिए वायुसेना के विमानों से अहमदाबाद में उतरे, लेकिन राज्य सरकार से परिवहन और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए पूरा एक दिन इंतजार करना पड़ा। सेना अगर तुरंत पहुंचकर हालात को नियंत्रण में ले लेती तो हजार से ज्यादा इंसानों की जान नहीं जाती।' बकौल, लेफ्टिनेंट जनरल शाह, 1 मार्च की सुबह से पहले दो बजे रात में ही उन्होंने अहमदाबाद में मौजूद तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज के समक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से सेना को प्रभावित इलाकों में भेजने का इंतजाम करने अनुरोध किया था, उसके बावजूद देरी की गई।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अशोक नारायण के कथन के आधार पर सेना बुलाने और तैनाती करने में कोई देर नहीं हुई।' लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट सफेद झूठ थी। इसी रिपोर्ट में गुजरात दंगों के मामले में मोदी को क्लीनचिट दे दी गई। उन्होंने कहा, 'कुछ दिनों पहले ही मुझे एसआइटी रिपोर्ट के बारे बताया गया।

उससे पहले मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। जब रिपोर्ट में लिखी गई बातों के बारे में पता चला, तो मैं सन्न रह गया।'
तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एस पद्मनाभन ने भी शाह की बातों का समर्थन किया। बातचीत का निष्कर्ष यह है कि एसआइटी ने लेफ्टिनेंट जनरल शाह से कभी पूछताछ नहीं की। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि एसआईटी ने शाह द्वारा जनरल पद्मनाभन को सौंपी गई कार्रवाई रिपोर्ट को नजरअंदाज किया, जबकि यह रिपोर्ट बाद में केंद्र सरकार को भेजी गई।'


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