गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा 25 सितंबर से

By: Dilip Kumar
8/16/2018 2:12:23 AM
नई दिल्ली

देश के गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा 25 सितंबर से मिलने लगेगी। लालकिले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर इस योजना को लांच करने का ऐलान किया। साथ ही प्रधानमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि भले ही फिलहाल इस योजना का लाभ लगभग 10 करोड़ गरीब परिवारों को मिलेगा, लेकिन भविष्य में इसके तहत मध्यमवर्ग को भी लाया जाएगा।

आयुष्मान भारत के तहत शुरू की जा रही इस योजना का नाम प्रधानमंत्री जन आरोग्य अभियान होगा। इस योजना के के तहत आने वाले लाभार्थियों की पहचान सामाजिक आर्थिक जनगणना के आधार पर की जा चुकी है। यही नहीं, इन परिवारों को सरकार की ओर से जल्द ही एक पत्र भेजकर पांच लाख रूपये तक सालना मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा दिये जाने की जानकारी दे दी जाएगी।

प्रधानमंत्री ने बताया कि इस अभियान में किसी तरह की कोई रुकावट न आए और आम आदमी को कोई परेशानी न हो, इसलिए अभियान के लिए बनाए गए टेक्नोलॉजी टूल की टेस्टिंग 15 अगस्त से शुरू हो कर दी गई है और अगले चार से छह हफ्तों तक तक टेस्टिंग जारी रहेगी। इसके साथ ही इस योजना से जुड़ने वाले निजी अस्पतालों के साथ समझौते किये जा रहे हैं। अगले एक महीने के भीतर लगभग 18-20 हजार निजी अस्पतालों को इस योजना से जोड़ने की कोशिश है। ताकि गरीब परिवार को इलाज के दूर-दराज के इलाके में नहीं भटकना पड़े।

पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों के गरीब वंचित रह जाएंगे। इन राज्य सरकारों ने अभी तक इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता नहीं किया है। ऐसे राज्यों में दिल्ली के अलावा ओडिशा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शामिल हैं।

आयुष्मान भारत के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश कई बार केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ राज्य के गरीब परिवारों तक पहुंचाने के लिए सहमति दे चुके हैं, लेकिन राजनीतिक नेतृत्व के दबाव के कारण वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं। पंजाब सरकार ने इस योजना से जुड़ने का सबसे पहले एलान किया था और मई में ही केंद्र के साथ समझौते के लिए तैयार भी थी, लेकिन अंतिम समय वह पीछे हट गई। वहीं ओडिशा सरकार ने इस योजना से नहीं जुड़ने का अजीब का बहाना बनाया है।

ओडिशा सरकार का कहना है कि वह अगले साल मई में विधानसभा चुनाव के बाद इस योजना से जुड़ जाएंगे। इसी तरह से केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्य भी किसी न किसी बहाने योजना को लागू करने में कन्नी काट रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार का न जुड़ना आश्चर्यजनक है लेकिन अधिकारियों को भरोसा है कि राज्य सरकार जल्द एमओयू कर सकती है।


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