बुढ़वा शिव मंदिर : रसिक बाबा के गाने पर थिरकेंगे भोले के भक्त 

By: Dilip Kumar
8/18/2018 7:19:16 PM
नई दिल्ली

बुढवा शिव मंदिर समिति द्वारा सोमवार को शिव महाश्रृंगार  एवं महाजागरण का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसमें बागीश शुक्ला 'रसिक बाबा' अपने भक्तिपूर्ण गायन से भोले के भक्तों को भक्तिरस का रसापान कराएंगे। बलिया के सुखपुरा कस्बे में स्थित बुढ़वा शिवजी की महिला अपरंपार है। ये अनादि काल से अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे हैं। यहां उनका मंदिर लंबे अर्से से लोगों की आस्था का केंद्र बना है।

लोक मान्यता के अनुसार आज बुढ़वा शिवजी का जहां विशाल मंदिर है वहां कभी बरगद का एक पेड़ हुआ करता था। बरगद की जड़ में जमीन से दो तीन फीट नीचे शिवलिंग था जिसका पूजन-अर्चन लोग करते थे। मान्यता है कि बुढ़ऊ शिवजी आपरूपी हैं। प्रचलित कथा के अनुसार कभी यहां घनघोर जंगल था। इस जंगल पर जमींदारों का आधिपत्य था। जमीन को खेती लायक बनाने के लिए जमींदारों ने जंगल कटवाना शुरू किया। इसी क्रम में बरगद का विशाल पेड़ दिखलाई पड़ा।

लकड़हारे शाम को काम खत्म कर बरगद के नीचे सो गए। लकड़हारों को स्वप्न में भगवान भोले नाथ ने दर्शन दिया और चेतावनी दिया कि तुम लोग बरगद के पेड़ को मत काटना क्योंकि उसकी जड़ में मेरा बसेरा है। सुबह लकड़हारों ने जब यह बात मालिक को बताई तो वहआग बबूला हो गया और बरगद काटने का हुक्म दे दिया। मजबूर लकड़हारों ने जब पेड़ की कटाई शुरू की तो उसमें से रक्त की धार निकल पड़ी। खून देख कर लकड़हारे उल्टे पांव अपने मालिक के यहां भागे और इसकी जानकारी दी। मालिक आया और बरगद की जड़ में पड़े शिव लिंग को निकालने का आदेश दिया। लकड़हारों ने शिव लिंग निकालने का भरपूर प्रयास किया लेकिन वह निकल नहीं पाया बल्कि और नीचे चला गया।

बाद में थकहार कर लकड़हारों ने काम करने से इंकार कर दिया मजबूर मालिक भी चला गया। शिव लिंग के प्रकटीकरण की बात क्षेत्र में फैल गई। लोगों के आने-जाने, दर्शन पूजन का क्रम लग गया। धीरे-धीरे यहां मेला लगने लगा। कालांतर में बरगद का पेड़ काटकर वहां विशाल मंदिर का निर्माण कर दिया गया जहां सावन में श्रद्धालु नर नारियों का तांता लगा रहता है। शिव भक्त जीतन व्यास दिन रात शिव जी की भक्ति में लीन रहते हैं।


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