एशियाड: 16 साल के सौरभ ने शूटिंग में जीता सोना

By: Dilip Kumar
8/22/2018 5:08:35 PM
नई दिल्ली

भारत ने 18वें एशियाई खेलों के तीसरे दिन मंगलवार को शूटिंग में पहला स्वर्ण पदक जीता। कभी गांव के मेले में गुब्बारों पर निशाना लगाने वाले 16 साल के सौरभ चौधरी ने भारत के लिए 10 मीटर एयर पिस्टल में सोना जीता। सौरभ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे युवा भारतीय निशानेबाज बन गए। इस स्पर्धा का कांस्य पदक भारत के ही अभिषेक वर्मा ने जीता। जापान के तोमोयुकी मात्सयुदा ने रजद पदक पर कब्जा जमाया।

सौरभ ने 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में स्टेज वन में 50.6 (10.2, 10.4, 9.5, 10.5, 10.0) और 50.8 (10.5, 10.4, 10.3, 9.9, 9.7) और स्टेज 2 में 18.6 (9.0, 9.60), 19.4 (10.0, 9.4), 20.0 (9.9, 10.1), 20.6 (10.6, 10.0), 20.2 (10.2, 10.0), 19.9 (9.8, 10.1) और 20.6 (10.2, 10.4) समेत कुल 240.7 अंक हासिल किए और एशियाई खेलों का नया रिकॉर्ड बनाया। इस एशियाड में भारत ने अब तक 3 स्वर्ण, 3 रजत और 3 कांस्य जीते हैं। सोमवार को महिला पहलवान विनेश फोगाट (50 किग्रा) ने कुश्ती में स्वर्ण पदक जीता था। वे एशियाई खेलों में सोना जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनीं। 23 साल की विनेश ने फाइनल में जापान की युकी इरी को 6-2 से हराया।

आखिरी राउंड में जीता स्वर्ण पदक : दूसरे स्थान पर रहे तोमोयुकी मात्सयुदा दोनों स्टेज में कुल 239.7 और अभिषेक वर्मा ने 219.3 अंक का स्कोर किया। सौरभ स्टेज वन खत्म होने पर तोमोयुकी से पीछे थे। स्टेज 2 में भी वे तीसरे से आठवें राउंड तक नंबर वन पर ही चल रहे थे। नौवें राउंड में तोमोयुकी ने अपनी एकाग्रता खोई। उन्होंने इस राउंड के पहले प्रयास में 8.9 और दूसरे प्रयास में 10.3 का स्कोर किया। वहीं सौरभ ने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए 10.2 और 10.4 का स्कोर किया। सौरभ के इस स्कोर ने उन्हें चैम्पियन बना दिया।

सौरभ चौधरी के स्वर्ण पदक जीतने पर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बधाई दी। उन्होंने सौरभ को राज्य सरकार की ओर से 50 लाख रुपए का पुरस्कार और राजपत्रित नौकरी देने का ऐलान किया। सौरभ मेरठ के कलीना गांव में रहते हैं। उनके पिता जगमोहन सिंह साधारण किसान हैं। मां ब्रजेश देवी गृहिणी हैं। वे बागपत जिले के बरनावा के एक स्कूल में कक्षा 10 के छात्र हैं।

उनके बड़े भाई नितिन ने बताया कि सौरभ को बचपन से ही निशाने लगाने का शौक था। वह गांव और आसपास में लगने वाले मेलों में जाकर वहां गुब्बारों पर निशाना लगाता था और इनाम जीतता था। 2015 में जब वह 13 साल का था तब उसने पहली बार निशानेबाजी का अभ्यास शुरू किया। उसने बड़ौत के पास बिनौली में वीरशाहमल राइफल क्लब में प्रैक्टिस शुरू की। वह रोज करीब 7 से आठ घंटे प्रैक्टिस करता था। सौरभ के शुरुआती कोच अमित को अपने शिष्य से ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद थी। अमित ने बताया कि सौरभ शांत स्वभाव का है जो शूटिंग के लिए सबसे जरूरी होता है। यदि वह विफल भी होता था तो कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था। वह अपने गेम में लगातार सुधार करने पर जोर देता था।

सौरभ के परिजन के मुताबिक, शुरू में सौरभ ने अपने कोच की गन से ही प्रैक्टिस की। जब सभी को लगा कि उसकी इस खेल में रुचि बढ़ रही है, तब उसे पहली बार जो गन दिलाई वह 1 लाख 75 हजार रुपए की थी। सौरभ ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं अपने कोच की गन से प्रैक्टिस करने के बाद ही जीतीं।


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