फास्ट ट्रैक कोर्ट से भी ज्यादा तेज ‘ग्रीन गैंग’ की अंगूरी

By: Dilip Kumar
8/23/2018 7:12:16 PM
नई दिल्ली

हरी साड़ी और हाथ में लाठी. अंगूरी के गैंग से जुड़े सदस्यों को उनके अलग तरह के पहनावे और अलग अंदाज के जरिए आसानी से पहचाना जा सकता है17 जुलाई 2018 को ग्रीन गैंग के तकरीबन 15 सदस्य कन्नौज जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर इकट्ठा हुए हुए. खबर मिली थी कि दहेज और अन्य मांगों के कारण एक नई शादीशुदा महिला को उसके सास-ससुर द्वारा ससुराल में प्रताड़ित किया जा रहा है. इसके बाद वे लोग उस जगह पर जमा हुए थे. यह ग्रुप भोलेश्वर मंदिर की तरफ बढ़ते हुए कुछ इस तरह का नारा लगा रहा था- 'ग्रीन गैंग जिंदाबाद, जो खुद को समझे गुंडा है, उसके लिए हमारे पास डंडा है.'

इस गैंग से जुड़ी महिलाएं समस्याओं के तुरंत यानी फटाफट निपटारे में यकीन रखती हैं और इन लोगों का भरोसा बिना किसी तरह के सवाल पूछे अपनी नेता के निर्देशों का पालन करने या समस्याओं को तत्काल निपटाने में है. दहदिया उम्मीद भरे कदमों से गैंग के मार्च की अगुवाई करती नजर आती हैं और समय-समय पर गैंग के सदस्यों को फटकार भी लगाती हैं. इसके साथ ही, उनका आक्रामक अंदाज हमेशा कायम रहता है. अंगूरी दहदिया के चेहरे पर अक्सर गुस्सा बना रहता है और वह नहीं के बराबर मुस्कुराती हैं.

बहरहाल, कन्नौज इलाके के तिरवा चौराहे से तकरीबन दो किलोमीटर तक आगे बढ़ने के बाद अंगूरी की अगुवाई में यह गैंग पीड़िता के घर तक पहुंचता है. हालांकि, शुरू में गैंग के सदस्यों को पीड़ित महिला से मिलने की इजाजत नहीं दी जाती है, लेकिन दहदिया संबंधित महिला से मिलने की अपनी जिद पर अड़ी रहती हैं और आखिरकार नवविवाहिता के ससुराल वालों को गैंग की जिद के आगे झुकना पड़ता है.

जब ग्रीन गैंग से जुड़े सदस्यों की तरफ से पीड़ित महिला के चेहरे और शरीर पर दाग के बारे में पूछा जाता है, तो वह पहले अपने सास-ससुर और ससुराल परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा किसी भी तरह की प्रताड़ना से इनकार कर देती हैं. हालांकि, कुछ ही देर के बाद नवविवाहिता की आंखों से आंसू छलक उठते हैं. ऐसा देखकर दहदिया तुरंत हरकत में आ जाती हैं. अंगूरी ससुराल में प्रताड़ना झेल रही नवविवाहिता के पति पर नाराज होते हुए उसे थप्पड़ जड़ देती हैं. उसके बाद ग्रीन गैंग से जुड़े बाकी सदस्य भी अपनी नेता का अनुसरण करने लगती हैं. महिला रक्षकों के इस गैंग से अपमानित होने और मार खाने के बाद परिवार आखिरकार अपनी गलती स्वीकार करता है. साथ ही, इस परिवार के सदस्य पीड़ित नवविवाहिता को अपने बेटी की तरह मानने और कभी भी दहेज की मांग नहीं करने का वादा करते हैं. इस तरह से मामले का निपटारा कर दिया जाता है. ग्रीन गैंग कुछ इसी तरह से काम करता है.

अंगूरी दहदिया ने साल 2010 में ग्रीन गैंग की स्थापना की थी. दरअसल, इससे पहले कन्नौज के कुछ रसूखदार लोगों ने उनके घर पर कब्जा कर उन्हें उनके घर से निकाल दिया था. उन्होंने बताया, 'हम पहले से गरीबी की वजह से मुश्किलें झेल रहे थे और इसी परिस्थिति में हमें अपने घर से निकाल दिया गया. हमारे पास प्रॉपर्टी का अपने नाम से रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बिल्कुल भी पैसा नहीं था और यही हमारा एकमात्र गुनाह था. जिन लोगों ने हमें हमारे घर से बेदखल किया था, वे ताकतवर लोग हैं और अब भी यहीं रह रहे हैं. इन परिस्थितियों की वजह से मैंने तो पहले फूलन देवी बनने का फैसला किया.'

उन्होंने आगे बताया, 'मैं गुस्से में थी. मेरे पति मृत्यु शय्या पर थे और मेरे तीन बच्चे समेत मेरे तीन छोटे-छोटे बच्चे सड़क पर आ चुके थे. हमारे सर पर छत नहीं थी. उस मुश्किल भरी परिस्थिति में मैंने अपने परिवार के लिए भोजन का इंतजाम करने की खातिर पास के एक खेत से थोड़े से सरसों की चोरी की. इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर मुझे लगा कि अगर मैं फूलन देवी बन जाती हूं, तो मेरे परिवार को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने फूलन देवी बनने का आइडिया छोड़ दिया और इसकी बजाय ग्रीन गैंग शुरू करने का फैसला किया.'

दहदिया ने यह भी बताया कि तमाम मुश्किलों के बावजूद यह गैंग काफी तेजी से अलग-अलग इलाकों में आगे बढ़ रहा है. फिलहाल इस गैंग के 14,400 से भी ज्यादा सदस्य हैं. ग्रीन गैंग से जुड़े सदस्य उत्तर प्रदेश के 14 से भी ज्यादा जिलों में सक्रिय हैं. यह गैंग हर महीने औसतन करीब 4 से 5 मामलों को सुलझाता है.

दहदिया की मानें तो अपने गैंग में ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को भर्ती करने के लिए वह ट्रेन की यात्रा कर अनजान ठिकानों तक भी पहुंचने में संकोच नहीं करती हैं. वह कहती हैं, 'अजनबी लोगों से संवाद स्थापित करने के लिए ट्रेन सबसे अच्छी और उपुयक्त जगह होती है. लोग अक्सर मुझे पहचान लेते हैं और मैं उनसे अपने गांव की सबसे मुखर और अधिकारों को लेकर जागरूक रहने वाली महिलाओं से संपर्क स्थापित कराने का अनुरोध करती हूं. मैं उनसे इन मुखर महिलाओं से मिलवाने के लिए भी कहती हूं. उसके बाद मैं ऐसी महिलाओं से मुलाकात के लिए संबंधित जगहों पर जाती हूं और अपने गैंग के बारे में जानकारी मुहैया कराती हूं. जिन महिलाओं को हमारे इस अभियान में दिलचस्पी लगती है, वे हमारे गैंग का सदस्य बनती हैं. इसके अलावा, उनसे गैंग के लिए और सदस्य ढूंढने को भी कहा जाता है. हमारा गैंग सदस्यता ग्रहण करने या किसी तरह की समस्या को सुलझाने के लिए कभी भी पैसे की मांग नहीं करता है. हालांकि, हम चंदा या अन्य तरह की वित्तीय मदद स्वीकार करते हैं, क्योंकि हमें कुछ बिलों का भुगतान भी करना होता है.'


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