एमके स्टालिन द्रमुक के नए अध्यक्ष चुने गए

By: Dilip Kumar
8/28/2018 1:32:47 PM
नई दिल्ली

एमके स्टालिन को मंगलवार को द्रमुक का निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया। पार्टी के संस्थापक सीएन अन्नादुरई और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बाद वे तीसरे अध्यक्ष होंगे। करुणानिधि 1969 से द्रमुक के मुखिया थे। करुणानिधि के निधन के बाद स्टालिन और उनके बड़े भाई अलागिरी में टकराव की खबरें आई थीं। पार्टी से बर्खास्त अलागिरी ने दावा किया था कि मेरे पिता के प्रति निष्ठा रखने वाले पार्टी के सभी लोग मेरे साथ हैं। स्टालिन और अलागिरी दोनों ही करुणानिधि की पहली पत्नी दयालु के बेटे हैं।

इससे पहले स्टालिन जनवरी 2017 से पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष थे। मंगलवार को पार्टी की महापरिषद की बैठक में वरिष्ठ नेता और पार्टी के प्रधान सचिव दुरईमुरुगन को पार्टी का नया कोषाध्यक्ष चुना गया। स्टालिन ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए रविवार को पार्टी मुख्यालय में नामांकन पत्र दाखिल किया था। इसके अलावा दुरईमुरुगन ने नामांकन पत्र भरा था। यह पद भी अब तक स्टालिन के         पास था।

1949 में सीएन अन्नादुरई ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) का गठन किया। करुणानिधि अन्नादुरई के साथ आ गए। अन्नादुरई ने 1956 के तिरुचि सम्मेलन में पार्टी को चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय लिया। द्रमुक ने दिसंबर 1961 में अपने कोयंबटूर सम्मेलन में घोषणा की कि वह अब तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश को मिलाकर एक अलग गणतंत्र बनाने की दिशा में काम करेगी। इस घोषणा के सहारे 1962 के विधानसभा चुनाव में कुल 206 में से 50 सीटें द्रमुक ने हासिल कीं। 1967 के विधानसभा चुनाव में द्रमुक को राज्य विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला और कांग्रेस को पहली बार राज्य की सत्ता से बाहर होना पड़ा।

अन्नादुरई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने करुणानिधि को पीडब्ल्यूडी मंत्री बनाया। 1969 में मद्रास स्टेट से अलग होकर तमिलनाडु राज्य बना। अन्नादुरई 14 जनवरी, 1969 को तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री बने। लेकिन 20 दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। 7 दिन बाद यानी 10 फरवरी, 1969 को करुणानिधि प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री बने। वे 4 जनवरी, 1971 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे। 1969 में ही करुणानिधि द्रमुक के अध्यक्ष बनाए गए। 1971 में विधानसभा चुनाव में द्रमुक फिर सत्ता में आई और करुणानिधि मुख्यमंत्री बने। 1972 में द्रमुक तब दो-फाड़ हो गई जब एमजी रामचंद्रन ने अन्नाद्रमुक नाम से नई पार्टी बना ली।


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