हिंदू न्यायपीठ का संविधान सार्वजनिक

By: Dilip Kumar
10/2/2018 4:03:48 PM
नई दिल्ली

अखिल भारत हिंदू  महासभा की राष्ट्रीय सचिव व हिंदू न्यायपीठ की स्वयंभू पहली न्यायाधीश डॉ. पूजा शकुन पांडेय ने मंगलवार को न्यायपीठ का संविधान सार्वजनिक कर दिया। नौरंगाबाद के महासभा कार्यालय पर मीडिया को संविधान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान भारतीय संविधान के खिलाफ नहीं है, जबकि शरिया कानून सीधे संविधान का विरोध करता है। हम संविधान के माध्यम से हिंदुओं के मामले निस्तारित करेंगे। पूरी कोशिश होगी कि मामले को आपसी बातचीत से निस्तारित किया जाए। डॉ. पूजा ने कहा कि गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर को हम धिक्कार दिवस के रूप में मनाते हैं, इसलिये हमने इस संविधान को लागू किया है। गांधी ने देश को तोडऩे का काम किया है, उन्हें कभी सम्मान नहीं दे सकते।

अगस्त माह में हिंदू न्याय पीठ की घोषणा मेरठ में की गई। तब  डा. पूजा शकुन पाडे ने कहा कि न्यायपीठ में भगवान राम के दरबार की तरह न्याय मिलेगा। सामाजिक, आर्थिक स्थिति या जाति देखकर नहीं बल्कि न्याय की प्रक्रिया निष्पक्ष और त्वरित होगी। सभी न्यायालय श्रीराम भवन के नाम से जाने जाएंगे।

अगस्त माह में मेरठ में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा था कि सभी जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने राज-धर्म का पालन करने के लिए सीता को निष्कासित कर दिया था। ङ्क्षहदू न्यायपीठ में भी निष्पक्षता का वैसा ही भाव होगा। सनातन धर्म की पुस्तकों यथा-नारद स्मृति के 2000 श्लोक, मनुस्मृति, स्मृति चंद्रिका, सरस्वती विलास जैसे ग्रंथों में न्याय और दंड विधान का गहराई से प्रतिपादन किया गया है। उसे ही आधार मानकर नियमावली (बायलाज) तैयार की जा रही है। इसका भारतीय संविधान से कोई टकराव नहीं होगा। उन्होंने कहा लव जिहाद और धर्मातरण कर हिंदू धर्म को समाप्त करने की साजिश चल रही है। इससे संबधित मामले प्राथमिकता के आधार पर हिंदू न्याय पीठ में सुने जाएंगे। 

 


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