मध्य प्रदेश की इन हॉट सीटों पर रहेगी सबकी नजर

By: Dilip Kumar
12/10/2018 5:46:25 PM
नई दिल्ली

मध्य प्रदेश चुनाव में 28 नवंबर को वोटिंग हो गई और अब सभी को 11 नवंबर की काउंटिंग का इंतजार है. बीजेपी और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान जहां एक बार और बीजेपी की सरकार को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं तो वहीं कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं. ऐसे में हम मध्यप्रदेश की उन 5 हॉट सीट की बात कर रहे हैं जिसपर सबकी नजर होगी.

बुधनी सीट

यह सीएम शिवराज सिंह चौहान की सीट है. इस बार उनके खिलाफ कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का मैदान में उतारकर इस काफी महत्वपूर्ण बना दिया है. शिवराज इस सीट से साल 1990, 2006, 2008 और 2013 में जीत चुके हैं. इस बार भी उन्होंने जीत का दावा किया है. हालांकि. उन्हें अपनी सीट पर प्रचार के लिए ज्यादा समय मिल नहीं पाया, लेकिन उनके बेटे कार्तिकेय और पत्नी साधना ने यहां जमकर प्रचार किया. दूसरी तरफ कांग्रेस के अरुण यादव खंडवा से सांसद और यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. दिग्विजय सिंह अरुण यादव की जीत का लगातार दावा कर रहे हैं. ऐसे में इस सीट पर सबकी नजर रहेगी.

छिंदवाड़ा सीट

छिंदवाड़ा को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की वजह से काफी तरजीह मिलती है. वह यहां से 9 बार सांसद रह चुके हैं. लेकिन साल 2013 में यह सीट बीजेपी के चंद्रभान सिंह ने जीती थी. साल 2008 में कांग्रेस के दीपक सक्सेना जीते थे. यहां कमलनाथ के विकास मॉडल की काफी चर्चा रहती है. बीजेपी यहां इल बार फिर जीत का दावा कर रही है. उसने बयान दिया है कि वह सातों सीट रही है.

गुना सीट

इसे ग्वालियर के महाराज की गद्दी के रूप में देखा जाता है. यह सीट साल 2008 से अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है. इस बार बीजेपी ने गोपीलाल जाटव को उतारा है. वह 5 बार विधायक रह चुके हैं. गुना जिले में 4 विधानसभा सीटें आती हैं. इस सीट पर ज्यादातर बीजेपी और कांग्रेस को ही जीत हासिल होती आई है. गुना विधानसभा ने भाजपा से 5 बार के विधायक और एक चुनाव न हारने वाले गोपीलाल जाटव को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने यहां से युवा उम्मीदवार चंद्रप्रकाश अहिरवार को टिकट दिया है. साल 2008 में भारत जनशक्ति पार्टी और साल 2008 में बीजेपी को यहांसे जीट मिली थी.

बैतूल सीट

आंकड़ों और इतिहास की बात करें तो ये कह सकते हैं कि इस सीट पर जिस पार्टी का कैंडिडेट जीतता है, राज्य में उसी की सरकार बनती है. साल 1962 में यहां से दीपचंद गोठी ने जीत दर्ज की और प्रदेश में कांग्रेस आई.1967 में जीडी खंडेलवाल, साल 1972 में मारोति पांसे, साल 1977 में बीजेपी के माधव नासेरी, साल 1980 में कांग्रेस के डॉ. अशोक साबले, साल 1985 में फिर अशोक साबले, साल 1990 में बीजेपी के भगवत पटेल, साल 1993 और 1998 में कांग्रेस 2003 , 2008 और 2013 में लगातार तीन बार बीजेपी का ही विधायक बना. ऐसे में इस सीट पर सबकी नजर है. कांग्रेस ने निलय विनोद डागा को टिकट दिया है तो बीजेपी ने हेमंत खंडेलवाल को मैदान में उतारा है. ऐसे में इस सीट पर सबकी नजर रहेगी.

राघौगढ़

यहां से प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन चुनावी मैदान में हैं. वह यहां से साल 2013 का चुनाव जीत चुके हैं. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी राधेश्याम धाकड़ को 58204 वोटों से हराया था.


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