शराब कारोबारी विजय माल्‍या को भारत लाए जाने का रास्‍ता साफ

By: Dilip Kumar
12/10/2018 6:38:48 PM
नई दिल्ली

शराब कारोबारी विजय माल्‍या को भारत लाए जाने का रास्‍ता साफ हो गया है। लंदन की कोर्ट ने माल्‍या के प्रत्‍यर्पण को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि वह ऊपरी कोर्ट में अपील कर सकता है। माल्‍या को 14 दिन में फैसले के खिलाफ अपील करनी होगी। वहीं सीबीआइ ने लंदन कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। फैसला आने से पहले विजय माल्‍या ने वहां मौजूद मीडिया से कहा कि कोर्ट का जो भी फैसला आएगा वह उसे मंजूर होगा। उसने कहा, 'मैंने किसी का पैसा नहीं चुराया, मैं लोन लिया हुआ पैसा चुकाने को तैयार हूं। लोन का प्रत्यर्पण से कोई संबंध नहीं है।'

बैंकों की ऋण राशि का भुगतान करने के प्रस्ताव पर विजय माल्या ने कहा कि जैसा कि मैंने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय में मामला चल रहा है। इस बारे में उच्च न्यायालय को फैसला तय करने दें। इस सुनवाई के दौरान सीबीआइ के संयुक्त निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो अधिकारी उपस्थित रहे। धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग के मामले में वांछित माल्या पर भारतीय बैंकों के करीब 9,000 करोड़ रुपये बकाया हैं। ब्रिटेन में पिछले साल अप्रैल में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। अभी वह जमानत पर है।

माल्या ने मनी लांड्रिंग के आरोपों के बाद देश छोड़ दिया था। वह मार्च, 2016 से लंदन में है। भारत सरकार लगातार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। पिछले साल चार दिसंबर को लंदन की मजिस्ट्रेट अदालत में माल्या के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी। इस मामले में भारत सरकार की ओर से क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) केस देख रही है। सीपीएस के प्रमुख मार्क समर्स का कहना है कि मानवाधिकारों के आधार पर माल्या के प्रत्यर्पण में कोई बाधा नहीं है।

वहीं माल्या का बचाव पक्ष यह साबित करने के प्रयास में है कि किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा बैंकों से लिया गया पैसा कारोबारी विफलता के कारण डूबा। इसमें बेईमानी या धोखाधड़ी नहीं की गई। सोमवार की सुनवाई के लिए सीबीआइ की तरफ से संयुक्त निदेशक एस साई मनोहर उपस्थित रहेंगे। मनोहर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की जगह लेंगे। अब तक माल्या से संबंधित सुनवाई में अस्थाना शामिल होते रहे हैं। फिलहाल निदेशक आलोक वर्मा के साथ चल रही तकरार के मामले में सरकार ने अस्थाना से सभी अधिकार छीनते हुए उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है।


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