मंगलवार पर विशेष : इस मंदिर में हनुमानजी की पत्नी सहित होती है पूजा

By: Dilip Kumar
12/17/2018 6:23:17 PM
नई दिल्ली

पूरे विश्व में भगवान हनुमानजी की पूजा अकेले की जाती है लेकिन एक ऐसा मंदिर भी भारत में मौजूद है जहां उनकी पत्नी के साथ पूजा की जाती है। तेलंगाना के खम्मम जिले में येल्नाडु गांव में स्थित है यह हनुमान मंदिर। हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर दूर है। हनुमान जी और उनकी पत्नी सुर्वचला की पूजा होती है। यहां पर बना यह पुराना मंदिर सालों से लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है। स्थानीय लोग ज्येष्ठ शुद्ध दशमी को हनुमान जी का विवाह उत्सव मनाते हैं। हालांकि उत्तर भारत में रहने वाले लोगों के लिए यह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। क्योंकि हनुमान जी को बाल ब्रह्मचारी माना जाता है।

ज्ञान प्राप्ति के लिए की शादी

पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाहित होने का प्रमाण मिलता है। उनका विवाह सूर्यदेव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। संहिता के अनुसार हनुमान जी ने सूर्य देव को अपना गुरू बनाया था। सूर्य देव के पास 9 दिव्य विघाएं थीं। इन सभी विघाओं का ज्ञान बजररंग बली प्राप्त करना चाहते थे। सूर्य देव ने इन 9 में से 5 विघाओं का ज्ञान तो हनुमान जी को दे दिया, लेकिन शेष 4 विघाओं के लिए सूर्य के समक्ष एक संकट खड़ा हो गया। शेष 4 दिव्य विघाओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था जो विवाहित हों। हनुमान जी बाल ब्रहम्चारी थे, इस कारण सूर्य देव उन्हें शेष 4 विघाओं का ज्ञान देने में असमर्थ हो गए। इस समस्या के निराकरण के लिए सूर्य देव ने हनुमान जी से विवाह करने की बात कही। बहुत आनाकानी करने के बाद हनुमान जी ने विवाह के लिए हां कर दी।

हनुमान जी की रजामंदी मिलने के बाद सूर्य देव के तेज से एक कन्या का जन्म हुआ। इसका नाम सुर्वचला था। सूर्य देव ने हनुमान जी को सुवर्चला से शादी करने को कहा। सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी। हिंदु मान्यताओं की मानें, तो सुवर्चला किसी गर्भ से नहीं जन्मी थी, ऐसे में उससे शादी करने के बाद भी हनुमान जी के ब्रह्मचर्य में कोई बाधा नहीं पड़ी, और बजरंग बली हमेशा ब्रह्मचारी ही कहलाए।

पति-पत्नी के तनाव को दूर करता है ये हनुमान मंदिर

माना जाता है कि हनुमानजी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद पति-पत्नी के बीच चल रहे सारे विवाद समाप्त हो जाते हैं। हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं। मंदिर में दर्शन करने और हनुमानजी के समक्ष अच्छे से जीवन बिताने का वादा करने के बाद यह वादा दोनों पति और पत्नी को निभाना होता है। अन्यथा उनका बुरा हाल हो जाता है। उनके दर्शन के बाद जो भी (पति या पत्नी) विवाद की शुरुआत करता है, उसका बुरा ही बुरा होता रहता है।

हनुमान जी पिता कैसे बने

हनुमानजी के पिता बनने का सारा उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण की लंका में गए थे और रावण ने उनकी पूंछ में आग लगवा दी थी तब हनुमान जी ने पूरी लंका को जलाकर खाक कर दिया था। लंका में लगी भीषण आग से चारों और भीषण गर्मी फैल गई थी इस भीषण गर्मी के कारण हनुमान जी अपनी पूंछ को बुझाने के लिए समुद्र में पहुंच जाएं और समुद्र में अपनी पूंछ को बुझाने लगे तब हनुमानजी के शरीर से पसीने की कुछ बूंदे एक मछली के पेट में चली गई जिससे कि वह मछली गर्भवती हो गई।

रावण के भाई अहिरावण के द्वारा उस मछली को पकड़कर पाताल लोक ले जाया गया जब उस मछली का पेट काटा गया तो उसके पेट से एक वानर रूपी बालक निकला और उस बालक को पाताल लोक का द्वारपाल बना दिया गया। अहिरावण जब राम जी और लक्ष्मण जी को पाताल लोक ले गए तब हनुमान जी भी अहिरावण का पीछा करते हुए पाताल लोक पहुंच गए तब वहां हनुमान जी का सामना उस बालक से हुआ जब हनुमान जी ने उस बालक से अपना परिचय पूछा तो उस बालक ने कहा कि मैं पवन पुत्र हनुमान का पुत्र मकरध्वज हूं।


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