गुरूग्राम : जिला स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

By: Dilip Kumar
10/29/2018 7:35:33 PM
नई दिल्ली

नगर निगम गुरूग्राम द्वारा लघु सचिवालय के प्रथम तल स्थित सभागार में अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए जिला स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आए विशेषज्ञों ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम-2016, ई-वेस्ट प्रबंधन नियम, प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन नियम तथा निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके साथ ही जनवरी 2019 में होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण तथा जागरूकता कार्यक्रमों के बारे भी विशेषज्ञों ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए नगर निगम आयुक्त यशपाल यादव ने आए हुए विशेषज्ञों का स्वागत किया तथा कहा कि हमें समय-समय पर इस प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए, ताकि हम अपनी क्षमता को और अधिक बढ़ा सकें। उन्होंने कहा कि कोई भी काम सभी के सांझा प्रयासों से ही सफल हो सकता है तथा काम को बेहतर बनाने के लिए खुद सीखने की इच्छा होनी चाहिए तथा विशेषज्ञों से समय-समय पर हमें उस विषय में सीखते रहना चाहिए। निगमायुक्त ने बताया कि नगर निगम गुरूग्राम द्वारा आने वाले समय में कई विशेष कार्य किए जाएंगे, जिनके शुरू होने के बाद गुरूग्राम स्वच्छ, हराभरा एवं बेहतर शहर बनेगा। उन्होंने कहा कि हमें यह मंथन करने की जरूरत है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को कैसा शहर देना चाहते हैं। हम सभी की यह नैत्तिक जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने शहर और देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें।

कार्यशाला में ठोस कचरा प्रबंधन विशेषज्ञ  संचिता जिंदल ने ठोस कचरा प्रबंधन नियम तथा प्लास्टिक वेस्ट प्रबंधन नियम पर अपने विचार रखे। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि हमें प्राथमिक स्तर पर ही कचरे को तीन श्रेणियों में विभाजित करना चाहिए। इनमें गीला कचरा, सूखा कचरा तथा हानिकारक कचरा शामिल है। कभी भी हानिकारक कचरे को गीले और सूखे कचरे के साथ मिक्स ना किया जाए। उन्होंने कहा कि हमें प्लास्टिक का उपयोग कम करना चाहिए तथा खाने-पीने की वस्तुओं को प्लास्टिक कैरीबैग में नहीं लेना चाहिए। प्लास्टिक का उपयोग सड़क बनाने में तथा सीमेंट प्लांट में किया जा सकता है।

नेशनल प्रोडक्शन काऊंसिल के डिप्टी डायरेक्टर हर्ष ठकराल ने ई-वेस्ट प्रबंधन नियम पर अपने विचार रखते हुए ई-वेस्ट प्रबंधन में काफी स्कॉप हैं। कभी भी घरेलू कचरे में ई-वेस्ट को नहीं डालना चाहिए क्योंकि इसमें हानिकारक कंपोनेंट होते हैं। इसके साथ ही ई-वेस्ट को इधर-उधर भी नहीं फैंकना चाहिए तथा अधिकृत व्यक्ति या कंपनी के माध्यम से ही ई-वेस्ट का प्रबंधन किया जाना चाहिए। सीएंडडी वेस्ट मैनेजमैंट एक्सपर्ट अरूण शर्मा ने निर्माण एवं विध्वंस कचरे अर्थात मलबे के प्रबंधन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट के साथ मलबे को शामिल नहीं किया जाना चाहिए। गुरूग्राम में आईएलएंडएफएस कंपनी द्वारा मलबा प्रबंधन प्लांट का निर्माण किया जा रहा है, जिसके जल्द ही शुरू होने की संभावना है। मलबे से कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार करके उनका उपयोग भवन एवं सड़क निर्माण में किया जाएगा।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत गठित प्रोजैक्ट इंप्लीमैंटेशन यूनिट के हैड डा. हरभजन सिंह ने स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 के दौरान की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वच्छ सर्वेक्षण का उद्देश्य शहरों में स्वच्छता को बढ़ावा देना है, ताकि हमारा शहर एवं देश स्वच्छ बने तथा नागरिक स्वस्थ रहें। गुडग़ांव फस्र्ट संस्था की प्रतिनिधि शुभ्रा पुरी ने नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए की जाने वाली गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के इस मिशन में शहर के नागरिकों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

स्वच्छता का दायित्व प्रत्येक नागरिक का है और हम सभी को साथ मिलकर अपने शहर को बेहतर रैंकिंग दिलानी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने ग्रेडिड रैस्पॉंस एक्शन प्लान के तहत की जाने वाली गतिविधियों की जानकारी दी। एडीशनल म्यूनिसिपल कमिशनर वाईएस गुप्ता ने सभी का धन्यवाद किया। निगमायुक्त ने बेहतर कार्य करने वाले स्वच्छता सैनिकों को प्रशस्ति-पत्र भेंट किए। इस अवसर पर संयुक्त निगमायुक्त रविन्द्र यादव, चीफ इंजीनियर एनडी वशिष्ठ, चीफ टाऊन प्लानर आरके सिंह, सीनियर टाऊन प्लानर सतीश पराशर, डिप्टी म्यूनिसिपल कमिशनर इन्द्रजीत कुल्हडिय़ा, स्वच्छता सलाहकार नरेश पंकज, सोनिया दूहन एवं विनोद वर्मा सहित नगर निगम गुरूग्राम, नगर परिषद सोहना, नगर पालिका पटौदी, फरूखनगर एवं हेलीमंडी के अधिकारीगण उपस्थित थे।


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