गिरिडीह संसदीय क्षेत्र : हर घर में लगी है आग घर के चिराग से

By: Dilip Kumar
11/20/2018 2:18:41 PM
नई दिल्ली

बेरमो@शिव औढरदानी । आसन्न लोकसभा चुनाव की दस्तक रफ्ता-रफ्ता करीब होती जा रही है । लेकिन चुनावी समर की तैयारी की गति उतनी ही धीमी है । वर्तमान सांसद रवीन्द्र कुमार पांडेय पांच बार शानदार जीत हासिल कर चुके हैं। लेकिन इस बार वे पूरे दम-खम के साथ जीत का दावा नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि विपक्ष की दावेदारी भी अभी स्पष्ट नहीं है। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद यूपीए के झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो से वे बमुश्किल चालीस हजार मतों से जीते थे।

संसदीय चुनाव का परिदृश्य में देश के स्तर पर भले ही मोदी बनाम राहुल के आमने- सामने होने की तस्वीर बनाता दिखाई पड़ रहा हो। लेकिन गिरिडीह संसदीय क्षेत्र की तस्वीर अलग है। भाजपा को अपने ही नेताओं की परस्पर विरोधी दावेदारी को लेकर आंतरिक संकट से जूझना पड़ रहा है। भाजपा के बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो कई मंचों से और सांसद श्री पांडेय के गृह विधानसभा क्षेत्र बेरमो में अपनी तेज सक्रियता के जरिए भाजपा से अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। सत्य तो यह भी है कि एक दल में होने की जो मर्यादा होती है सीट के दावेदारी में श्री महतो उसका थोड़ा भी ख्याल नहीं रखते ।

वे खुलेआम मंचों से सांसद श्री पांडेय को लुटेरा और बाहरी बता कर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच उनकी छवि बिगाड़ने और स्थानीय वोटरों का ध्रुवीकरण करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं । इसी तरह जवाबी प्रतिक्रिया में श्री पांडेय भी श्री महतो को गुंडा आदि गैर संसदीय शब्दों से विभूषित कर हमलावर हो रहे हैं । भाजपा के अंदर दो नेताओं की इस धींगामुश्ती का विपक्ष सिर्फ आनंद उठा रहा है । आने वाले समय में आपसी मतभेद के बावजूद भाजपा चुनाव के केन्द्र में खड़ी होगी, इससे किसी को इंनकार नहीं है । मुकाबले में कांग्रेस समर्थित झामुमो का ही समीकरण बन रहा है । झामुमो के दो दावेदार हैं ।

डुमरी विधायक जगरनाथ महतो की दावेदारी तो स्पष्ट है, लेकिन मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने भी अपनी दावेदारी आगे की है । झामुमो का एक धड़ा का मानना है कि श्री पटेल के पिता स्व. टेकलाल महतो के कद्दावर नेता रह चुकने का लाभ पटेल को मिल सकता है। स्व.टेकलाल महतो गिरिडीह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पटेल टुंडी के पूर्व विधायक मथुरा महतो के दामाद भी हैं। इन्हीं स्थितियों के कारण स्व. टेकलाल महतो के निधन के पश्चात जब श्री पटेल विधायक बने तो नए होने के बावजूद हेमंत सोरेन ने पुराने नेता जगरनाथ महतो को नजरअंदाज कर इन्हें मत्रिमंडल में शामिल किया था।

इधर, झामुमो से अलग होकर झारखंड उलगुलान पार्टी भी अपना प्रत्याशी खड़ा कर झामुमो को नुकसान पहुंचा सकती है । बहरहाल, वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि संसदीय चुनाव के परंपरागत मुकाबले के मुख्य केन्द्र में रहने वाली भाजपा और झामुमो की स्थिति हर घर में आग लगी हुई है घर के चिराग से वाली कहावत को ही चरितार्थ कर रही है ।


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