'भगवान राम को अदालत क्यों ले गए?'

By: Dilip Kumar
12/1/2018 6:27:57 PM
नई दिल्ली

विश्व वेदांत संस्थान ने राम मंदिर निमार्ण के मुद्दे पर सवाल किया है कि अगर ईशा मसीह, मदर मैरी और अल्लाह से जुड़े मसले अदालत नहीं ले जाए जा सकते और अदालत उन्हें तय नहीं कर सकती तो भगवान राम को न्यायालय लेकर क्यों गए? विश्व वेदांत संस्थान ने शुक्रवार को कहा कि बिना किसी बाधा के राम मंदिर निमार्ण के लिए अयोध्या में कलयुग का पहला अश्वमेध यज्ञ 1 से 4 दिसंबर तक किया जाएगा।

विश्व वेदांत संस्थान के संस्थापक आनंदजी महाराज ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अब श्रीराम मंदिर निमार्ण के आंदोलन को जन आंदोलन बनने से कोई रोक नहीं सकता। अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा। जब सवोर्च्च न्यायालय कुछ मामलों में रात में अपना फैसला सुना सकता है तो राममंदिर निमार्ण मामले में देर क्यों हो रही है? अगर ऐसे ही चलता रहा तो रामजन्म भूमि मामले में भी मोदी सरकार को अध्यादेश लाना ही होगा। अब मोदी जी को मंदिर निमार्ण की तारीख बतानी होगी। संत और रामभक्त मंदिर निमार्ण के लिए बिल्कुल तैयार है।”

आनंदजी महाराज ने कहा कि भारत की कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां भगवान पर आस्था नहीं रखतीं। भाजपा आस्था तो रखती है, पर मंदिर बनवाने के मामले में ऊहापोह में है इसीलिए इस अश्वमेध यज्ञ को 1००8 पंडित मिलकर पूरा करेंगे और 11००० संत शामिल होंगे। साधु-संत और भारत की आम जनता इसके लिए कमर कस चुकी है। अयोध्या में दिसंबर में होने वाला अश्वमेध महायज्ञ श्रीराम मंदिर निमार्ण की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि त्रेता युग के बाद कलयुग में पहली बार अयोध्या की पवित्र धरती पर, जहां भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था, अश्वमेध यज्ञ होने जा रहा है। विश्व वेदांत संस्थान सभी संतों को जोड़कर राम मंदिर का निमार्ण करेगा।

विश्व वेदांत संस्थान के संस्थापक ने कहा, “राममंदिर निमार्ण के लिए अदालत के आदेश का इंतजार नहीं किया जा सकता। संतों को भव्य राम मंदिर निमार्ण का बीड़ा उठाना होगा। मंदिर का विषय राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा है। हमारे देश में विभिन्न मत या संप्रदाय के लोग रहते हैं, लेकिन सबके भगवान श्री राम ही पूर्वज हैं। हर हिंदू को अपने पूर्वज भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निमार्ण को अपना भरपूर समर्थन देना चाहिए।”

महायज्ञ के संयोजक स्वामी आनंदजी महाराज ने बताया कि विश्व वेदांत संस्थान का केंद्र नीदरलैंड में है। भारत के 21 प्रदेश में करीब 1० लाख सदस्य अब तक संस्थान से जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निमार्ण संतों के आदेश और निदेर्शन में ही होगा। संतों का काम हिंदू समाज की रक्षा, धर्म का प्रचार-प्रसार और विस्तार करना है। सद्भावना के माहौल में मंदिर निमार्ण होना चाहिए।


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