सिंह मेंशन की धमक से बदले धनबाद लोकसभा के समीकरण

By: Dilip Kumar
12/1/2018 7:51:06 PM
नई दिल्ली

धनबाद@देवेंद्र गौतम। कोयलांचल के सबसे ताकतवर परिवार सिंह मेंशन के छोटे युवराज सिद्धार्थ गौतम ने लोकसभा चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। इससे धनबाद लोकसभा क्षेत्र का पूरा परिदृश्य बदल गया है। सारे समीकरण धराशायी हो गए हैं। सिद्धार्थ गौतम झरिया के पूर्व विधायक स्व. सूर्यदेव सिंह के छोटे पुत्र हैं। उनके सबसे बड़े भाई राजीव रंजन सिंह कई वर्ष पूर्व रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए थे। उनके दूसरे बड़े भाई विधायक संजीव सिंह अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं। उनके पिता स्व. सूर्यदेव सिंह जबतक जीवित रहे झरिया विधानसभा क्षेत्र से लगातार जीतते रहे।

कोयलांचल की राजनीति इस परिवार के इर्द-गिर्द घूमती रही है। सिद्धार्थ की माता कुंती देवी झरिया से विधायक रही हैं। झरिया विधानसभा सीट पर सिर्फ दो बार आबो देवी की जीत हुई थी। वे सहानुभूति लहर में वे जीती थीं। उन दो चुनावों को छोड़ दिया जाए तो झरिया सीट पर सिंह मेंशन का ही कब्जा रहा है। उसपर सिंह मेंशन का कोई भी सदस्य चाहे जिस भी पार्टी के टिकट पर खड़ा हो, जीत जाता है। इसका कारण यह है कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड की खदानों में मजदूरों का सबसे प्रभावशाली यूनियन जनता मजदूर संघ सिंह मेशन से संचालित होता है। स्व. सूर्यदेव सिंह ने इसे स्थापित किया था। वे मजदूरों की समस्याओं को चुटकी बजाते हल कर देते थे।

भाकोकोलि का कोई अधिकारी उनकी बात काट नहीं सकता था। सूर्यदेव सिंह ने हजारों मजदूरों को नौकरी दिलाई थी। कई लाख परिवारों को बसाया था। उनके वंशज आज भी सिंह मेंशन के प्रति निष्ठावान हैं। उनका वोट अन्य किसी के पक्ष में नहीं जा सकता। सूर्यदेव सिंह को पूरे देश में कोयलांचल के बेताज़ बादशाह माने जाते थे।पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से उनके घनिष्ट संबंध थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने कई बार सिंह मेंशन का आतिथ्य ग्रहण किया था।

सिंह मेंशन की छत्रछाया में कोयलांचल की आम जनता और खासतौर पर व्यवसायी वर्ग स्वयं को अत्यंत सुरक्षित महसूस करता था। देश में कहीं भी कोई बड़ा राजनीतिक कार्यक्रम होता था तो उसमें सूर्यदेव सिंह का भरपूर सहयोग रहता था। सूर्यदेव सिंह के देहांत के बाद इस परिवार ने कई उतार-चढ़ाव देखे। कुछ लोगों ने वैकल्पिक ताकत बनने की कोशिश भी की। लेकिन इस परिवार के वर्चस्व को कोई तोड़ नहीं पाया।

आज जब कोयलांचल के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश हो रही है। उद्योगपतियों में भगदड़ मची हुई है। हार्ड कोक भट्टे बंद होते जा रहे हैं। कोयलांचल की अर्थ व्यवस्था भयानक मंदी के दौर से गुजर रही है। मजदूरों की रोजी रोटी पर संकट मंडरा रहा है। कोयलांचल के प्राय: तमाम वर्ग सिंह मेंशन की ओर आशा भरी नजऱों से देख रहे हैं। सिद्धार्थ गौतम कहते हैं कि जनता के निरंतर दबाव के कारण उन्हें लोकसभा चुनाव में उतरने का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनका परिवार भाजपा से जुड़ा लेकिन पार्टी से कभी कोई मदद नहीं ली। बल्कि पार्टी को दिया ही। विधायक संजीव सिंह को अपने ही चचेरे भाई की हत्या की साजिश के आरोप में जेल में बंद कर दिया गया। उन्हें फंसाने क कोशिश की गई है।

अगर गहन जांच हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। विधायक संजीव सिंह को दोषी अथवा निर्दोष करार देने का काम न्यायपालिका का है। लेकिन पार्टी की ओर से उन्हें जो मदद मिलनी चाहिए थी, नहीं मिली। अब धनबाद शहर और झरिया कोयलांचल का अस्तित्व मिटाने की उच्चस्तरीय साज़िश चल रही है। सिंह मेंशन का प्रभाव खत्म करने के लिए भारत कोकिंग कोल लिमिटेड को दो हिस्सों में बांट कर सीसीएल और ईसीएल में समाहित कर देने की योजना है। कोयलांचल को कार्पोरेट जगत के हवाले करने की व्यूह रचना रची जा रही है। कोयलांचल का श्रमिक वर्ग, अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी, उद्योगपति त्राहिमाम कर रहे हैं। पूंजी और पूंजीपतियों का निरंतर पलायन हो रहा है। सिंह मेंशन ऐसे में मूकदर्शक नहीं बना रह सकता। हमें हस्तक्षेप करना ही होगा।

हालांकि सिंह मेंशन के लोग प्राय: विधानसभा चुनाव में ही शिरकत करते रहे हैं। सूर्यदेव सिंह के अनुज बच्चा सिंह ने एकाध बार लोकसभा चुनाव में प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हुए। धनबाद के वर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह का इसबार अधिक उम्र होने के कारण भाजपा का टिकट कटने के आसार हैं। ऐसे में कई लोग उसपर दावेदारी कर रहे हैं। सिद्धार्थ गौतम ने पूरे संसदीय क्षेत्र में अपना जनसंपर्क अभियान चला रखा है। उन्हें हर तरफ से समर्थन भी मिल रहा है। यहां तक कि बोकारो के पूर्व विधायक और दिग्गज नेता समरेश सिंह का परिवार भी लोकसभा चुनाव में सिंह मेंशन की मदद करने और विधानसभा चुनाव में मदद लेने का प्रस्ताव रख चुका है।

माक्र्सवादी समन्वय समिति के नेता पूर्व सांसद कामरेड एके राय भी सिद्धार्थ को विजयी भव: का आशीर्वाद दे चुके हैं। स्थिति यह है कि अगर भाजपा धनबाद सीट पर सिद्धार्थ गौतम को उन्मीदवार बनाती है तो यह सीट निकाल सकती है अन्यथा यह सीट निकाल पाना उसके लिए असंभव जैसा हो जाएगा। सिद्धार्थ ने जब ठान लिया है तो वे चुनाव लड़ेंगे ही। सिंह मेंशन के प्रभाव को देखते हुए कोई भी दल उन्हें टिकट दे सकता है। निर्दलीय भी लड़े तो कड़ा टक्कर देंगे। स्वयं नहीं भी जीते तो भाजपा की हार सुनिश्चित कर देंगे। अब भाजपा नेताओं को तय करना है कि उन्हें धनबाद सीट पर क्या करना है।


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