सोनिया गांधी ने एक बार फिर जीत का परचम फहराया

By: Dilip Kumar
5/23/2019 9:58:48 PM
नई दिल्ली

कांग्रेस के गढ़ रायबरेली में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बार फिर जीत का परचम फहराया है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह को एक लाख 67,178 मत से शिकस्त दी। मतगणना के शुरुआती चरण में भाजपा टक्कर में दिखी। मगर सदर, सरेनी और ऊंचाहार में मिली बड़ी लीड ने भाजपा के मंसूबों पर पानी फेर दिया। यहां सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच थी। महागठबंधन ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। सोनिया गांधी को 5,34,666 लाख और दिनेश प्रताप सिंह को 367567 वोट मिले। सुबह जब मतगणना शुरू हुई तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर बहुत ही कम था।

2004 से रायबरेली से जीत रही हैं सोनिया

अब तक वोटों की गिनती में कांग्रेस की सोनिया गांधी को मिले 4,86,158 वोट, जबकि बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को 3,29,225 वोट मिले हैं। सोनिया गांधी 1 लाख 56 हजार वोट से अभी तक आगे चल रही हैं। सोनिया गांधी पहली बार रायबेरली से 2004 में चुनाव लड़ीं और तब से अब तक वह यहां की सांसद हैं। आमतौर पर बाकी पार्टियां कांग्रेस को इस सीट पर वॉकओवर देती आई हैं। इस बार सोनिया के ही खास सिपहसलार रहे दिनेश सिंह ही पार्टी बदलकर सोनिया को टक्कर दे रहे हैं।

2014 में बड़े अंतर से दर्ज की थी जीत

पिछली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने रेकॉर्ड जीत दर्ज की थी। उनकी जीत का अंतर 3 लाख 52 हजार 713 रहा था। सोनिया को करीब 63% यानी कि 5,26,434 वोट मिले। वहीं बीजेपी के अजय अग्रवाल को 1,73,721 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बीएसपी के प्रवेश सिंह रहे, इन्‍हें 63,633 वोट मिले।

रायबरेली का जातीय समीकरण

रायबरेली सीट पर पासी जाति का प्रभाव माना जाता है। इसके अलावा ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रिय जातियों के लोकल नेता निकाय चुनाव, विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, सोनिया गांधी और गांधी परिवार के नाम पर जातीय समीकरण खास फर्क नहीं डाल पाते हैं।

क्या है सीट की खासियत

वर्तमान में रायबरेली की सबसे बड़ी पहचान गांधी परिवार ही है। इतिहास में देखें तब पता चलता है कि रायबरेली को गांधी परिवार का हिस्सा बना देने का काम सबसे पहले इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने किया। बाद में इंदिरा और सोनिया गांधी भी यहां से सांसद बनीं। कांग्रेस यहां इस कदर मजबूत हुई कि 1957 से अबतक मात्र तीन बार लोकसभा चुनावों में उसे यहां हार का सामना करना पड़ा है। सबसे चर्चित चुनाव 1977 का रहा, जब भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़े समाजवादी धड़े के नेता राज नारायण ने इंदिरा गांधी को हरा दिया था।

 


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