हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला

By: Dilip Kumar
6/6/2019 1:53:01 PM
नई दिल्ली

हरियाणा सरकार आजकल भर्तियों के मूड में हैं। मनोहरलाल सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित पदों को सामान्‍य वर्ग से भरने का फैसला किया है। हाईकोर्ट ने जाट सहित छह पिछड़ी जातियों के आरक्षण पर रोक लगा रखी है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले बंपर भर्तियों की तैयारी में लगी प्रदेश सरकार अब जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला जाट-मुस्लिम जाटों के लिए आरक्षित पदों को सामान्य जातियों के उम्मीदवारों से भरेगी।

विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों पर भी सामान्य वर्ग के युवाओं की भर्ती की जाएगी। इसी तरह ईबीपीजी (सामान्य जातियों में आर्थिक आधार पर पिछड़े लोग) कैटेगरी में शामिल ब्राह्मण, बनिया, राजपूत व पंजाबी के लिए आरक्षित पदों को दूसरी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों से भरा जाएगा। पिछड़ा वर्ग की सी ब्लॉक कैटेगरी में आने वाली छह जातियों सहित विशेष पिछड़ा वर्ग और ईबीपीजी कोटे के तहत आरक्षण पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रोक लगाई हुई है। कानूनी अड़चनों के चलते विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और हाई कोर्ट में आरक्षित श्रेणी के हजारों पद खाली हैं जिन्हें अदालत के फैसले के इंतजार में भरा नहीं जा रहा था।

सरकार के निर्देश पर अब मुख्य सचिव ने सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, हाई कोर्ट व यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, उपायुक्त, एसडीएम, बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों के प्रबंध निदेशक और मुख्य प्रशासकों को कोटे के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए मांगपत्र हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) और हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) को भेजने का लिखित आदेश जारी किया है।

गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला जाट-मुस्लिम जाटों के लिए ग्रुप ए और बी में छह फीसद और ग्रुप सी व डी की नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की थी। वर्ष 2016 में मुरारी लाल गुप्ता बनाम राज्य सरकार मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। इसी दौरान विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण पर भी हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया।

हुड्डा सरकार में ही वर्ष 2013 में ईबीपीजी कैटेगरी में ब्राह्मण, बनिया, राजपूत व पंजाबी बिरादरी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ग्रुप ए व बी की नौकरियों में पांच फीसद और तृतीय व चतुर्थ श्रेणी में दस फीसद आरक्षण का नियम लागू कर दिया गया। अब चूंकि ईडब्ल्यूएस (आर्थिक पिछड़ा वर्ग) श्रेणी के लिए आरक्षण लागू किया जा चुका, इसके चलते ईबीपीजी आरक्षण नियम प्रासंगिक नहीं रहा।


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