उत्तर प्रदेश : अब सीधा लाभार्थी के खाते में सीएम आवास योजना की धनराशि

By: Dilip Kumar
6/26/2019 8:58:18 PM
नई दिल्ली

मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की धनराशि को किसी भी घोटाले से बचाने की खातिर आज योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सीएम आवास योजना-ग्रामीण के तहत अब धनराशि सीधे लाभार्थियों के खाते में जायेगी। इससे बिचौलियों पर अंकुश लगेगा और गरीबों के आवास निर्माण में तेजी आएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में संपन्न हुई कैबिनेट की बैठक में कुल छह फैसलों पर मुहर लगी। राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह तथा ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पत्रकारों को फैसलों की जानकारी दी।

सीधे लाभार्थी के खाते में स्थानांतरित करने के फैसले को मंजूरी

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण की धनराशि पीएफएमएस लिंक्ड स्टेट एकाउंट से सीधे लाभार्थी के खाते में स्थानांतरित करने के फैसले को मंजूरी दे दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पिछले वर्ष इस योजना की शुरुआत की थी। इसके लिए मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के वर्तमान वित्तीय प्रबंधन में संशोधन किया गया है। इस संशोधन से लाभार्थियों के खाते में धनराशि हस्तांतरित किये जाने में होने वाले प्रक्रियात्मक विलंब से बचा जा सकेगा और आवास निर्माण समय से पूरा कराया जाना संभव हो सकेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री आवास योजना-ग्रामीण प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा के कारण छत विहीन एवं आश्रयविहीन हो जाने वाले परिवारों, कालाजार से प्रभावित आवास विहीन या कच्चे, जर्जर आवासों में निवास करने वाले पात्र परिवारों के अलावा वनटांगियां एवं मुसहर वर्ग के आवास विहीन, कच्चे व जर्जर आवासों में निवास करने वाले गरीब परिवारों को आवास दिये जाने की योजना है।

पीएम आवास योजना से वंचित गरीब होंगे लाभान्वित

मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत वे गरीब लाभान्वित होंगे जो प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित हैैं। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण 2016-17 से केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही है। इस योजना के तहत उन लोगों को आवास उपलब्ध कराया गया है जो सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना-2011 के आंकड़ों के अनुसार बेघर हैं। जबकि बहुत से परिवार इसके अलावा भी बेघर हैं और 2011 के जनगणना के सापेक्ष पात्रों की सूची में नहीं आते हैं। मुख्यमंत्री आवास योजना से उन्हें लाभ होगा। योजना के लाभार्थियों के चयन के लिए प्राथमिक स्तर पर तैयार सूची की जांच के बाद जनजातीय समिति का गठन जिला स्तर पर किया जाएगा। इसके बाद लाभार्थियों को ग्राम सभा की खुली बैठक में मंजूरी दी जाएगी। पति और पत्नी दोनों के लिए घर आवंटित किया जाएगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण में आएगी तेजी

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना को साकार करने के लिए सरकार बैंकों से कर्ज ले रही है। कारपोरेशन बैंक ने हजार करोड़ रुपया दिया है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है, जबकि इसके पूर्व के बैंक आफ बड़ौदा के दो हजार करोड़ रुपये के कर्ज का नए सिरे से अनुमोदन किया। इस धनराशि से एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में तेजी आएगी। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना के लिए कुल 12 हजार करोड़ रुपये बैंकों के जरिये वित्त पोषण किया जाना है। पंजाब नेशनल बैंक ने 7800 करोड़ रुपये ऋण दिए और इसका क्लोजर भी मिल गया है। कैबिनेट ने मंगलवार को कारपोरेशन बैंक के एक हजार करोड़ रुपये के कर्ज की स्वीकृति के लिए यूपीडा को अधिकृत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस ऋण के सापेक्ष सरकार की अनुपूरक गारंटी जारी करने की भी अनुमति दी गई है। इसके अलावा प्रस्तावित ऋण के पश्चात फाइनेंशियल क्लोजर के लिए आवश्यक शेष धनराशि तथा परियोजना के लिए आवश्यक मार्जिन धनराशि शासन द्वारा यूपीडा को समय से उपलब्ध कराने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने अनुमोदित किया है।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के लिए विजया बैंक व बैंक आफ बड़ौदा ने अलग-अलग एक हजार करोड़ रुपये कर्ज दिया था। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। इस बीच, विजया बैंक का विलय बैंक आफ बड़ौदा में हो गया। बैंक ने सरकार से नए सिरे से कैबिनेट के अनुमोदन की अपेक्षा की। आज बैठक में पूर्व में मिले दो हजार करोड़ रुपये के कर्ज को भी कैबिनेट ने सैद्धांतिक अनुमोदन दे दिया। कैबिनेट ने भविष्य में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना के वित्त पोषण के लिए स्थापित पंजाब नेशनल बैंक कंसोर्शियम में 12 हजार करोड़ रुपये की ऋण सीमा तक किसी भी नए पब्लिक सेक्टर बैंक को शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।

 अब निजी प्रेसों में भी होगी सरकारी प्रकाशनों की छपाई

कैबिनेट ने विभागीय प्रकाशनों के मुद्रण के लिए निजी प्रेसों के पंजीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे सरकारी प्रकाशनों की छपाई निजी प्रेसों में भी हो सकेगी। 2002 में शासनादेश जारी कर निजी प्रेसों में विभागीय प्रकाशनों की छपाई रोक दी गई थी। निजी प्रेसों में छपाई का प्रावधान 1998 में शुरू किया गया था। अब ई-टेंडङ्क्षरग के जरिये निजी प्रेसों को यह अवसर मिलेगा। हालांकि सबसे पहले सरकारी प्रेस को ही प्राथमिकता दी जाएगी। प्रदेश सरकार की जनहितकारी योजना विकास कार्यक्रम, निर्णय और उपलब्धियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए सूचना विभाग समय-समय पर प्रचार पुस्तिका, फोल्डर, बुकलेट, ब्रोशर, हैंडबिल, एलबम, कैलेंडर व अन्य प्रचार सामग्री का प्रकाशन कराता है। कैबिनेट ने निजी प्रेसों के लिए श्रेणी का भी निर्धारण किया है। श्रेणीवार पंजीकरण के लिए पिछले एक वित्तीय वर्ष का टर्नओवर भी निर्धारित किया गया है। श्रेणी-क के लिए न्यूनतम टर्नओवर दो करोड़ रुपये, श्रेणी-ख के लिए न्यूनतम टर्नओवर एक करोड़ रुपये मात्र, श्रेणी-ग के लिए न्यूनतम टर्नओवर पचास लाख रुपये तय किये गये हैं। तीनों श्रेणी में पंजीकरण के लिए मुद्रक को ईएसआइ, ईपीएफ तथा फैक्ट्री एक्ट और जीएसटी में पंजीकरण होना जरूरी होगा।

अब जिला अदालतों में हो सकेगी मध्यस्थता व सुलह की सुनवाई

कैबिनेट ने सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 102 और 115 में तथा माध्यस्थम और सुलह अधिनियम-1996 की धारा दो (ङ) में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पहले सुलह के मामलों की सुनवाई हाई कोर्ट में ही होती थी, लेकिन फैसले से अब जिला न्यायालयों में भी सुनवाई हो सकेगी। धारा 102 और 115 में कैबिनेट ने धनराशि की सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत वाणिज्यिक मध्यस्थता और सुलह के बिंदुओं पर धारा 102 और 115 के तहत कार्यवाही होती है। धारा 102 में अब तक 25 हजार रुपये तक के ही मामले शामिल थे, जिसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किये जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसी तरह धारा 115 में अब तक पांच लाख रुपये की धनराशि बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। इसके अलावा माध्यस्थम और सुलह अधिनियम-1996 की धारा-2(ङ) में कोर्ट की परिभाषा में प्रस्तावित संशोधन को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से हाई कोर्ट के स्थान पर जिला न्यायालयों में मामलों की सुनवाई होगी। इससे लंबित मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी। खास बात यह कि जिला जज के अलावा एडीजे भी मामलों की सुनवाई कर सकेंगे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में 530 करोड़ की परियोजना को मंजूरी

कैबिनेट ने हाई कोर्ट इलाहाबाद में मल्टी लेवल पार्किंग और अधिवक्ताओं के चैंबर के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस मद में करीब 530 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय परिसर में मल्टी लेवल पार्किंग, एडवोकेट चैंबर एवं रिकार्ड रूम के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। व्यय वित्त समिति ने इस परियोजना के लिए 536.06 करोड़ रुपये के सापेक्ष संशोधित लागत 530.07 करोड़ रुपये का अनुमोदन किया था जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस योजना में किसी भी तरह के बदलाव के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।

म्यूजियम के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी

कैबिनेट ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के उपयोग के लिए थार्नहिल रोड, प्रयागराज में कांफ्रेंस हाल, दो वीआइपी सुइट्स और एक म्यूजियम के निर्माण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की कुल लागत 45 करोड़ 99 लाख 88 हजार रुपये है।


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