हमारी लोकतांत्रिक संस्थाएं और प्रणाली दुनिया में अग्रणी : मोदी
By: Dilip Kumar
6/27/2019 5:38:24 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को जी-20 समिट में हिस्सा लेने जापान पहुंचे। कोबे में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज जब मैं आपके बीच हूं तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने मुझ पर पहले से भी ज्यादा विश्वास और प्यार जताया है। मुझे पता है कि आपमें से भी अनेक साथियों का इस जनमत में योगदान रहा है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से बातें पहुंचाने का प्रयास किया। कुछ लोगों ने गांव में पुराने दोस्तों को चिट्ठियां लिखीं और ई-मेल भेजे। आपने भी किसी प्रकार से किसी ना किसी रूप से भारत में लोकतंत्र के इस उत्सव को और अधिक ताकतवर बनाया।
दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी
मोदी ने कहा कि 3 दशक बाद पहली बार लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है। भारत जैसे विशाल देश में यह स्थिति सामान्य नहीं है। 1984 में भी लगातार दूसरी बार एक पार्टी की दूसरी बार सरकार बनी थी। उस समय के हालात आप जानते हैं, कारण भी जानते हैं। लोग वोट क्यों डालने गए थे, यह भी आपको पता है। 1971 के बाद देश ने पहली बार एक सरकार को इनकम्बेंसी जनादेश दिया है। भारत के मन को आप जापान में बैठकर भी समझ पाते हैं, अनुभव कर पाते हैं। उनकी आशाओं और आपकी आशाओं में कोई अंतर महसूस नहीं होता है, तो मन को बहुत संतोष मिलता है।
‘‘कभी-कभी हम स्टेडियम में मैच देखते हैं, तो बाद में पता चलता है कि कैसे आउट हुए। जो घर में देखता है तो उसे तुरंत पता चलता है कि कैसे आउट हुआ। आप इतनी दूर बैठकर हिंदुस्तान को देखते हैं, तो सत्य पकड़ने की ताकत आपकी ज्यादा होती है। आपके जवाब सच्चाई, लोकतंत्र, देशवासियों की जीत है। मेरे लिए ये जवाब नई ताकत, नई प्रेरणा देते हैं।’’ ‘‘61 करोड़ मतदाताओं ने 40-45 डिग्री तापमान में अपने घर से कहीं दूर जाकर वोट दिया। अगर चीन को छोड़ दें तो दुनिया के किसी देश की जनसंख्या से ज्यादा मतदाता हैं। भारत में लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का अंदाजा लगता है। 10 लाख पोलिंग स्टेशन, 40 लाख से ज्यादा ईवीएम, 8 हजार से ज्यादा प्रत्याशी। इतना बड़ा उत्सव होता है लोकतंत्र का।
मानवता के इतिहास में इससे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव नहीं होता। भविष्य में भी इस रिकॉर्ड को तोड़ेगा, तो वह हक भी हिंदुस्तान के हाथ में है।’’ ‘‘लोकतंत्र के प्रति भारत के सामान्य जन की आस्था अडिग है। भारत की यही शक्ति 21वीं सदी के विश्व को नई उम्मीद देने वाली है। ये चुनाव, उसका प्रभाव सिर्फ भारत तक सीमित रहने वाले नहीं हैं। विश्व के लोकतांत्रिक मन को ये प्रेरित करने वाले हैं। न्यू इंडिया की आशाओं-आकांक्षाओं को ये जनादेश मिला है, ये जनादेश पूरे विश्व के साथ है। दुनिया भारत के साथ जब बात करेगी, तो उसे विश्वास होगा कि इन्हें जनता-जनार्दन ने चुना है।’’
‘‘पूर्ण बहुमत वाली सरकार में ही जब पहले से ज्यादा बहुमत हासिल होता है, तो विश्वास और ताकत बढ़ती है। सबका साथ-सबका विकास और हमने इसमें यह जोड़ा कि सबका विश्वास। इसी मंत्र पर हम चल रहे हैं। भारत दुनिया के विश्वास को भी और मजबूत करेगा और विश्व को आश्वस्त करेगा। जब दुनिया के साथ भारत के रिश्तों की बात आती है तो जापान को उसमें एक अहम स्थान मिला है। ये रिश्ते सदियों से हैं, इनके मूल में आत्मीयता है और एक-दूसरे की संस्कृति के लिए सम्मान है।’’
‘‘ये बापू की 150वीं जयंती का भी वर्ष है। गांधीजी की एक सीख बचपन से सीखते-समझते आए हैं। बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो। भारत का बच्चा-बच्चा इसे भलीभांति जानता है। कम लोगों को यह पता है कि जिन तीन बंदरों को इस संदेश के लिए बापू ने चुना, उनका जन्मदाता 17वीं सदी का जापान है। यह जापान की धरोहर है, जिनको पूज्य बापू ने एक महान सामाजिक संदेश के लिए प्रतीक के रूप में चुना और उसे प्रचारित-प्रसारित किया।’’
‘‘अगले महीने क्योटो में गियोन त्योहार आने वाला है। इसमें जिस रथ का उपयोग होता है, उसकी सजावट भारतीय रेशम के धागों से होती है। यह परंपरा आज की नहीं है, अनगिनत साल से चली आ रही है। 7 गॉड्स ऑफ फॉर्च्यून है, उनमें से 4 का भारतीय संबंध है। मां सरस्वती, मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और महाकाल की जापान में यहां के भगवान के रूप में मान्यता है।’’
दोनों देशों में कई समानताएं
मोदी ने कहा कि जापान और जामनगर में काम करने वालों को कोई अंतर महसूस नहीं होगा। बोलचाल के भी कुछ सूत्र हैं, जो हमें जोड़ते हैं। जिसे भारत में सेवा कहा जाता है, उसे जापान में भी सेवा कहा जाता है। निस्वार्थ सेवा को भारतीय दर्शन में सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। जापान में इसको जीकर बताया जाता है। विवेकानंद, टैगोर, गांधी, बोस अनेक महापुरुषों ने जापान के साथ हमारे रिश्तों को मजबूत किया। जापान में भी भारत और भारतीयों के लिए सम्मान है। दूसरे विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद से ही भारत-जापान के रिश्ते मजबूत हुए।
‘‘अटलजी और प्रधानमंत्री योशिरो मोरी ने हमारे रिश्तों को ग्लोबल बनाया। मुझे शिंजो आबे के साथ मिलकर इस दोस्ती को मजबूत करने का मौका मिला। हम अपने रिश्तों को सीधे जनता के बीच ले गए। दिल्ली के अलावा अहमदाबाद और वाराणसी में आबे को ले जाने का सौभाग्य मिला। काशी में आबे गंगा आरती में भी शामिल हुए। उन्हें जब भी जहां पर बोलने का मौका मिला, उस वक्त उन्हें आरती के समय जो अनुभूति हुई थी, उसका जिक्र उन्होंने हर मौके पर किया।’’
‘‘6 दशकों से ज्यादा समय में भारत की विकास यात्रा में जापान ने अहम किरदार निभाया है। 21वीं सदी के नए इंडिया में ये किरदार मजबूत होने जा रहा है। एक समय था, जब हम कार बनाने में सहयोग कर रहे थे और आज हम बुलेट ट्रेन बनाने में सहयोग कर रहे हैं। भारत का कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जहां जापान के प्रोजेक्ट और इन्वेस्टमेंट ने अपनी छाप न छोड़ी हो। भारत का टैलेंट और मैनपावर जापान की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान दे रहा है।’’
भारत में डिजिटल ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड स्तर पर
मोदी के मुताबिक- हम 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की ओर आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। भारत में डिजिटल लिटरेसी तेजी से आगे बढ़ रही है। डिजिटल ट्रांजैक्शन रिकॉर्ड स्तर पर हैं। 50 हजार स्टार्टअप्स का इकोसिस्टम बनाने का भारत को लक्ष्य मिला है। भारत की 130 करोड़ जनता के जीवन को आसान बनाने के लिए सस्ती और सुलभ स्पेस टेक्नोलॉजी हमारा लक्ष्य है। हाल में फोनी साइक्लोन समेत कई चुनौतियों को भारत कम से कम नुकसान के साथ मैनेज कर पाया।
‘‘2022 तक हम अपना पहला मैन्ड मिशन गगनयान भेजने की तैयारी में हैं। वहां कोई हिंदुस्तानी तिरंगा फहराए, यह सपना है। स्पेस में हमारा स्टेशन हो, इसकी संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। आज हमारे देश में आकांक्षाओं से भरा एक समूह है, जो तेजगति से परिणाम चाहता है। जब पूरी दुनिया भारत को संभावनाओं के गेटवे के रूप में देखती है, तब जापान के साथ हमारा तालमेल भी नई ऊंचाइयां तय कर रहा है।’’
‘‘पीएम के रूप में जापान की ये मेरी चौथी यात्रा है। सभी यात्राओं के जापान के प्रति आत्मीयता महसूस की है। टैलेंट और टेक्नोलॉजी को राष्ट्र के विकास का हिस्सा बनाना और अपनी संस्कृति के दायरे में रहकर ऐसा करना। यह मुझे महसूस हुआ है।’’
‘‘विवेकानंद ने भी जब यहां की यात्रा की थी, तब यहां की सभ्यता, संस्कृति और समर्पण को देखकर वे प्रभावित हुए थे। 130 करोड़ भारतीयों के प्रतिनिधि आप सब यहां हैं, आप जापान की बातों को यहां के वर्क कल्चर, ट्रेडिशन, टेक्नोलॉजी को भारत पहुंचाते रहें। साथ ही भारत की बातें यहां के लोगों को सुनाते रहें। यही सेतु हमारे रिश्तों को नई शक्ति देता है। नई व्यवस्था में बदलता है, संबंधों को प्राणवान बनाता है। यह जीवंत व्यवस्था है, जो जन सामान्य के जुड़ने से बनती है।’’