ट्रम्प के कश्मीर पर मध्यस्थता वाले बयान पर सरगर्मी

By: Dilip Kumar
7/23/2019 2:49:41 PM
नई दिल्ली

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कश्मीर पर मध्यस्थता वाले बयान पर मंगलवार को भारत के राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी रही। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अगर ट्रम्प के दावे में सच्चाई है तो इसका मतलब यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के साथ धोखा किया। इससे पहले संसद के दोनों सदनों में मामले पर हंगामा हुआ। विपक्ष ने चर्चा के बाद प्रधानमंत्री से मुद्दे पर जवाब मांगा। सरकार की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने ट्रम्प से कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने की मांग कभी नहीं की। ट्रम्प ने सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया था कि मोदी ने हालिया मुलाकात में उनसे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए कहा था।

जयशंकर ने कहा कि भारत की स्थिति साफ रही है कि पाकिस्तान के साथ कोई भी मुद्दा द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जाएगा। पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत के लिए उसका सीमा पार आतंकवाद बंद करना जरूरी है। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि यह राष्ट्रीय मुद्दा है। इसमें देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय हित शामिल हैं। हमें इस मुद्दे पर एक सुर में बात करनी चाहिए।

विवाद पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रम्प कह रहे हैं कि मोदी ने उनसे कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को कहा। अगर यह सच है तो प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के हितों और 1972 के शिमला समझौते से धोखा किया है। एक कमजोर विदेश मंत्रालय के इनकार से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि उनके और ट्रम्प के बीच मुलाकात में क्या हुआ।

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि कांग्रेस इस मामले पर प्रधानमंत्री मोदी से संसद में जवाब चाहती है। वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सी सरकार केंद्र में है। कश्मीर को लेकर हमारी नीति स्पष्ट है कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है और कोई तीसरा पक्ष इसमें नहीं आ सकता। राष्ट्रपति ट्रम्प यह जानते हैं। मुझे नहीं लगता कि ट्रम्प पाक के प्रधानमंत्री से इस बारे में बात करेंगे। यह एक गंभीर मुद्दा है।”

कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने लोकसभा और सीपीआई के सांसद डी. राजा ने राज्यसभा में इस मामले पर तुरंत चर्चा की मांग की थी। इसे लेकर विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के चैंबर में बातचीत भी की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री के बयान देने तक दोनों सदनों की कार्रवाई स्थगित करने की बात हुई। इससे पहले कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा था कि मुझे वाकई नहीं लगता है कि ट्रम्प को थोड़ा भी अंदाजा है कि वह क्या बात कर रहे हैं? या तो उन्हें किसी ने मामले की जानकारी नहीं दी या वह समझे नहीं कि मोदी क्या कह रहे थे या फिर भारत का तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को लेकर क्या स्टैंड है। विदेश मंत्रालय को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए कि दिल्ली ने कभी भी ऐसी किसी मध्यस्थता को लेकर कोई बात नहीं की है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान का बचाव किया

अमेरिकी विदेश विभाग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के उस बयान का बचाव किया है जिसमें उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार होने की बात की थी। विभाग के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि कश्मीर मामला भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है और अमेरिका इन दोनों देशों की बातचीत के लिए साथ बैठने का स्वागत करता है।

अमेरिकी विदेश विभाग की तरफ से कहा गया कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के लिए चर्चा का मुद्दा है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन इसमें दोनों देशों की मदद के लिए तैयार है। बयान में कहा गया कि पाकिस्तान को भारत से बातचीत बढ़ाने के लिए आतंक को खत्म करना होगा। इसके लिए उसे कुछ स्थिर कदम उठाने की जरूरत है।

अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक- हमारी दशकों से यही नीति रही है कि कश्मीर भारत-पाक के बीच का मुद्दा है और इन दोनों देशों को ही बातचीत की दिशा तय करनी है। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि उन्हें कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर के खुशी होगी। ट्रम्प ने यह भी कहा कि हालिया मीटिंग में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कहा था।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के इन दावों को नकारते हुए कहा था कि मोदी की तरफ से कभी ऐसी कोई मांग नहीं की गई। भारत अपने निर्णय पर कायम है। पाकिस्तान के साथ सारे मसले द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही हल किए जाएंगे। पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत के लिए उसका सीमा पार आतंकवाद बंद करना जरूरी है।

इस पर अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा, “हम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और बातचीत का माहौल बनाने की कोशिशों का समर्थन करते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी बात है आतंकवाद का खात्मा और जैसा की राष्ट्रपति ने कहा- हम इसमें मदद के लिए तैयार हैं।”

 


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