बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला

By: Dilip Kumar
7/16/2019 3:50:29 PM
नई दिल्ली

कर्नाटक के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हुई सुनवाई में विधानसभा अध्‍यक्ष केआर रमेश कुमार ने कहा कि मैं बागी विधायकों की अयोग्‍यता और उनके इस्‍तीफों पर कल यानी बुधवार को फैसला लूंगा। यही नहीं उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट को अपने पूर्व के आदेश में संशोधन की भी मांग की। अब सुप्रीम कोर्ट कल बागी विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाएगा। बता दें कि अपने पूर्व के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्‍पीकर को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया है कि सरकार गिरने की स्थिति में वह पांच दिन के भीतर नई सरकार का गठन कर लेगी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की शुरुआत में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता मुकुल रोहतगी ने बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए कहा कि इस्‍तीफा देने वाले विधायक विधानसभा में नहीं जाना चाहते हैं। स्‍पीकर की ओर से उसका इस्तीफा स्वीकार नहीं करके जबर्दस्ती की जा रही है। रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने कहा कि इस्‍तीफा देने वाले विधायकों पर दबाव नहीं डाला जा सकता है। यदि ये पद छोड़ रहे हैं तो इनका इस्‍तीफा स्‍वीकार किया जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि स्‍पीकर विधायकों के इस्‍तीफों को कई दिनों तक लटकाए रख सकते हैं। कानून कहता है कि इस्‍तीफों पर जल्‍द फैसला लेना होगा। स्‍पीकर एक ही समय विधायकों के इस्‍तीफों और उन्‍हें अयोग्‍य ठहराने पर फैसला लेने की कोशिश कर रहे हैं।

बागी विधायकों का पक्ष रखते हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायकों को अयोग्‍य करार देने के लिए ही स्‍पीकर ने उनका इस्‍तीफा पेंडिंग रखा है। इस पर बेंच ने रोहतगी से पूछा कि क्‍या विधायकों के इस्‍तीफों के बाद स्‍पीकर पर उन्‍हें अयोग्‍य करार देने का कोई सांविधानिक दायित्‍व था। इसके बाद रोहतगी ने कहा कि नियमों के अनुसार स्‍पीकर को फैसला लेना होगा। वह इस्‍तीफों को पेंडिंग नहीं रख सकते हैं। बागी विधायकों की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनके इस्तीफे नहीं स्‍वीकार करके फ्लोर टेस्‍ट के दौरान सरकार सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

विधानसभा अध्‍यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि स्‍पीकर को समयबद्ध तरीके से मामले को तय करने के लिए नहीं कहा जा सकता है। उन्‍होंने सवाल उठाया कि स्‍पीकर को विशेष तरीके से फैसला लेने का निर्देश कैसे दिया जा सकता है। विधायकों की ओर से अध्यक्ष को वैध इस्तीफा सौंपा जाना चाहिए जबकि विधायक विधानसभा अध्‍यक्ष के कार्यालय में अपने इस्तीफे सौंपने के पांच दिन बाद यानी 11 जुलाई को उनके सामने उपस्थित हुए।

 


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