काशी में अब गोबर से बनी लकड़ी से शवदाह कराने की तैयारी

By: Dilip Kumar
8/18/2019 9:55:27 PM
नई दिल्ली

काशी में अब गोबर से बनी लकड़ी से शवदाह कराने की तैयारी है। नगर निगम ने छितौनीकोट स्थित कान्हा उपवन में एक स्टार्टअप कंपनी के साथ मिलकर यह प्रोजेक्ट शुरू किया है। अगले सप्ताह महापौर मृदुला जायसवाल इस प्रोजेक्ट का औपचारिक शुभारंभ करेंगी। अफसरों का कहना है कि गोबर की लकड़ी से अंतिम संस्कार का खर्च लगभग आधा हो जायेगा।

गोबर से लकड़ी बनाने के लिए स्क्रूडर मशीन मंगाई गई है। इसमें गोबर और लकड़ी का बुरादा मिलाया जाता है। करीब तीन घंटे तक धूप में सुखाकर इसे लकड़ी की तरह बना दिया जाता है। इसकी बनावट में कुछ परिवर्तन किया गया है, जिससे यह उपले के मुकाबले जल्दी जलती है और धुंआ भी कम होता है। यह मशीन एक घंटे में लगभग दो क्विंटल गोबर को लकड़ीनुमा आकार देती है। इस तरह दस घंटे मशीन चले तो दो टन लकड़ी बन सकती है।

इस प्रक्रिया में निकले तरल पदार्थ का खेतों में आर्गेनिक खाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मशीन गोबर से गमला भी बना सकती है। नगर निगम की योजना के अनुसार मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर पांच से छह माह में सस्ती दर पर गोबर से बनी लकड़ी के स्टॉल लगाये जाएंगे। स्टार्टअप शुरू करने वाले युवा उद्यमी शुभम इस प्रोजेक्ट में नगर निगम को तकनीकी सहायता दे रहे हैं। नगर आयुक्त आशुतोष कुमार द्विवेदी ने बताया कि यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। गोबर से बनी लकड़ी से शवदाह के कारण पेड़ों की कटाई पर अंकुश लग सकेगा। इससे पर्यावरण संरक्षण भी होगा।

काशी में मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र श्मशान घाट पर हर साल छह हजार टन से ज्यादा लकड़ी शवदाह में इस्तेमाल की जाती है। दोनों घाटों पर मिलाकर करीब 300 शवदाह रोजाना होते हैं। एक शवदाह में औसतन तीन क्विंटल लकड़ी जलती है। इसके लिए तीन छोटे पेड़ काटे जाते हैं।


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