'चिदंबरम को जमानत मिलने के विनाशकारी परिणाम होंगे'

By: Dilip Kumar
8/29/2019 3:13:53 PM
नई दिल्ली

INX मीडिया हेराफेरी से जुड़े ईडी केस में पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर चिदंबरम को अग्रिम जमानत सुप्रीम कोर्ट देता है तो उसके विनाशकारी परिणाम होंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि इसका सीधा असर विजय माल्या, मेहुल चौकसी, नीरव मोदी, शारदा चिटफंड, टेरर फंडिंग जैसे मामले पर पड़ेगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सबूत दिखाकर बिना गिरफ्तारी पूछताछ की मांग का विरोध करते हुए कहा कि जांच कैसे हो, एजेंसी ज़िम्मेदारी से इसका फैसला लेती है. जो आरोपी आज़ाद घूम रहा है, उसे सबूत दिखाने का मतलब है बचे हुए सबूत मिटाने का न्योता देना.

तुषार मेहता ने कहा कि जांच को कैसा बढ़ाया जाए, ये पूरी तरह से एजेंसी का अधिकार है. केस के लिहाज से एजेंसी तय करती है कि किस स्टेज पर किन सबूतों को जाहिर किया जाए और किन को नहीं. अगर गिरफ्तार करने से पहले ही सारे सबूतों, गवाहों को आरोपी के सामने रख दिया जाएगा तो ये तो आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और मनी ट्रेल को ख़त्म करने का मौक़ा देगा.

उन्‍होंने कहा कि पी चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि अपराध की गंभीरता 'सब्जेक्टिव टर्म' है. PMLA के तहत मामले उनके लिहाज से गंभीर नहीं होंगे, पर हकीकत ये है कि इस देश की अदालतें आर्थिक अपराध को गंभीर मानती रही हैं. दरअसल सिब्बल ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि 7 साल से कम तक की सज़ा के प्रावधान वाले अपराध को CRPC के मुताबिक कम गंभीर माना जाता है. तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में अपराध देश की अर्थव्यवस्था के खिलाफ है. ऐसे मामलों में सज़ा का प्रावधान चाहे कुछ भी हो, सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक अपराध को हमेशा गंभीर अपराध माना है.

अब तक क्‍या हुआ?

इससे पहले बुधवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चिदम्बरम के तरफ से ADM जबलपुर फैसले को कोर्ट के सामने रखा था. उन्‍होंने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग काफी चतुर व्यक्तियों द्वारा ही किया जाता है इसमें आदमी इस प्रकार के अपराध में नहीं शामिल होता इसलिए अपराध की गंभीरता समझना चाहिए. जबकि ये मामला महज अग्रिम जमानत का है. इस अपराध में मनी ट्रेल को पकड़ना जरूरी होता है, लेकिन इससे जुड़े सबूत इकट्ठा करना काफी मुश्किल काम है.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सील कवर में रिपोर्ट देते हुए कहा था कि उसको देखकर चिदंबरम की अग्रिम जमानत पर फैसला लें. मनी लॉन्ड्रिंग कभी भी हीट ऑफ द मूवमेंट में नहीं होती. ये बेहद चालाकी से किया जाता है. ज्यादातर मनी लॉन्ड्रिंग डिजिटल ऑपरेशन की तरह है. ये रेप की तरह मामला नहीं है कि फोरेंसिक टीम खून का सैंपल कलेक्ट कर सके. ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो जांच की प्रगति रिपोर्ट चिदंबरम से साझा नहीं कर सकती, जब तक इस मामले में आरोपपत्र दाखिल नहीं होता. तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में सबूत बेहद संवेदनशील हैं लिहाजा इसको चिदंबरम से साझा नहीं कर सकते. हम मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करने वाली ग्लोबल ऐजेंसी के पार्ट हैं. इंडिया उस अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हिस्सा है जो मनी लॉन्ड्रिंग पूरी तरह से खत्म करना चाहती है.


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