जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव अब 2021 में होने के आसार

By: Dilip Kumar
8/29/2019 5:10:20 PM
नई दिल्ली

धारा 370 और 35A हटाने के बाद पूरे देश की निगाह जम्मू कश्मीर में होने वाले चुनाव पर है. चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2021 में ही हो पाएगा. वजह है जम्मू कश्मीर में होने वाला परिसीमन. आयोग के सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने और परिसीमन आयोग के गठन के बाद परिसीमन की प्रकिया में कम से कम 10 से 15 महीने का वक़्त लग सकता है. सूत्रों की मानें तो ये प्रक्रिया 31 अक्टूबर के बाद ही शुरू होगी. लेकिन चुनाव आयोग ने परिसीमन के लिए पूरा खाका तैयार कर लिया है.

चुनाव आयोग जम्मू कश्मीर में परिसीमन के लिए 2000- 2001 के उत्तराखंड में किए परिसीमन को आधार बनाएगा. करीब 10 चरणों में परिसीमन का ये काम पूरा होगा.

जम्मू कश्मीर में इससे पहले 1995 में परिसीमन हुआ था. जिसके मुताबिक वहां विधानसभा की कुल 111 सीटें थीं. अब लद्दाख के अलग यूनियन टेरीटरी बनने के बाद 4 सीटें कम हो जाएगी. यानि अब जम्मू कश्मीर विधानसभा में 107 रह जाएंगी. चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में 7 सीटें बढ़ जाएगी. जिसके बाद जम्मू कश्मीर में कुल 114 विधानसभा की सीटें हो जाएंगी. जिनमें से 24 विधानसभा की सीट POK के लिए आरक्षित रहती हैं. इसका मतलब साफ है कि जम्मू कश्मीर में अगले विधानसभा चुनाव 90 सीटों पर होंगे.

अब ज़रा जम्मू कश्मीर के पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नज़र डालें तो आपको पता चलेगा कि आखिर इस परिसीमन के क्या मायने हैं. पिछले विधानसभा चुनाव (2014) में जम्मू क्षेत्र की 37 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 25 पर जीत हासिल की थी. 5 कांग्रेस और कश्मीर घाटी की दो बड़ी पार्टियों, यानी महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी और उमर अब्दुल्लाह की नेशनल कांफ्रेंस को 3-3 सीटें मिली थीं. एक सीट निर्दलीय उमीदवार के नाम गई थी.

उधर कश्मीर घाटी की 46 विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में से पीडीपी को 28 सीटें मिली थीं जबकि नेशनल कांफ्रेंस ने 15 पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस ने 12 पर जीत दर्ज की थी.  माना जा रहा है कि परिसीमन के बाद जम्मू इलाके में 7 सीटें बढ़ जाएंगी. यानि जम्मू क्षेत्र में विधानसभा की सीटें 37 से बढ़कर 44 हो जाएंगी. वहीं लद्दाख के अलग यूनियन टेरीटरी बनने के बाद कश्मीर क्षेत्र की विधानसभा सीटें 46 से घटकर 42 रह जाएंगी. इसका मतलब साफ़ है कि नए परिसीमन के बाद जब जम्मू कश्मीर में चुनाव होगा तो बीजपी फायदे में रहेगी और अकेले दम पर सरकार भी बना सकती है.

 


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