बालासाहेब ठाकरे की गिरफ्तारी का दिया था आदेश, अब उद्धव सरकार में बने मंत्री

By: Dilip Kumar
11/28/2019 8:19:07 PM
नई दिल्ली

छगन भुजबल ने महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार में मंत्रिपद की शपथ ले ली है. छगन भुजबल येवला सीट से लगातार चौथी बार जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंचे हैं. छगन भुजबल की राजनीतिक यात्रा खासी चर्चित रही है. आज भले ही उन्हें मंत्री का पद  मिल रहा हो लेकिन एक समय उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. इस से पहले छगन भुजबल महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री  भी रह चुके हैं. NCP के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल का राजनीतिक सफर खासा रोचक रहा है.

पढ़ाई और सब्जी बेचने का धंधा छोड़ राजनीति में उतरे

छगन भुजबल कभी मुंबई के भायखला बाजार में सब्जी बेचा करते थे. लेकिन इस दौरान भी वे बालासाहेब ठाकरे के भाषणों से खासे प्रभावित थे. उनकी मां भी उनके साथ ही सब्जी बेचती थी लेकिन बेटे का मन राजनीति में रुचि लेने लगा तो उसने पारिवारिक धंधा छोड़ दिया.

छगन चंद्रकांत भुजबल नाम का यह युवक उस दौरान VJIT इंजीनियरिंग कॉलेज से डिप्लोमा भी कर रहे थे. उन्होंने राजनीति में जाने के लिए पढ़ाई भी छोड़ दी. और जमीनी नेताओं के साथ रहते हुए शिवसेना में पहचान बनाने लगे. भुजबल तगड़े नेता साबित हुए और 1985 में मुंबई के मेयर चुन लिए गए. इसके साथ ही वे शिवसेना के नेताओं में लीलाधर डाके और सुधीर जौशी जैसे कद्दावरों की श्रेणी में गिने जाने लगे.

जब भेष बदल बेलगाम पहुंचे भुजबल

1986 में महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद बेलगाम को लेकर गर्माया हुआ था. इसी के चलते महाराष्ट्र के नेताओं के कर्नाटक में प्रवेश पर रोक लगी हुई थी. फिर भी भुजबल व्यापारी बनकर बेलगाम चले गए. इसकी काफी चर्चा हुई. दाढ़ी, पंख वाली टोपी, सफेद कोट और हाथ में पाइप लिए कर्नाटक पुलिस को झांसा देते हुए भुजबल बेलगाम पहुंचे और वहां भाषण देने लगे. उनके भाषण ने वहां रहने वाले मराठी भाषियों का दिल जीत लिया. हालांकि उन्हें तुरंत ही गिरफ्तार भी कर लिया गया. इसके बाद बालासाहेब ने खुद इस कदम की तारीफ की थी और शिवाजी पार्क में रैली कर उनका सम्मान किया था.

फिर भुजबल ने छोड़ दी शिवसेना

1990 में छगन भुजबल ने शिवसेना छोड़ दी. दरअसल इस दौरान बीजेपी के साथ शिवसेना का गठबंधन था. राम मंदिर का मुद्दा इस दौर में काफी चर्चा में था. दोनों ही पार्टियों को इस मुद्दे से फायदा भी हुआ और शिवसेना के भी 52 विधायक इन चुनावों में जीते. जिससे शिवसेना वहां सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बन गई. बालासाहेब ने विपक्ष के नेता के तौर पर मनोहर जोशी का नाम लिया. इससे भुजबल को ठेस लगी. जानकार बताते हैं इसकी वजह यह थी कि भुजबल की नजर भी विपक्ष के नेता की कुर्सी पर थी. इसके बाद ही भुजबल ने शिवसेना छोड़ने का फैसला किया.

जारी करवाया बालासाहेब की गिरफ्तारी का आदेश
1991 में भुजबल 9 विधायकों के साथ कांग्रेस (Congress) में चले गए. तब शिवसेना छोड़ कहीं जाना आसान नहीं था. बालासाहेब ठाकरे इससे गुस्सा हुए और शिवसैनिकों ने भुजबल के बंगले पर हमला भी किया. बाद में जब शरद पवार ने राष्ट्रवादी कांग्रेस का गठन किया और कुछ महीनों बाद हुए चुनावों में NCP-कांग्रेस का गठबंधन जीता तो भुजबल को महाराष्ट्र का गृह मंत्री बनाया गया. इस दौरान मुंबई दंगों के लिए बालासाहेब को गिरफ्तार करने का आदेश भी उन्हीं के कार्यालय से दिया गया था. लेकिन अदालत से बालासाहेब छूट गए.

2014 में सत्ता जाते ही शुरु हुआ बुरा दौर

इसके बाद अब्दुल कमरीम तेलगी ने करोड़ों का मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला किया तो उसमें भुजबल का नाम भी आया. बेटे और दामाद दोनों को टिकट दिलवाने के चलते भी उनपर परिवारवाद के आरोप लगे. भुजबल 2004 से 2014 तक सार्वजनिक विभाग के मंत्री थे. इस दौरान उनपर पद के गलत इस्तेमाल का आरोप लगा. 2014 में सत्ता से बाहर होते ही उनपर मुसीबत आ पड़ी. मार्च 2016, दिल्ली में बने महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में उन्हें गिरफ्तार (Arrest) कर लिया गया. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस था. मुंबई की आर्थर रोड जेल में उन्होंने दो साल गुजारे. बाद में उन्हें 4 मई, 2018 को जमानत मिल गई.


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