वर्ल्ड मीडिया / मोदी सरकार पर हिंदू राष्ट्र का एजेंडा लागू करने का आरोप

By: Dilip Kumar
12/20/2019 8:52:09 PM
नई दिल्ली

अमेरिका: न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार ने प्रदर्शन को लेकर ओपिनियन कॉलम में लिखा- भारत अपनी आत्मा की लड़ाई के लिए जागा। मोदी सरकार की आदेशात्मक और लोगों को बांटने वाली नीतियों की वजह से देश भर में भारतीय नागरिक सड़कों पर उतर आए हैं। अखबार ने लिखा कि मोदी सरकार और उनकी पार्टी भाजपा 2014 से ही हिंदूवादी नीतियों को लेकर प्रोपेगेंडा फैलाने में कामयाब रही। इसके बाद नोटबंदी, चुनाव बॉन्ड, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने जैसे कदम उठाए, जिन्हें जनता का भी समर्थन मिला। अब नागरिकता बिल और एनआरसी जैसे भेदभाव भरे प्रावधान किए गए हैं, जिनसे लोग आक्रोशित हैं।

उत्तर भारत के कई शहरों में शुक्रवार को प्रशासन ने इंटरनेट बंद करा दिया। दक्षिण भारत में पुलिस और पत्थरबाजी कर रहे प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में 2 लोगों की मौत हो गई। हिंदू राष्ट्रवादी सरकार ने संसद में पिछले हफ्ते नया कानून बनाया था। भारत का नया कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। इसे 2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार का अब तक का सबसे विवादित कदम माना जा रहा है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन रोकने के लिए पुलिस ने तीसरे दिन भी राजधानी दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में लोगों के जमा होने पर रोक लगाए रखी। कई हिस्सों में इंटरनेट सेवा भी बंद रखी गई। प्रदर्शन के दौरान अब तक 8 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,200 लोगों से ज्यादा घायल हो चुके हैं। आलोचकों ने इसे देश के धर्मनिरपेक्ष संविधान का उल्लंघन बताया है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हिंदू राष्ट्रवाद को प्रमुखता देने वाली सरकार की तरफ से 20 करोड़ मुसलमानों को निशाना बनाने की कोशिश बताया है।

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मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव का आरोप झेल रहे विवादित नागरिकता कानून पर भारत में विरोध जारी रहा। हजारों लोग पुलिस की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध को तोड़कर सड़कों पर निकल आए। देश में अब तक का सबसे बड़ा इंटरनेट शटडाउन किया गया और तीन और लोगों की प्रदर्शन के दौरान मौत हो गई। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद, बेंगलुरू के अलावा कई शहरों में प्रदर्शन हुए। नए कानून में भाजपा सरकार ने मुस्लिमों को सताया गया अल्पसंख्यक समुदाय नहीं माना और उन्हें छोड़कर पांच धार्मिक समुदायों को नागरिकता देने की वकालत की गई है।

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संविधान कानून-व्यवस्था को लेकर लोगों पर तार्किक प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है। भारत में लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। अदालतों में इस पर कई बार बहस हुई और तय किया कि जन सुरक्षा के लिए केवल उस स्थिति में इस पर पाबंदी लगाई जा सकती है, जब इससे हिंसा या अराजकता की आशंका हो। तक्षशिला इंस्टीट्यूट एंड विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी रिर्सच के हवाले से बताया गया है कि भारत में पुलिस इनका इस्तेमाल भेदभावपूर्ण और मनमाने तरीके से करती है।

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नया कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने के मकसद से लाया गया है। इसमें पांच समुदायों; हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को शामिल किया गया है, लेकिन मुसलमानों को छोड़ दिया गया है। नया कानून मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने से भी रोकता है। विपक्षी पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बिल की निंदा की है। उन्होंने इसमें मुसलमानों को छोड़ दिए जाने को भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताया है।

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एनआरसी के जरिए हर भारतीय नागरिक की गिनती करने का प्रावधान है। पहले इसे असम में लागू किया गया और अब भाजपा सरकार इसे पूरे देश में लागू करना चाहती है। हाल ही में मोदी सरकार ने नया नागरिकता कानून पेश किया। इस कानून में तीन पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक प्रवासियों को आसानी से नागरिकता देने का प्रस्ताव है, लेकिन यह बात मुस्लिमों के मामले में लागू नहीं होती। इस बात से भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने का डर पैदा हो गया है। हालांकि मोदी ने इससे इनकार किया है। शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों ने मोदी को हटाने के नारे लगाए। नमाज के बाद तिरंगा झंडा हाथ में लिए प्रदर्शनकारियों ने मध्य दिल्ली तक मार्च करने की कोशिश की।

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इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर का बयान छापा है, जिसमें उन्होंने भारतीय सेना के प्रमुख जनरल विपिन रावत के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। गफूर ने सेना प्रमुख के बयान को देश भर में नागरिकता कानून पर जारी विरोध प्रदर्शन से ध्यान मोड़ने की कोशिश बताया। गफूर ने कहा कि भारत में भेदभाव भरे कानून के खिलाफ लोगों के विरोध को अहमियत नहीं दी जा रही है।


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