उप-राज्यपाल के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती

By: Dilip Kumar
6/20/2020 6:00:39 PM
नई दिल्ली

देश में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले सबसे अधिक हैं। दिल्ली में शुक्रवार को कोरोना के रेकॉर्ड 3137 मामले सामन आए और कुल संक्रमितों की संख्या 53116 पहुंच गई। इनमें से 23569 लोग इस महामारी से उबर चुके हैं जबकि 2035 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली और केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद राजधानी में कोरोना के मामले रोज नया रेकॉर्ड बना रहे हैं। इसके मद्देनजर दिल्ली सरकार ने अस्पतालों के डॉक्टरों और सपोर्ट स्टाफ सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारियों की छुटिट्यां रद्द कर दी है। इस बीच दिल्ली में कोरोना मरीजों को 5 दिन इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन में रखने के उप-राज्यपाल के फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस याचिका में कहा गया है कि यह निर्देश व्यावहारिक नहीं है क्योंकि दिल्ली सरकार के पास उन मरीजों के लिए पर्याप्त संख्या में बिस्तर और नर्स नहीं हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।

दिल्ली सरकार ने एक ऑर्डर में सभी डीएम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत आने वाले सभी अस्पतालों और मेडिकल संस्थानों के डीन और डायरेक्टर से कहा है कि वे अपने अधीन आने वाले सभी कर्मचारियों को तुरंत ड्यूटी पर आने का निर्देश दें। इसमें कहा गया है कि सरकारी अस्पतालों के कर्मचारी अपरिहार्य स्थिति में ही छुट्टी ले सकते हैं।

दिल्ली में क्वॉरंटीन को लेकर उप-राज्यपाल अनिल बैजल और दिल्ली सरकार के बीच घमासान भी बढ़ता जा रहा है। उप-राज्यपाल का कहना है कि दिल्ली में कोविड-19 के सभी मरीजों को कम से कम पांच दिन किसी सरकारी फैसलिटी में क्वॉरंटीन में रहना चाहिए और उसके बाद उन्हें घर में क्वॉरंटीन की अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन दिल्ली सरकार इसका विरोध कर रही है। उसका कहना है कि इसके लिए बड़ी संख्या में क्वॉरंटीन फैसलिटी बनानी होगी जिसके लिए डॉक्टरों, नर्सों और जगह की जरूरत पड़ेगी। सरकार के पास इतने संसाधन नहीं हैं।हॉस्पिटल स्टाफ की छुट्टी रद्द करने के फैसले को इसी परिपेक्ष्य में देखा जा रहा है।

 


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