बाबरी से सब बरी:28 साल बाद आडवाणी-मुरली समेत 32 आरोपी बरी

By: Dilip Kumar
9/30/2020 3:24:50 PM
नई दिल्ली

28 साल पुराने बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 2300 पन्नों में इस ऐतिहासिक केस का फैसला लिखा। कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद को साजिश के तहत नहीं गिराया गया था। यह अचानक हुई घटना थी। 06 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस घटना में 49 आरोपी थे। हालांकि 28 साल तक चली सुनवाई के दौरान 17 आरोपियों की मौत हो गई। बाकी बचे 32 आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया।

16 सितंबर को सुनवाई पूरी कर लेने के बाद सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने अंतिम फैसले के लिए 30 सितंबर की तारीख तय की थी। उन्होंने सभी 32 आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने के लिए कहा था। हालांकि 6 लोग स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कोर्ट में पेश नहीं हुए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट की कार्यवाही से जुड़े। कोर्ट नहीं पहुंचने वालों में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान और नृत्य गोपाल दास शामिल थे।

इन 32 लोगों पर थे आरोप

बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्कड़, सतीश प्रधान, राम चंद्र खत्री, संतोष दुबे, ओम प्रकाश पांडे, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम विलास वेदांती, विनय कटियार, प्रकाश शारना, गांधी यादव, जय भान सिंह, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, बृजभूषण सिंह, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य गोपाल दास, चंपत राय, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, धर्मदास, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, साध्वी ऋतंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह, आरएम श्रीवास्तव और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे, जिन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया।

सुनवाई के दौरान 17 आरोपियों की हो गई मौत

बाबरी विध्वंस केस के 17 आरोपियों की सुनवाई के दौरान ही मौत हो चुकी है. इनमें अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल शामिल हैं।

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या-क्या कहा?

- फैसला सुनाते वक्त सीबीआई की विशेष अदालत के जज ने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। मस्जिद को ढहाए जाने की घटना आकस्मिक थी।

- कोर्ट ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

- कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोषी नहीं बना सकते हैं। इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया, उन्होंने बाबरी के ढांचे को बचाने की कोशिश की।

- कोर्ट ने कहा कि 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था।

- विशेष सीबीआई जज सुरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना में साजिश के प्रबल साक्ष्य नहीं हैं।

- कोर्ट ने कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं, कैसेट्स को सील नहीं किया गया और फोटोज की निगेटिव नहीं पेश की गई।

आडवाणी ने लगाया 'जय श्री राम' का नारा

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने 'जय श्री राम' का नारा लगाते हुए फैसले का स्वागत किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब उन्हें अयोध्या में हो रहे राम मंदिर के निर्माण के पूरे होने का इंतजार है। विशेष अदालत के फैसले के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, ''हम सभी के लिए यह खुशी का पल है, अदालत के आदेश के बाद हमने 'जय श्री राम' का नारा लगाया। यह फैसला राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति मेरे व्यक्तिगत और बीजेपी के विश्वास तथा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।'' आडवाणी ने कहा कि लाखों देशवासियों के साथ, वे भी अब अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।

क्या जादू से गिर गई थी मस्जिद?

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद पर सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आज के दिन को अदालत की तारीख का काला दिन बताते हुए पूछा है कि क्या मस्जिद जादू से गिर गई थी? फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओवैसी ने बीजेपी, शिवसेना, वीएचपी, कांग्रेस को भी निशाने पर लिया।

असदुद्दीन ओवैसी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उस दिन (6 दिसम्बर, 1992) मस्जिद कोई जादू से गिर गई थी? क्या जादू से वहां मूर्तियां रखी गई थीं और ताले खुलवाए गए थे? आखिर, किसने मस्जिद तोड़ी? ओवैसी ने कहा, ''मुझे उस दिन शर्म महसूस हुई कि अपनी मस्जिद को नहीं बचा पा रहा हूं और फिर आज इस तरह का फैसला आया।''

हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा कि इस मसले पर इंसाफ नहीं हुआ है। जिन लोगों के इशारे, मौजूदगी में यह अपराध हुआ, वे सभी आज बरी हो गए। मुझे यह नहीं मालूम कि सीबीआई अपील करेगी या नहीं करेगी और अगर करती भी है तो कितना समय लगेगा। लेकिन उन्हें अपील करनी चाहिए। कोई भी सही सोचने वाला इसपर सवाल खड़े करेगा कि क्या इंसाफ हो रहा है।

ओवैसी ने आज के दिन को काला दिन बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस की मौजूदगी में ये सब हुआ। कांग्रेस की ही सरकार थी, जब ताले खुलवाए गए। आरोपियों को सत्ता में शोहरत भी इसी मसले से मिली। आज का दिन एक काला दिन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी होता है, लेकिन यह फैसला आखिरी नहीं है और कोर्ट के फैसले पर असहमति जताना कोई कोर्ट का अवमानना करना नहीं है। आगे अब देखना होगा कि सीबीआई अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए अपील करेगी या फिर नहीं करेगी। अगर नहीं करती है तो फिर मैं अपील करूंगा कि मुस्लिम बोर्ड अपील करे। 


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